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Ukraine: जंग में तबाह हुए घर, Subway Station बना आशियाना, 90% स्कूल ऑनलाइन... ऐसे बीत रहे लोगों के दिन

Russia Ukraine war: रूस-यूक्रेन जंग को 2 महीने का समय होने पर आजतक की टीम Kharkiv के मेट्रो स्टेशन (Subway Station) पहुंची और घरबार छोड़कर यहां रह रहे लोगों की पेरशानियां जानीं.

यूक्रेन के अलग-अलग अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन पर इस तरह लोग जिंदगी गुजार रहे हैं. तस्वीर खारकीव के मेट्रो स्टेशन की है. यूक्रेन के अलग-अलग अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन पर इस तरह लोग जिंदगी गुजार रहे हैं. तस्वीर खारकीव के मेट्रो स्टेशन की है.
मौसमी सिंह
  • खारकीव,
  • 24 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 8:47 AM IST
  • बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में दिन गुजारने को मजबूर हैं यूक्रेन के लोग
  • खारकीव में हमले शुरू हुए तो करीब 14 लाख लोग छोड़कर भागे

Russia Ukraine war: रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग ने कई लोगों को जिंदगी के सबसे दर्दनाक दिन देखने के लिए विवश कर दिया है. किसी तरह जान बचाकर अपने घरों से भागे यूक्रेन के हजारों नागरिक मेट्रो स्टेशन (Subway Station) को आशियाना बनाकर रहने के लिए मजबूर हैं. इनमें से कई लोग ट्रेन की बोगी में रह रहे हैं. जानकारी के मुताबिक खारकीव में हमले शुरू होने के बाद करीब 14 लाख लोग घर छोड़कर भाग गए हैं. आइए ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए जानते हैं खारकीव के मेट्रो स्टेशन में जिंदगी गुजार रहे लोगों की हालत कैसी है.

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आमतौर पर मेट्रो स्टेशन की तस्वीर कुछ अलग होती है. वहां ट्रेनों की रफ्तार के साथ अपनी मंजिल तक जाने के लिए तत्पर यात्री नजर आते हैं. लेकिन युद्ध के आतंक ने यूक्रेन के मेट्रो स्टेशन्स की सूरत बदल दी है. खारकीव के मेट्रो स्टेशन में छोटे-छोटे कोनों में कोई लैपटॉप और की-बोर्ड लेकर ऑफिस का काम कर रहा है तो कोई जमीन पर रजाई ओढ़कर सो रहा है. 

यहां आज तक की टीम ने 13 साल के ऐलेक्स से मुलाकात की. वह टीम को देखकर खुद ही मिलने आ गए. वे एक बोगी में रह रहे हैं. पिछले 69 दिन से यह मेट्रो स्टेशन ही उनका स्कूल है और यही प्लेग्राउंड. पिछले 2 महीने से एलेक्स की पूरी दुनिया यहां पर ही सिमटी हुई है. बहुत अच्छी इंग्लिश ना बोल पाने के बावजूद एलेक्स अपनी बात अंग्रेजी में रखते हैं. वह चाहते हैं कि उनकी बात पूरा अंतरराष्ट्रीय जगत सुने. 

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जंग के बीच भी ऑनलाइन चल रहे स्कूल

एलेक्स ने बताया,' यह मेरा घर है. पिछले 2 महीने से मैं यहां पर रह रहा हूं. यह सबवे है. मैं दिनभर स्केटिंग करता हूं. पढ़ाई भी करता हूं. मुझे डर नहीं लगता, मैं आशावादी हूं और अपने घर वापस जाना चाहता हूं. एलेक्स आजतक की टीम को अपने घर लेकर जाता है और अपने छोटे से कोने में बसी यादों के जखीरे को दिखाता है. ऐलेक्स बताता है कि 5 दिन पहले कुछ सामान लेने हम घर वापस गए थे. हमने देखा कि सब टूटा पड़ा है, शुक्र है कि हम लोग यहां रहने आ गए. युद्ध छिड़े होने के बावजूद भी यूक्रेन के 90% स्कूल ऑनलाइन चल रहे हैं.

डॉक्टर का रोल भी निभा रहीं नर्स

यहां रह रहे लोगों की दुनिया सिमटी सी हुई है. हर कोना बंटा हुआ है. राहत का समान, राशन और सब्जी एक पिल्लर पर, बच्चों की लाइब्रेरी दूसरे पर और बड़ों का रीडिंग शेल्फ अलग है. मुश्किल परिस्थितियों में अपना कर्तव्य निभाने की मिसाल नतालिया भी हैं, वे पेशे से एक नर्स हैं. अब वे मेट्रो स्टेशन पर डॉक्टर और दोनों की भूमिका निभा रही हैं. नतालिया के साथ उनके दादा भी बोगी में रह रहे हैं. यह सिर्फ एक मेट्रो स्टेशन की कहानी नहीं है, ऐसे दर्जनों सबवे स्टेशन हैं, जिसमें लोग तिल तिल कर जी रहे हैं. 

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