
ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस का फोन रूसी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए काम कर रहे संदिग्ध एजेंटों द्वारा हैक किया गया था. जब उनका फोन हैक हुआ था तब वह ब्रिटेन की विदेश मंत्री थीं. इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रूसी एजेंटों ने लिज़ ट्रस के करीबी दोस्त क्वासी क्वार्टेंग के बीच हुई पर्सनल चैट के साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के बीच हुई सीक्रेट बातचीत का भी पता लगा लिया था.
ये हैकिंग तब की गई थी, जब कंजर्वेटिव पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से पीएम पद की रेस के लिए एक अभियान चलाया जा रहा था. वहीं लिज़ ट्रस ब्रिटेन ने प्रधानमंत्री का पद भी संभाला था. रिपोर्ट्स के मुताबिक जब फोन हैक किया गया, तो एजेंट्स को ऐसे मैसेज भी मिले थे, जिनमें यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बारे में अन्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ चर्चा की गई थी. इसमें हथियारों के शिपमेंट को लेकर की गई बातचीत भी शामिल थी.
हालांकि ब्रिटिश सरकार के एक प्रवक्ता ने व्यक्तियों की सुरक्षा व्यवस्था पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास साइबर अटैक से बचाव के लिए मजबूत टेक्नोलॉजी है. इसमें मंत्रियों कीनियमित रूप से सुरक्षा ब्रीफिंग, उनके व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हैकिंग में ट्रस और क्वार्टेंग द्वारा की गई जॉनसन की आलोचना वाले मैसेज भी शामिल हैं. इतना ही नहीं, रूसी एजेंटों ने लिज़ ट्रस के एक साल तक के मैसेजों को डाउनलोड किया था.
ट्रस को 44 दिन में ही छोड़नी पड़ी थी कुर्सी
ब्रिटेन में लिज ट्रस सरकार ने संसद में मिनी-बजट पेश किया था. इस बजट में उन्होंने टैक्स बढ़ोतरी और महंगाई पर रोक लगाने वाले कदम उठाए थे. लेकिन जल्द ही इन फैसलों को सरकार ने वापस ले लिया था. लिज ट्रस ने जब प्रधानमंत्री का पद संभाला था, तब कमरतोड़ महंगाई का सामना कर रही ब्रिटेन की जनता को उनसे बहुत उम्मीदें थीं. इसकी एक प्रमुख वजह यह भी थी कि ट्रस ने अपने चुनावी अभियान में जनता से लोक-लुभावन वादे किए थे. उन्हें सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने वाला एक प्रमुख चुनावी वादा टैक्स में कटौती करना था. लिज ट्रस ने सत्ता में आने के बाद टैक्स में कटौती की, लेकिन वह दो अक्टूबर को अपने चुनावी वादे से मुकर गई थीं. उन्होंने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के फैसले को फैसला वापस ले लिया था. उनके इस फैसले से पार्टी के अंदर ही बगावत शुरू हो गई थी. लिहाजा ट्रस को महज 44 दिन बाद ही पीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी.
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