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Russia-Ukraine War: महिला-बच्चों को देश छोड़ने की इजाजत, लेकिन पुरुषों को जंग के लिए रोक रहा Ukraine

रूस और यूक्रेन की जंग के बीच यूक्रेन के अलग-अलग शहरों से बेहद दर्दनाक तस्वीरें सामने आ रही हैं. यूक्रेन में पुरुषों को देश छोड़ने नहीं दिया जा रहा है. सरकार का कहना है कि पुरुषों का पहला कर्तव्य देश की रक्षा करना है.

यूक्रेन छोड़कर पड़ोसी देशों की तरफ जाते यूक्रेन के लोग. यूक्रेन छोड़कर पड़ोसी देशों की तरफ जाते यूक्रेन के लोग.
aajtak.in
  • कीव,
  • 26 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:57 AM IST
  • परिवार और बच्चों को विदा कर यूक्रेन में रुक रहे लोग
  • पुरुषों को ट्रेनों से उतार रहे यूक्रेन के अधिकारी

यूक्रेन पर तीसरे दिन भी रूसी सेना का हमला जारी है. राजधानी कीव पर लगातार हो रही रूसी एयरस्ट्राइक के बाद सुरक्षित ठिकाने की तलाश में यूक्रेन के हजारों लोग सीमा पार कर पश्चिम में स्थित पड़ोसी देशों में पहुंच रहे हैं. पड़ोसी देशों में शरण लेने वालों में ज्यादातर महिलाएं, बच्चे या बुजुर्ग लोग हैं. दरअसल, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने आदेश जारी किया है कि देश के जो भी नागरिक सेना में शामिल होने लायक हैं, वे देश छोड़कर नहीं जा सकते हैं.

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यूक्रेन की राजधानी कीव से पोलैंड के प्रेजेमिस्ल पहुंची महिला डारिया ने रोते हुए बताया कि ट्रेन से पुरुषों को खींचकर नीचे उतारा जा रहा है. डारिया ने कहा कि ट्रेन से उन पुरुषों को भी उतारा जा रहा है, जो अपने बच्चों के साथ यात्रा कर रहे हैं. वहीं, 68 साल की महिला विल्मा शुगर यूक्रेन के उजहोरोड से अपने 47 साल बेटे के साथ हंगरी में शरण लेने जा रही थीं, लेकिन उनके बेटे को ट्रेन से उतार दिया गया. उन्हें बिलखते हुए उसका साथ छोड़कर जाना पड़ा. विल्मा शुगर ने बताया कि वे अब हंगरी के जाहोनी पहुंच गई हैं. महिला ने बताया कि यूक्रेन के अधिकारी लोगों से सभ्यता के साथ पेश आ रहे हैं. वे पुरुषों से कह रहे हैं कि उनका पहला कर्तव्य देश की रक्षा करना है.

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बड़े शहरों से गांव की तरफ भाग रहे लोग

रूसी हमले के बीच यूक्रेन के लोग कीव जैसे बड़े शहरों से ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ भाग रहे हैं. यूक्रेन के मारियोपोल से हजारों लोग ट्रेन के जरिए कीव की तरफ रवाना हुए. हालांकि, वे कीव नहीं गए और रास्ते में पड़ने वाले छोटे कस्बों के स्टेशन पर उतर गए. इन लोगों का मानना है कि रूस की सेना आम नागरिकों पर हमला नहीं करेगी. 
 
1 लाख से ज्यादा लोगों ने छोड़ा यूक्रेन

संयुक्त राष्ट्र में शरणार्थी समस्या विभाग के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने बताया है कि पिछले 48 घंटे में यूक्रेन के 50 हजार से ज्यादा नागरिक शरणार्थी बनकर दूसरे देशों में पहुंच गए हैं. अब तक 1 लाख से ज्यादा लोग देश छोड़ चुके हैं. इनमें से ज्यादातर लोग पोलैंड और मोल्दोवा पहुंचे हैं. हालांकि, अब भी पलायन का दौर जारी है और अगर जंग के हालात यूं ही बने रहते हैं तो जल्द ही ये आंकड़ा बढ़कर 40 लाख तक पहुंच सकता है.


 

पड़ोसी देशों ने शरणार्थियों के लिए खोले दरवाजे

जंग के बीच पोलैंड, स्लोवाकिया, हंगरी, रोमानिया और मोल्दोवा, यूक्रेन के लोगों को शरण, भोजन और कानूनी सहायता दे रहे हैं. इन देशों ने अपनी सामान्य सीमा प्रक्रियाओं में भी ढील दी हैं. यहां बॉर्डर क्रॉस करने पर यूक्रेन के लोगों को COVID-19 जांच से भी छूट दी जा रही है. पोलैंड में ऐसे कई नजारे देखने को मिले हैं, जब यूक्रेन के लोग पैदल, कार या ट्रेन से अपने पालतु जानवरों के साथ सीमा पार कर रहे हैं और पोलैंड के अधिकारी उनका स्वागत कर रहे हैं. 

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शरणार्थियों का स्वागत कर रहे हंगरी और पोलैंड

जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक ने कहा है कि यूरोपियन यूनियन यूक्रेन से आने वाली सभी लोगों को शरण देगा. रूस-यूक्रेन की जंग के बीच पोलैंड और हंगरी का अलग चेहरा सामने आया है. दोनों देशों की सरकार शरणार्थियों का स्वागत कर रही है, लेकिन इससे पहले तक दोनों देश मध्य पूर्व और अफ्रीका के लोगों को शरण देने से मना करते आए हैं. 2015 में जब युद्ध के बीच सीरिया के 1 लाख लोग यूरोप पहुंचे थे, तब हंगरी ने उन्हें देश में दाखिल होने से रोकने के लिए दीवार का निर्माण किया था.

 

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