
रूस और यूक्रेन में युद्ध छिड़े हुए करीब एक सप्ताह का समय बीत चुका है. और भले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, सैनिकों के जरिए यूक्रेन पर कब्जा कर लें, लेकिन इस युद्ध के खत्म होने से पहले पुतिन ये जंग हार चुके हैं. ये कहना है कि इजरायल के रहने वाले मशहूर इतिहासकार और लेखक युवाल नोह हरारी (Yuval Noah Harari) का. उन्होंने गार्जियन के लिए लिखे एक लेख में विस्तार से बताया है कि क्यों सैन्य जंग जीतने के बाद भी रूस, यूक्रेन के साथ चल रही इस युद्ध को अंतत: हार जाएगा.
उन्होंने रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर कई चौंकाने वाली बात कही हैं, इसके पीछे उनके अपने तर्क हैं. युवाल ने कहा है कि हो सकता है पुतिन सारे मोर्चे पर जीत दर्ज कर लें, लेकिन फिर भी ये लड़ाई हारेंगे. उनका कहना है कि यूक्रेन के आम लोग जिस तरह से रूस के खिलाफ लड़ रहे हैं और रूसी कब्जे का विरोध कर रहे हैं, उसकी वजह से रूस के लिए इस देश पर कब्जा करने के बाद भी आसानी से शासन चलाना संभव नहीं होगा.
बता दें कि इस युद्ध में रूसी टैंक भी तबाह हो रहे हैं, रूस के सैनिक भी मारे जा रहे हैं. युवाल नोह हरारी का कहना है कि रूस को जितना नुकसान पहुंच रहा है, यूक्रेन के लोगों की हिम्मत उतनी अधिक बढ़ती जा रही है. वहीं, यूक्रेन के जितने लोगों की मौत हो रही है, उसके बदले भी रूस को लेकर नफरत बढ़ती जा रही है.
यूक्रेन के लोगों ने दिखा दिया कि वह एक असली राष्ट्र है
युवाल नोह हरारी कहते हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का एक सपना है कि रूस के सामाज्य को फिर से खड़ा करना. वहीं रूसी साम्राज्य का झूठ हमेशा इस बात पर भी टिका है कि यूक्रेन असली राष्ट्र नहीं है. यूक्रेन के लोग भी असली नहीं हैं और कीव, खारकिव, लिविव के लोग मास्को का शासन चाहते हैं. जोकि पूरी तरह से झूठ है. यूक्रेन के लोगों ने शुरुआती दिनों में ही यह दिखा भी कर दिया है.
युवाल नोह हरारी ने कहा है कि सच तो यही है कि यूक्रेन का हजारों साल पुराना इतिहास है. जब मॉस्को एक गांव भी नहीं था, कीव तब एक बड़ा शहर था. लेकिन रूस ने इतनी बार झूठ बोला है कि ये सच लगने लगा. वहीं, पुतिन को रूस का साम्राज्य स्थापित करने के लिए तुलनात्मक रूप से रक्तहीन जीत दर्ज करने की जरूरत थी. लेकिन युद्ध जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, काफी मात्रा में खून बह रहा है और युद्ध लंबा खींचता भी दिख रहा है.
इसलिए जैसे-जैसे यूक्रेनी नागरिकों का खून बहेगा, रूस के खिलाफ यूक्रेन के लोगों की नफरत बढ़ती चली जाएगी. युवाल नोह हरारी (Yuval Noah Harari) कहते हैं कि जब पुतिन ने यूक्रेन पर हमला किया तो वह इस बात को जानते थे कि यूक्रेन मदद के लिए सेना नहीं भेजेगा. वहीं जर्मनी भी इस मामले में हस्तक्षेप करने से संकोच करेगा क्योंकि यूरोप के कई देशों की रूस के गैस और तेल पर निर्भरता है.
यूक्रेन के लोगों ने युद्ध के शुरुआती कुछ दिनों में ही इसका जवाब दे दिया
युवाल नोह हरारी (Yuval Noah Harari) ने लेख में ये भी कहा है कि अमेरिका ने इराक और सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में एक बात तो समझ ही ली है, किसी देश को जीतना तो आसान है लेकिन उस पर अपनी पकड़ बनाकर रखना मुश्किल है. पुतिन अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके पास ये ताकत तो है कि वह यूक्रेन पर कब्जा कर सकते हैं. पर सवाल ये है कि क्या यूक्रेन के लोग मॉस्को के 'कठपुतली शासन' को स्वीकार करेंगे? युवाल नोह हरारी कहते हैं कि यूक्रेन के लोगों ने युद्ध के शुरुआती कुछ दिनों में ही इसका जवाब दे दिया है. पूरी दुनिया इसके लिए यूक्रेन के लोगों की तारीफ कर रही है.
युवाल ने कहा है कि हो सकता है कि दुखद रूप ये यह जंग लंबे वक्त तक चले, लेकिन आखिरकार जीत रूस की नहीं होगी. उन्होंने कहा है कि जब 2014 में रूस ने क्रीमिया पर आक्रमण किया था तो क्रीमिया के लोगों ने ज्यादा प्रतिरोध नहीं किया था. और इसे देखते हुए शायद रूस यूक्रेन को लेकर गलतफहमी में चला गया.
उन्होंने ये भी कहा है कि यूक्रेन के लोग दिल से पूरा जोर लगाकर प्रतिरोध जता रहे हैं. वहीं पूरी दुनिया के लोगों ने उनका दिल जीता है.