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पुतिन का अल्टीमेटम और रूसी खुफिया विभाग में फूट... वैगनर आर्मी की बगावत में पिक्चर अभी बाकी है!

रूस में प्राइवेट आर्मी वैगनर द्वारा जारी बगावत भले ही 24 घंटे में थम गई हो, लेकिन यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच रूस में 24 घंटे चली बगावत के दौरान जो कुछ भी हुआ, वो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इस बगावत के बाद सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या वैगनर से रूसी सेना के ये विवाद थम जाएगा या फिर प्रिगोझिन फिर ऐसा कोई कदम उठा सकते हैं. 

येवगेनी प्रिगोझिन और व्लादिमीर पुतिन (फाइल फोटो) येवगेनी प्रिगोझिन और व्लादिमीर पुतिन (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • मॉस्को,
  • 27 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन प्राइवेट आर्मी वैगनर की बगावत के बाद उपजे गृह युद्ध के संकट को 24 घंटे के भीतर टालने में कामयाब रहे. वैगनर लड़ाकों के कैंपों में लौटने के बाद पुतिन ने क्रेमलिन में सुरक्षा सेवा प्रमुख, रक्षा मंत्री और अन्य शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की. साथ ही पुतिन ने इस बगावत के पीछे पश्चिमी देश और कीव (यूक्रेन) को जिम्मेदार ठहराया.

इतना ही नहीं उन्होंने बगावत करने वाले गुट को अल्टीमेटम दे डाला. पुतिन ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि वैगनर लड़ाके चाहें तो सेना में शामिल हो सकते हैं या बेलारूस जा सकते हैं. अपने घर भी लौट सकते हैं. हालांकि, येवगेनी प्रिगोझिन के नेतृत्व में जिस तरह से वैगनर आर्मी ने बगावत की, उससे पुतिन के लिए नेतृत्व पर सवाल खड़े होने लगे हैं. इतना ही नहीं सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या प्रिगोझिन को रूसी सेना के कुछ बड़े अफसरों का सपोर्ट है? 

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बगावत खत्म करने के बाद क्या बोले पुतिन? 

पुतिन ने बगावत खत्म होने के बाद पहली बार रूस को संबोधित किया. इस दौरान पुतिन ने बताया कि उन्होंने विद्रोह के दौरान 'बड़े पैमाने पर खूनखराबा' से बचने का आदेश दिया था. जबकि पश्चिमी देश और कीव (यूक्रेन) चाहते थे कि रूसी 'एक दूसरे को मार डालें. वैगनर लड़ाके चाहें तो सेना में शामिल हो सकते हैं या बेलारूस जा सकते हैं. अपने घर भी लौट सकते हैं. उन्होंने कहा, हमने विद्रोह को 24 घंटे से भी कम समय में खत्म कर दिया. उन्होंने राष्ट्र को एकता के लिए धन्यवाद दिया. बगावत को खूनखराबे में ना बदलने देने के लिए वेगनर ग्रुप की आर्मी को भी पुतिन ने धन्यवाद दिया.

येवगेनी प्रिगोझिन की प्रतिक्रिया भी आई सामने

इससे पहले प्राइवेट आर्मी के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन ने बगावत के फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा, वो तख्तापलट नहीं करना चाहते थे, बल्कि अपनी प्राइवेट आर्मी वैगनर को खत्म होने से बचाना चाहते थे. उन्होंने कहा, हमने अन्याय की वजह से अपना मार्च शुरू किया था. हालांकि, उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि वो इस समय कहां हैं या उनका अगला प्लान क्या है. 

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रक्षा मंत्री को हटाने की फिर उठाई मांग

येवगेनी प्रिगोझिन ने कहा, बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने वैगनर को कानूनी अमलीजामा पहनाने की पेशकश की है. हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया. दरअसल, वैगनर आर्मी के 25 हजार लड़ाकों ने शनिवार को मॉस्को तक मार्च निकालने का ऐलान किया था. लेकिन बेलारूस के राष्ट्रपति की मध्यस्थता की पेशकश के बाद प्रिगोझिन ने अपना फैसला बदल लिया था और पीछे हट गए थे. प्रिगोझिन की प्रमुख मांगों में से एक यह थी कि रूसी रक्षा मंत्री शोइगु को हटाया जाए और रूस के शीर्ष जनरल को बर्खास्त किया जाए. हालांकि, अभी यह साफ नहीं हुआ है कि पुतिन सरकार इस दिशा में कोई कदम उठाएगी या नहीं. 

वैगनर आर्मी की बगावत के बाद आगे क्या?

रूस में प्राइवेट आर्मी वैगनर द्वारा जारी बगावत भले ही 24 घंटे में थम गई हो, लेकिन यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच रूस में 24 घंटे चली बगावत के दौरान जो कुछ भी हुआ, वो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इस बगावत के बाद सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या वैगनर से रूसी सेना के ये विवाद थम जाएगा या फिर प्रिगोझिन फिर ऐसा कोई कदम उठा सकते हैं. 

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दरअसल, बेलारूस के राष्ट्रपति के दखल के बाद येवगेनी प्रिगोझिन अपनी आर्मी को पीछे हटाने पर राजी तो हो गए, लेकिन अभी ये सामने नहीं आया है कि रूसी सेना और उनसे बीच क्या समझौते हुए? हालांकि, प्रिगोझिन को बेलारूस जाने के लिए कहा गया है. साथ ही पुतिन प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि उनके खिलाफ विद्रोह के मामले में आरोप वापस लिए जाएंगे. साथ ही वैगनर ग्रुप के लड़ाकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी.  इसके साथ ही वैगनर के जो लड़ाके इस विद्रोह में शामिल नहीं हुए, वे रूसी रक्षा मंत्रालय से कॉन्ट्रैक्ट करेंगे और उनके लिए काम करेंगे.

क्या प्रिगोझिन को रूसी सेना से मिल रहा सपोर्ट?

उधर, रूसी मिलिट्री इंटेलिजेंस सर्विस के डिप्टी हेड व्लादिमीर अलेक्सेव की भूमिका भी सवालों में है. उन्होंने वीडियो जारी कर कहा था कि सालों तक प्रिगोझिन ने रूसी मिलिट्री इंटेलिजेंस सर्विस के साथ मिलकर काम किया. साथ ही उन्होंने प्रिगोझिन से मार्च रोकने के लिए भी कहा था. इतना ही नहीं इस दौरान अलेक्सेव रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और टॉप जनरल वालेरी गेरासिमोव का भी मजाक बनाते नजर आए थे. 

क्या है वैगनर ग्रुप, क्यों की थी बगावत?

वैगनर एक प्राइवेट आर्मी है. वैगनर आर्मी रूसी सेना के साथ मिलकर यूक्रेन में युद्ध लड़ रही है. यह पिछले कई सालों से सैन्य और खुफिया ऑपरेशन्स को लेकर विवादों में भी रहा है.  वैगनर आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन कभी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे खास होते थे. लेकिन अब प्रिगोझिन और रूसी सेना के बीच टकराव चल रहा है. प्रिगोझिन ने 23 जून को रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने दावा किया कि रूसी रक्षा मंत्री ने यूक्रेन में वैगनर आर्मी पर रॉकेट से हमले का आदेश दिया. प्रिगोझिन ने कहा था कि वे इस हमले का बदला रूसी रक्षा मंत्री से लेंगे और इसमें रूसी सेना हस्तक्षेप न करे. इसके बाद प्रिगोझिन ने अपने लड़ाकों के साथ यूक्रेन से लौटकर रूस की सीमा में मार्च शुरू कर दिया था.

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कौन हैं प्रिगोझिन ? 

येवगेनी प्रिगोझिन पुतिन के रसोइये के तौर पर जाने जाते हैं. प्रिगोझिन का जन्म 1961 में लेनिनग्राड (सेंट पीट्सबर्ग) में हुआ. प्रिगोझिन 20 साल की उम्र में ही मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी समेत कई मामलों में वांछित हो गए. इसके बाद उन्हें 13 साल की सजा सुनाई गई. हालांकि, उन्हें 9 साल में ही रिहा कर दिया गया. 

प्रिगोझिन ने जेल से रिहा होने के बाद हॉट डॉग बेचने के लिए स्टॉल लगाना शुरू किया. इसमें सफलता मिलने के बाद उन्होंने महंगा रेस्तरां खोला. येवगेनी का रेस्तरां इस कदर फेमस हो गया कि लोग इसके बाहर लाइन लगाकर इंतजार करने लगे. लोकप्रियता बढ़ी तो खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन विदेशी मेहमानों को इस रेस्तरां में खाना खिलाने ले जाने लगे. यही वो दौर था जब येवगेनी पुतिन के करीब आए. इसके बाद येवगेनी को सरकारी अनुबंध दिए जाने लगे. प्रिगोझिन की भूमिका हमेशा संदिग्ध रही है, और उन्होंने लंबे समय से किसी भी राजनीतिक भूमिका से इनकार किया है, लेकिन उनका प्रभाव खाने की मेज से कहीं आगे तक पहुंच गया था.


पुतिन का राइट हैंड था प्रिगोझिन 

प्रिगोझिन धीरे धीरे पुतिन का राइट हैंड बन गया. येवगेनी ने रूसी सेना के साथ मिलकर प्राइवेट आर्मी वैगनर की अगुवाई की. चाहें अमेरिका में चुनाव में दखल हो या फिर अफ्रीका और मध्य पूर्व में युद्ध में लड़ाके भेजना...पुतिन पर वैगनर का गलत इस्तेमाल करने का भी आरोप लगता रहा है. 2017 के बाद से येवगेनी की वैगनर आर्मी ने माली, सूडान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, लीबिया और मोजाम्बिक में सैन्य दखल के लिए सैनिकों को तैनात किया.

 

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