
यूक्रेन से लेकर यमन, गाजा से लेकर सूडान तक...दुनिया के कई हिस्से इस वक्त युद्ध की चपेट में हैं और इसकी तपन पूरी दुनिया महसूस कर रही है. एक तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध चल रहा है तो दूसरी तरफ इजरायल-हमास युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा. यमन संघर्ष को तो एक दशक हो गए और लाखों लोगों की जान ले चुके इस युद्ध की आग अब तक भभक रही है.
सालों से चल रहे ये युद्ध कब खत्म होंगे, इसका कोई सीधा जवाब देना बहुत मुश्किल है. नया साल दुनिया के लोगों के लिए नई उम्मीदें लेकर आया है लेकिन युद्धग्रस्त इलाकों में रह रहे लोगों को लिए हर गुजरता दिन किसी बुरे सपने से कम नहीं है. दुनिया में चल रहे तीन युद्धों में लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और लाखों विस्थापित हो चुके हैं.
यमन युद्ध में मारे गए तीन लाख 77 हजार लोग
दुनिया में चल रहे तीन युद्धों में सबसे लंबे समय से यमन युद्ध चल रहा है जिसकी शुरुआत सितंबर 2014 में हुई थी जब हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया था. हूती शिया मुसलमान है और माना गया कि ईरान के सहयोग से ही हूतियों ने सना पर कब्जा जमाया. यमन में चल रहे गृहयुद्ध का दायरा तब और बड़ा हो गया जब सऊदी अरब के नेतृत्व में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भी युद्ध में कूद पड़ा.
ईरान के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए, सऊदी अरब और यूएई के गठबंधन ने राष्ट्रपति अब्द-रब्बू मंसूर हादी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को बहाल करने के लिए 2015 में हूती विद्रोहियों के खिलाफ हवाई हमले किए. यूएई, सऊदी के हवाई हमले 7 सालों तक चले और इससे यमन में भारी विनाश हुआ. गृहयुद्ध में लाखों लोग मारे गए और लाखों विस्थापित हुए. यमन की तबाही को संयुक्त राष्ट्र ने 'सबसे बड़ी मानवीय तबाही' बताया है. यमन के गृहयुद्ध में अब तक करीब 3 लाख 77 हजार लोगों की मौत हो चुकी है.
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी UNHRC के मुताबिक, यमन की जनसंख्या की 14 फीसद आबादी यानी 45 लाख लोग फिलहाल विस्थापित जीवन जी रहे हैं. इनमें से अधिकांश लोग एक बार नहीं बल्कि कई बार विस्थापन की मार झेल चुके हैं. यमन की दो तिहाई आबादी यानी 2 करोड़ 16 लाख लोगों को मानवीय मदद और सुरक्षा की सख्त जरूरत है. यमन अब तक के सबसे व्यापक सूखे के खतरे से जूझ रहा है और लाखों लोग भुखमरी जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं.
यमन संघर्ष तब और बढ़ गया जब हूतियों ने फिलिस्तिनियों का साथ एकजुटता दिखाने के लिए इजरायल पर हमले शुरू कर दिए. जबाव में इजरायल भी यमन में हूतियों के ठिकानों पर हमले कर रहा है. फिलहाल यमन का संघर्ष थमता नहीं दिख रहा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध
24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था. तब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया था कि रूस का यूक्रेन पर कब्जा करने का इरादा नहीं है, बल्कि वो यूक्रेन को 'सैन्यीकरण और नाजीवाद' से मुक्त करना चाहते हैं.
पुतिन ने मांग की थी कि पश्चिमी देश यूक्रेन को अपने रक्षा संगठन NATO में शामिल न करें और पूर्वी यूरोप के सदस्य देशों में अपनी सभी गतिविधियों को खत्म कर दे. रूस से अलग हुए क्षेत्रों को फिर से देश में मिलाने की कोशिश में पुतिन ने खेरसॉन, जापोरिज्जिया, डोनेत्स्क और लुहांस्क के क्षेत्रों में जनमत संग्रह कराया. ये सभी क्षेत्र सामूहिक रूप से यूक्रेनी क्षेत्र का लगभग 15% हिस्सा है.
रूस के खिलाफ लड़ाई में यूक्रेन को यूरोपीय संघ और अमेरिका का भारी समर्थन मिला है जिसमें यूक्रेन को सैन्य उपकरण मुहैया कराना और उसके नागरिकों तक मानवीय मदद पहुंचाना शामिल है. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के समर्थन में रूस पर वित्तीय प्रतिबंध भी लगाए हैं.
युद्ध के कारण लाखों की संख्या में यूक्रेनियों को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है. अक्टूबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) की सबसे हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध के कारण देश के अंदर विस्थापित हुए लोगों की संख्या 35 लाख थी. हालांकि, यूक्रेनी अधिकारियों का अनुमान है कि 24 फरवरी 2022 से पहले विस्थापित हुए लोगों का आंकड़ा भी जोड़ लिया जाए तो कुल विस्थापितों की संख्या 49 लाख से अधिक है.
इस युद्ध में अब तक 12,160 से अधिक लोगों की मौत हुई है. दोनों देशों के बीच का संघर्ष अब भी जारी है.
इजरायल-हमास युद्ध
इजरायल और हमास का युद्ध तब शुरू हुआ जब 7 अक्टूबर 2023 को फिलिस्तीनी संगठन हमास के लड़ाकों ने अचानक से इजरायल पर हमला कर दिया. इस दौरान करीब 1,195 इजरायली लोगों की मौत हो गई और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया. आक्रमण के जवाब में इजरायल ने हमास के खिलाफ बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई शुरू की. इजरायल ने हमास के खात्मे का प्रण लिया और समूह के नियंत्रण वाले गाजा पर जमीनी कार्रवाई भी शुरू की. इजरायल के हवाई और जमीनी में गाजा में अब तक 46,000 फिलिस्तीनियों की मौत हुई जिसमें 15 हजार बच्चे हैं.
मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच की नवंबर 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली सेना की कार्रवाई की वजह से गाजा की 90 फीसद आबादी यानी तकरीबन 19 लाख लोग विस्थापित हुए हैं.
इजरायली सेना ने गाजा पट्टी में सभी जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर, अस्पतालों और चिकित्सा सुविधाओं को बर्बाद कर दिया है और लोगों को पानी, सीवेज ट्रीटमेंट और बिजली जैसी जरूरी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रहीं. इजरायल ने गाजा तक आने-जाने वाली हर चीज पर कड़ी नजर रखी है और इन पर प्रतिबंध लगाए हैं, मानवीय और मेडिकल सहायता ले जाने वाले कमर्शियल ट्रकों के गाजा में एंट्री पर रोक है जिससे खाने-पीने के चीजों की कमी हो गई है और लोग भुखमरी जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र और कई मानवीय सहायता एजेंसियों ने इजरायल के आक्रामक एकतरफा हमले को अब तक की सबसे खराब सैन्य कार्रवाइयों में से एक करार दिया है. युद्ध 15 महीने से अधिक समय से जारी है, और इसके खत्म होने या धीमा होने के कोई संकेत नहीं हैं.