
पाकिस्तान की ओर से यूक्रेन को हथियार भेजने की रिपोर्ट्स पर भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. रूसी राजदूत अलीपोव ने कहा कि, ''हां इस तरह की कई रिपोर्ट्स और जानकारी मिली हैं, हम इस मामले को काफी गंभीरता के साथ ले रहे हैं. अगर यह सच निकला तो साफ तौर पर यह रूस के खिलाफ माना जाएगा, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है.
रूसी राजदूत ने आगे कहा कि हम ऐसी रिपोर्ट्स और खबरें काफी गंभीरता के साथ लेते हैं, क्योंकि ये सीधे तौर पर जमीनी स्थिति को प्रभावित करती हैं. रूसी राजदूत ने आगे कहा कि वह यह भी देख रहे हैं कि इस तरह की स्थिति विवाद को तेजी और शांति के साथ खत्म होने में बाधक न बन जाए.
मालूम हो कि पिछले कुछ समय से कई ऐसी रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं, जिनमें यह दावा किया गया कि पाकिस्तान यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई कर रहा है. मामले ने तूल पकड़ा तो पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सफाई देते हुए सभी दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया था.
पाकिस्तान की ओर से कहा गया था कि रूस और यूक्रेन युद्ध में पाकिस्तान की भूमिका हमेशा तटस्थ रही है. पाकिस्तान की ओर से यूक्रेन को किसी भी तरह का कोई हथियार नहीं दिया गया है.
जुलाई में यूक्रेन के विदेश मंत्री ने की थी पाकिस्तान यात्रा
पिछले कई महीनों से इस तरह की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई करता है. अटकलों का बाजार उस समय और गर्म हो गया, जब जुलाई महीने में यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा ने पाकिस्तान की यात्रा की थी. यूक्रेन के विदेश मंत्री ने अपनी इस यात्रा के दौरान पाकिस्तानी सेना के आला-अधिकारियों समेत दूसरे बड़े लोगों से मुलाकात की थी.
उस समय पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने यूक्रेन के विदेश मंत्री के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी. हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिलावल भुट्टो ने इन आरोपों का खंडन किया था कि पाकिस्तान यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई नहीं कर रहा है. बिलावल भुट्टो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि इस तरह के लंबे संघर्षों के बीच सिर्फ आम लोग ही पिसते हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बिलावल भुट्टो ने यह उम्मीद भी जताई थी कि दोनों देशों के बीच जल्द ही शांति स्थापित हो जाए, जिससे रूस और यूक्रेन में रहने वाले लोग आराम के साथ जिंदगी जी पाएं.
आपको बता दें कि पिछले साल फरवरी में शुरू हुआ रूस और यूक्रेन का युद्ध पिछले डेढ़ साल से जारी है. दोनों देशों के बीच सुलह की कोई संभावना दूर दूर तक नहीं नजर आ रही है. युद्ध में एक खेमा अमेरिका के समर्थन वाला पश्चिमी देशों का है तो दूसरे खेमे में रूस और चीन जैसे सुपरपावर हैं.
भारत इस युद्ध में हमेशा तटस्थ की भूमिका में ही रहा है. भारत ने अंतराष्ट्रीय मंचों पर हमेशा दोनों देशों के बीच बातचीत और कूटनीति के जरिए मुद्दा सुलझाने की वकालत की है.