
रूस और यूक्रेन के बीच में युद्ध कई महीने पुराना हो चुका है. इतने महीनों बाद भी जमीन पर स्थिति विस्फोटक बनी हुई है. दोनों ही तरफ से लगातार मिसाइलें दागी जा रही हैं. अब इस बीच यूक्रेन, रूस के खिलाफ एक और बड़ा कदम चाहता है. वो उसे यूएन से बाहर करना चाहता है. इस समय रूस संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य है, उसके पास वीटो पॉवर भी है. अब उसकी उस ताकत को खत्म करने के लिए ही यूक्रेन ये मांग उठा रहा है.
यूक्रेन के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
यूक्रेन के विदेश मंत्री Dmytro Kuleba ने जारी बयान में कहा है कि हमारा तो पूरी दुनिया से सिर्फ एक सवाल है. क्या रूस को यूएन का स्थायी सदस्य रहने का कोई हक है. हमारे पास तो इसका जवाब है- नहीं. अब यूक्रेन की ये मांग व्लादिमीर पुतिन को दुनिया में और ज्यादा अकेला करने का काम कर सकती है. यूएन एक बड़ा संगठन है और वहां पर लिए गए फैसले सभी देशों पर असर डालते हैं. ऐसे में अगर रूस को उस संगठन से बाहर कर दिया जाता है तो उसकी ताकत कई गुना कम हो जाएगी. वहीं क्योंकि वो उन पांच देशों में भी शामिल है जिनके पास वीटो पॉवर है, ऐसे में रूस काफी आइसोलेट हो जाएगा और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी धमक और कम हो जाएगी.
जेलेंस्की का अमेरिका से क्या करार?
वैसे राष्ट्रपति जेलेंस्की की तरफ से पिछले कुछ दिनों में फिर आक्रमक रुख अपनाया गया है. कुछ दिन पहले ही उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की थी. उस मुलाकात के दौरान उन्होंने और ज्यादा हथियार मांगे थे. तब अमेरिका ने ऐलान किया था कि उसकी तरफ से यूक्रेन को पैट्रियट मिसाइल सिस्टम दिए जाएंगे. अमेरिका के उस ऐलान पर व्लादिमीर पुतिन की तरफ से भी तीखी प्रतिक्रिया आई थी. उन्होंने जोर देकर कहा था कि यूक्रेन में मौजूद अमेरिका की सभी पैट्रियट मिसाइल सिस्टम को नष्ट कर दिया जाएगा. पुतिन ने ये भी कहा था कि रूस के पास इसका मुकाबला करने के लिए एस-300 सिस्टम है जो अमेरिकी हथियार से ज्यादा ताकतवर है.
जेलेंस्की से पीएम मोदी की बात
अब एक तरफ जेलेंस्की-पुतिन में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है तो दूसरी तरफ दुनिया के कई नेता इनसे समय-समय पर बात कर रहे हैं. इसी कड़ी में जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है. उस बातचीत के बाद जेलेंस्की ने कहा है कि मैंने पीएम मोदी को जी20 की अध्यक्षता के लिए बधाई दी. इसी प्लेटफॉर्म से मैंने एक शांति समझौते का जिक्र किया था, अब भारत उसमें कैसे अपनी भागीदारी देता है, ये देखने वाली बात है.