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Explainer: जैविक हथियार क्या होते हैं, यूक्रेन के पास कितने हैं Biological Weapon?

Russia-Ukraine War: रूस ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई के दौरान दावा किया है कि वहां खतरनाक वायरस स्टोर किए गए हैं, जिन्हें अमेरिका हथियारों के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है. अमेरिका के पास 30 देशों में 336 जैविक अनुसंधान लैब हैं, जिनमें 26 लैब अकेले यूक्रेन में हैं.

यूक्रेन में जैविक हथियार जमा करने का दावा. (सांकेतिक तस्वीर) यूक्रेन में जैविक हथियार जमा करने का दावा. (सांकेतिक तस्वीर)
aajtak.in
  • मॉस्को/कीव/वॉशिंगटन,
  • 11 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 10:53 PM IST
  • 24 फरवरी से जारी है रूस और यूक्रेन के बीच जंग
  • यूक्रेन में अब तक 549 लोगों की हो चुकी मौत

Russia-Ukraine War:  यूक्रेन युद्ध में अब नौबत  Biological War यानी जैविक हमले तक पहुंच चुकी है. रूस का आरोप है कि अमेरिका की मदद से यूक्रेन में बड़ी संख्या में जैविक हथियार बनाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल यूक्रेन रूस के खिलाफ कर सकता है. ऐसे में आज ये समझना जरूरी हो जाता है कि जैविक हथियार क्या होते हैं और इनका हमला कितना खतरनाक होता है. 'Biological War' ये शब्द आज आपको नया लग रहा होगा, लेकिन इसका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. सबसे पहले समझिए कि जैविक हथियार क्या होते हैं? 

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आसान भाषा में कहा जाए तो ऐसे हथियार जिनमें विस्फोटक नहीं बल्कि कई तरह के वायरस, बैक्टीरिया, फंगस और ज़हरीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है. जैविक हमले से लोग गंभीर रूप से बीमार होने लगते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है. इसके अलावा शरीर पर इस हमले के बहुत भयानक असर होते हैं. कई मामलों में लोग विकलांग और मानसिक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. जैविक हथियार कम समय में बहुत बड़े क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं.

चीन का कोरोना वायरस (Corona Virus) इसका सबसे ताज़ा उदाहरण है. चीन पर यह आरोप हैं कि उसने वुहान लैब से कोरोना के वायरस फैलाए जिससे दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत हुई और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई जिसका फायदा चीन को मिला है. 

इसके अलावा चूहों से होने वाली बीमारी प्लेग (Plague) जैविक हमले का दूसरा उदाहरण है. ऐसा माना जाता है कि जर्मनी, अमेरिका, रूस और चीन समेत दुनिया के 17 देश जैविक हथियार बना चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी ने इस बात को नहीं माना है कि उनके पास जैविक हथियार हैं. 

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- पुराने ज़माने में युद्ध के दौरान दुश्मन के इलाके के तालाबों और कुओं में ज़हर मिलाने की घटना आपने सुनी होंगी. लेकिन पहली बार जैविक हमले की बात छठी शताब्दी से आती है जब मेसोपोटामिया के अस्सूर साम्राज्य के सैनिकों ने दुश्मन इलाके के कुओं में एक ज़हरीला फंगस डाल दिया था, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी.  

- यूरोपीय इतिहास में तुर्की और मंगोल साम्राज्य ने जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया था. इसके लिए 1347 में मंगोलियाई सेना ने बीमार जानवरों को दुश्मन इलाके में तालाब और कुओं में फिकवा दिया था जिससे प्लेग महामारी फैल गई थी. इसे इतिहास ब्लैक डेथ (Black Death) के नाम से जाना जाता है. इससे 4 साल के अंदर यूरोप में ढाई करोड़ लोगों की मौत हुई थी. 

- पहले विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने पहली बार जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया था. इस हमले के लिए जर्मनी ने एंथ्रेक्स और ग्लैंडर्स बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया था.  इसके बाद 1939 से 1945 के दौरान दूसरे विश्वयुद्ध में जापान ने चीन के खिलाफ जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया था. 

- साल 2001 में अमेरिका में कुछ आतंकवादियों ने एंथ्रेक्स बैक्टीरिया से संक्रमित चिट्ठी, अमेरिकी कांग्रेस के कार्यालय में भेंजी थी, जिससे पांच लोगों की मौत हो गई थी. 

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- जैविक हथियार के निर्माण और प्रयोग पर रोक लगाने के लिए सबसे पहले साल 1925 में जिनेवा प्रोटोकॉल के तहत कई देशों ने जैविक हथियारों के नियंत्रण के लिए बातचीत शुरू की.

- इसके बाद 1972 में BWC यानी बायोलॉजिकल वेपन कन्वेंशन की स्थापना हुई और 26 मार्च 1975 को 22 देशों ने इसमें हस्ताक्षर किए. आज भारत सहित दुनिया के 183 देश इसके सदस्य हैं. लेकिन जैविक हमले ना करने की कसम खाने वाले देश आज भी जैविक हथियारों के निर्माण में जुटे हैं. 

- युक्रेन में युद्ध में अब तक मिसाइल, टैंक और हवाई हमलों की तस्वीर सबने देखी लेकिन अब केमिकल वॉर (Chemical war) की आहट होने लगी है. अमेरिका ने दावा किया है कि रूस, यूक्रेन पर केमिकल या जैविक हथियारों से अटैक कर सकता है. लेकिन रूस ने पलटवार करते हुए ये दावा किया है कि उसने यूक्रेन में जैविक हथियारों को खोज निकाला है जो अमेरिका की मदद से यूक्रेन में बनाए जा रहे हैं. 

- यूक्रेन के पास जैविक हथियार हैं या नहीं, ये बात पूरी तरह से साफ नहीं है. ये साफ है कि यूक्रेन में अमेरिका की मदद से कई बायोजिकल लैब्स चल रही हैं. इस बात को अमेरिका की सरकार भी मान चुकी है.  

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क्या यूक्रेन के पास रासायनिक और जैविक हथियार हैं?

अमेरिका की उप विदेश मंत्री विक्टोरिया नूलैंड के मुताबिक, यूक्रेन में जैविक अनुसंधान (रिसर्च) सुविधाएं हैं. हम चिंतित हैं कि रूसी सेना उन पर नियंत्रण करने की कोशिश कर सकती है, इसलिए हम यूक्रेनियन के साथ काम कर रहे हैं कि इन शोध सामग्री को रूसी सेना के हाथों में आने से कैसे रोका जाए. जाहिर है रूस इसे लेकर अमेरिका पर और हमलावर हो चुका है. रूस का दावा है कि अमेरिका युद्ध में रासायनिक और जैविक हथियारों का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है. 

रूस को यूक्रेन में अपने सैन्य ऑपरेशन के दौरान वहां (यूक्रेन में) जैविक हथियार बनाने के मजबूत सबूत मिले हैं. खुद अमेरिकी उप विदेश मंत्री विक्टोरिया नूलैंड ने अपने बयान से रूस की बात मान ली है. जैविक हथियार रूस पर खतरा बढ़ाने का जरिया है जिसे पेंटागन वित्तीय मदद दे रहा था.

अमेरिका पर जैविक हथियारों के इस्तेमाल पर रूस को अब खुले तौर पर चीन का साथ मिल गया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिये ये दावा किया कि अमेरिका, यूक्रेन में जैविक हथियारों का निर्माण कर रहा है.

रूस ने यूक्रेन में युद्ध के दौरान दावा किया है कि वहां खतरनाक वायरस स्टोर किए गए हैं जिन्हें अमेरिका हथियारों के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है. अमेरिका के पास 30 देशों में 336 जैविक अनुसंधान लैब हैं, जिनमें 26 लैब अकेले यूक्रेन में हैं. अमेरिका को इन लैब के बारे में अपने देश और विदेश में अपनी जैविक सैन्य गतिविधियों की पूरा जानकारी देनी चाहिए.

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रूस और चीन यूक्रेन के ज़रिये अमेरिका पर जैविक हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति इसे रूस की साजिश बताकर यूक्रेन पर हमला करने की नई तरकीब बता रहे हैं.

यूक्रेन में अब तक केमिकल या जैविक हथियारों वाला वॉर शुरू नहीं हुआ, लेकिन इसके बारे में सोचना भी बहुत डरावना है. यूएन की मानें तो रूसी हमले में यूक्रेन में अब तक 549 लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें 41 बच्चे भी शामिल हैं लेकिन केमिकल वॉर हुआ तो अंजाम बहुत दर्दनाक होगा. 

(इनुपट-आजतक ब्यूरो) 

 

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