
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर पुतिन की सेना ने एक बड़ा दावा किया है. रूसी सेना ने शनिवार को कहा कि उसके सैनिकों ने यूक्रेन के जापोरिज्जिया क्षेत्र में एक आक्रमण शुरू किया था, जहां कई महीनों के मोर्चे के बाद इस सप्ताह लड़ाई तेज हो गई है. अपनी डेली रिपोर्ट में, मॉस्को की सेना ने कहा कि उन्होंने क्षेत्र में आक्रामक संचालन का नेतृत्व किया और दावा किया कि वे युद्ध भूमि में बेहतर स्थिति में हैं.
पिछले 332 दिनों से चल रहा रूस और यूक्रेन की सेनाओं के बीच जंग चल रही है. इस जंग में हजारों लोग अपनी जान गवां चुके हैं. यूक्रेन के कई शहर तबाह हो चुके हैं. उन पर रूसी सेना ने कब्जा कर लिया है. मौजूदा हालातों को देखते हुए दुनियाभर के देशों ने अपने-अपने हिसाब से एक पक्ष चुन लिया है. पश्चिमी देश तो खुलकर यूक्रेन के पक्ष में उतर आए हैं. फिर चाहे अमेरिका हो या ब्रिटेन, सभी यूक्रेन को हथियार सप्लाई कर रहे हैं.
यूक्रेन के पक्ष में USA के बोल
इस सबके बीच अमेरिका के जनरल मार्क मिले ने बीते दिन शुक्रवार को ही बड़ा दावा किया था. जिसमें उन्होंने कहा कि यूक्रेन के लिए इस साल रूसी सेना को अपने क्षेत्र से खदेड़ना बहुत मुश्किल है. अमेरिका के शीर्ष जनरल मार्क मिले ने कहा, 'एक सैन्य दृष्टिकोण से मैं अभी भी इस बात पर कायम हूं कि इस वर्ष यूक्रेनी सेना के लिए रूसी सैनिकों को रूसी कब्जे वाले इलाकों से बेदखल करना बहुत मुश्किल होगा.'
अमेरिकी और यूक्रेनी अधिकारियों के बीच अहम बैठक
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही अमेरिकी सेना प्रमुख मार्क मिले और यूक्रेन के मुख्य सैन्य अधिकारी जनरल वालेरी जैलुजनी के बीच बैठक हुई थी. एक अज्ञात स्थान पर यह बैठक घंटों तक चली थी. अमेरिकी सैन्य अधिकारी मिले के प्रवक्ता ने बताया था कि दोनों नेताओं ने महसूस किया कि व्यक्तिगत रूप से मिलना महत्वपूर्ण है. दोनों के बीच रक्षा सहयोग के बारे में विस्तार से बात हुई है. पहली बार यूक्रेनी सैन्य अधिकारी से मिलकर मुलाकात हुई है.
भारत की ओर टिकीं सभी की निगाहें
गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन में शांति बनाने के लिए कई देश भारत की ओर उम्मीद से देख रहे हैं. एक फ्रांसीसी पत्रकार लौरा हैम का तो ये तक कहना है कि ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो बातचीत के लिए यूक्रेन और रूस को एक मेज पर ला सके. बहुत सारे लोग अब कह रहे हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वार्ता की शुरुआत को सुविधाजनक बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. हालांकि, इस समय यह बेहद मुश्किल लग रहा है क्योंकि यूक्रेन अब चर्चा नहीं करना चाहता है. वह चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर कोई फैसला करे.