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जर्मनी के लेपर्ड-2 टैंक में क्या है खास? यूक्रेन भेजने पर एकजुट क्यों नहीं यूरोप, रूस क्यों तिलमिलाया

रूस और यूक्रेन 11 महीने से लड़ रहे हैं और जंग अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. यूक्रेन को रूसी सेना के कब्जे से अपने इलाकों को छुड़ाने के लिए अब हथियारों की जरूरत है. उसने पश्चिमी देशों से मदद मांगी है. पश्चिमी देश यूक्रेन को जर्मनी में बने लेपर्ड-2 टैंक देने की बात कह रहे हैं. हालांकि, रूस ने धमकाया है कि इसका अंजाम यूक्रेन के लोगों को भुगतना पड़ेगा.

मेड इन जर्मनी लेपर्ड-2 टैंक. (फोटो क्रेडिट- क्रौस-मफेई वेगमैन) मेड इन जर्मनी लेपर्ड-2 टैंक. (फोटो क्रेडिट- क्रौस-मफेई वेगमैन)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:01 PM IST

जर्मनी ने साफ कर दिया है कि यूरोपीय देश यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक (Leopard 2 tanks) देना चाहते हैं, तो इसमें बाधा नहीं डालेगा. जर्मनी की विदेश मंत्री एना बेरबोक ने कहा कि अगर पोलैंड यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक देता तो हम उसके रास्ते में बाधा नहीं बनेंगे.

यूक्रेन चाहता है कि उसे लेपर्ड-2 टैंक मिलें, ताकि वो रूसी सेना का मुकाबला कर सके और अपने इलाकों को फिर से कब्जे में ले सके. मेड इन जर्मनी लेपर्ड-2 टैंक सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला टैंक है.

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हालांकि, अगर कोई दूसरा देश यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक देना चाहता है तो उसे इसके लिए जर्मनी की मंजूरी लेनी होगी. जर्मनी का कहना तो है कि अगर टैंक भेजना चाहें तो भेज सकते हैं लेकिन उसे रूस से सीधे टकराव का खतरा भी है.

पोलैंड के प्रधानमंत्री माटुस्ज मोराविकी ने सोमवार को कहा कि वो यूक्रेन के टैंक भेजने के लिए जर्मनी से मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि अगर मंजूरी नहीं मिलती है तो वो दूसरे टैंक यूक्रेन भेज देंगे. इस बीच यूरोपियन यूनियन के फॉरेन पॉलिसी के चीफ जोसेप बोरेल ने कहा कि जर्मनी टैंकों के एक्सपोर्ट को नहीं रोकेगा.

जर्मनी में बना लेपर्ड-2 टैंक दुनियाभर में 20 से ज्यादा देशों में इस्तेमाल होता है, जिनमें से दर्जनभर से ज्यादा NATO के सदस्य हैं. अब जर्मनी पर दबाव है कि वो पोलैंड समेत दूसरे देशों को लेपर्ड-2 टैंक यूक्रेन भेजने की अनुमति दे.

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लेपर्ड-2 टैंक इतना खास क्यों?

लेपर्ड-2 टैंक को जर्मनी की क्रौस-मफेई वेगमैन ने बनाया है. कंपनी का दावा है कि ये दुनिया के सबसे खतरनाक बैटल टैंक में से एक है. दावा ये भी है कि इस टैंक की क्षमता लगभग पचास सालों तक बरकरार रहती है.

इस टैंक का वजन 55 टन है. इसमें चार जवान बैठ सकते हैं. इस टैंक की रेंज लगभग 450 किलोमीटर तक है. ये टैंक 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है. 

इसके अब तक चार वैरिएंट्स आ चुके हैं. इसका सबसे पहला वैरिएंट 1979 में सर्विस में आया था. 120 मिमी स्मूथ बोर गन लगी होती है. इसमें डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम दिया गया है.

ये टैंक 11 मीटर लंबा और 4 मीटर चौड़ा है. इस टैंक की खास बात ये है कि अगर दुश्मन की ओर से रिटर्न फायर किया जाता है, तब भी इसके अंदर बैठे सैनिक सुरक्षित रहते हैं.

पर यूक्रेन क्यों चाहता है इसे?

पिछले साल 24 फरवरी को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया था. पुतिन ने इसे 'सैन्य अभियान' बताया था. रूस और यूक्रेन 11 महीने से लड़ रहे हैं और अब तक जंग किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है.

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इन 11 महीनों में रूसी सेना ने यूक्रेन पर ताबड़तोड़ बमबारी और हमले किए हैं. यूक्रेन के कई इलाकों को रूसी सेना ने कब्जा लिया है. यूक्रेन इन इलाकों को रूस से छीनना चाहता है. इसलिए उसे हथियारों की जरूरत है.

यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से 300 से ज्यादा टैंक, 500 इन्फेंट्री फाइटिंग व्हीकल और 700 से ज्यादा नए आर्टिलरी सिस्टम मांगे हैं. उसको उम्मीद है कि अगर पश्चिमी देशों से उसे हथियार मिल जाते हैं तो वो अपनी जमीन को रूसी सेना के चंगुल से छुड़ा सकता है.

यूक्रेन को अब तक अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी देशों से हथियार और टैंक मिल चुके हैं. हालांकि, अब भी यूक्रेनी सेना के पास ज्यादातर सोवियत काल के T64, T72 और T90 टैंक हैं. रूस के पास भी यही टैंक हैं. 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, यूक्रेन के खिलाफ जंग में इस्तेमाल हुए दो-तिहाई टैंकों या तो नष्ट हो चुके हैं या उन्हें यूक्रेनी सेना ने कब्जा लिया है. हालांकि, अब रूस का नया-नवेला T90M टैंक चुनौती बन गया है. 

रूस की धमकी- यूक्रेन कीमत भुगतेगा

यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक भेजने को लेकर रूस ने धमकाया है. रूस के राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन के प्रवक्ता दीमित्री पेस्कोव ने धमकाते हुए कहा है कि इसकी कीमत यूक्रेन के लोगों को भुगतनी पड़ेगी.

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सीएनन की रिपोर्ट के मुताबिक, पेस्कोव ने धमकाते हुए कहा कि पश्चिमी देशों के गठबंधन की घबराहट बढ़ती जा रही है. और अगर वो डायरेक्टली या इनडायरेक्टली यूक्रेन को हथियार भेजते हैं तो जो होगा उसकी जिम्मेदारी उनकी होगी.

 

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