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PM मोदी और ट्रंप की मीटिंग से पहले रूस ने दिया ऐसा ऑफर, बढ़ेगा भारत का 'धर्मसंकट'?

पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात से पहले रूस ने भारत को फाइटर जेट SU-57 को लेकर बड़ी डील ऑफर की है. इसके तहत भारत चाहे तो इन फाइटर जेट्स को सीधा खरीद सकता है या उनका सह-उत्पादन भी कर सकता है. रूस की डिफेंस कंपनी Rosoboronexport ने आधिकारिक तौर पर भारत को यह प्रस्ताव भेजा है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 5:31 PM IST

रूस ने भारत को अपने धांसू फाइटर जेट SU-57 से जुड़ी एक बड़ी डील ऑफर की है. रूस का यह ऑफर ऐसे समय पर आया जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी मुलाकात करने वाले हैं. इस डील के तहत भारत चाहे तो इन फाइटर जेट्स को सीधा खरीद सकता है या उनका सह-उत्पादन भी कर सकता है. रूस की डिफेंस कंपनी Rosoboronexport ने भारत को यह प्रस्ताव दिया है. बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया में भी रूस ने पहली बार अपने इस फाइटर जेट का शक्ति प्रदर्शन भी किया है.

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दूसरी ओर, अमेरिका भी चाहता है कि भारत उससे फाइटर जेट खरीदे. अमेरिका ने भी एयरो इंडिया में अपने एफ-35 विमान की ताकत दिखाई है. सूत्रों का कहना है कि, पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे में भारत अमेरिका के साथ रक्षा सौदा कर सकता है जिसमें फाइटर जेट्स की खरीद भी शामिल हो सकती है.

हालांकि, अभी भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि ट्रंप किसी भी हाल में भारत के साथ एक अच्छी डिफेंस डील करना चाहते हैं. अमेरिका चाहता है कि भारत उससे ही फाइटर जेट्स को लेकर डील करे. भारत को अब बेहद सोच-समझकर फैसला लेना है.

रूस से सबसे ज्यादा हथियारों की खरीदारी करता है भारत

भारत और रूस में दशकों से मजबूत रक्षा संबंध हैं. पिछले काफी समय से दोनों देश बड़े रक्षा सौदे करते आए हैं. भारतीय सेना के पास अधिकतर हथियार रूस से ही खरीदे गए हैं. पिछले साल स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में बताया गया कि, भारत पिछले 5 सालों में विश्व में सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश बन गया. रिपोर्ट के अनुसार. भारत ने सबसे ज्यादा हथियार रूस से ही खरीदे.

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भारत ने 21वीं सदी के शुरुआती सालों में रूस के साथ स्टील्थ लड़ाकू विमान के सह-उत्पादन के लिए रूस के साथ डील की थी. साल 2010 में एक डिजाइन समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, साल 2018 में भारत इस डील से हट गया क्योंकि भारत को अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान (एएमसीए) पर ध्यान केंद्रित करना था.

रक्षा के मामले में रूस और अमेरिका दोनों ही भारत के लिए प्रमुख सहयोगी रहे हैं. हालांकि, इन दोनों देशों का नजरिया जरूर अलग-अलग है. रूस पिछले लंबे समय से भारत का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक रहा है. भारतीय सेना में अधिकतर हथियार रूस से खरीदे गए हैं. इसके साथ ही रूस ने भारत के साथ लगातार रक्षा तकनीक साझा की है, जिससे ब्रह्मोस मिसाइल, एके-203 राइफल्स और Su-30MKI लड़ाकू जेट जैसे एडवांस सुरक्षा हथियारों का संयुक्त तौर पर उत्पादन किया गया. 

दूसरी ओर, अमेरिका ने भी इस बीच भारत के साथ डिफेंस कारोबार बढ़ाया है. भारत और अमेरिका का संयुक्त सैन्य अभ्यास का भी विस्तार हुआ है. इसके साथ कई बड़े सौदे किए गए हैं. 

अमेरिका सिर्फ सामान बेचता है, सह-उत्पादन नहीं करना चाहता

विदेशी मामलों के एक्सपर्ट कमर चीमा फाइटर जेट्स की खरीद को लेकर कहते हैं कि,  रूस चाहता है कि भारत के साथ उसके रक्षा संबंध मजबूत हों. अमेरिका भी भारत के साथ कारोबार चाहता है लेकिन अपनी टेक्नोलॉजी शेयर नहीं करना चाहता है. हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप यह जरूर चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी उनसे हथियार खरीदें. लेकिन सवाल है कि क्या अमेरिकी सेना सह-उत्पादन के लिए मानेगी. टेक्नोलॉजी शेयर करने में राजी होगी.

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कमर चीमा कहते हैं कि, भारत का अमेरिका के साथ रक्षा सौदे पर नुकसान यह है कि, अमेरिका वाले बहुत ज्यादा गारंटी लेते हैं. वह सह-उत्पादन या टेक्नोलॉजी ट्रांसफर नहीं करते हैं. इसके उलट रूस कहता है कि हम आपका प्रोडक्शन में सपोर्ट करेंगे. मेंटेनेंस और टेक्नोलॉजी में सपोर्ट करेंगे. कमर चीमा ने कहा कि, अमेरिका कभी ऐसा नहीं करेगा. 

कमर चीमा कहते हैं कि, रक्षा उपकरणों के सह-उत्पादन के पीछे भारत का मुख्य लक्ष्य इन चीजों को अपने यहां बनाकर दूसरे देशों को निर्यात करना है. भारत ने रूस के साथ मिलकर जो ब्रह्मोस मिसाइल बनाई थीं, उन्हें भारत ने फिलीपींस और इंडोनेशिया को बेचा है. अब वियतनाम के साथ भी भारत डील करने जा रहा है. 

अगर भारत ने रूस से फाइटर जेट खरीदे तो पश्चिम देश कर सकते हैं सवाल

कमर चीमा ने कहा कि, अब अगर भारत रूस से फाइटर जेट्स खरीदता है तो पश्चिमी देश घेरने की कोशिश करेंगे. भारत अगर रूस के विमान खरीदता है तो फ्रांस भी कहेगा कि, जब हम आपके लिए कारोबार को ओपन हैं तो रूस के पास आप क्यों जा रहे हैं. दूसरी तरफ, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप भी इस मामले में सख्त हैं. ट्रंप की ओर से यह दबाव बनाया जा सकता है कि, भारत अमेरिका से फाइटर जेट्स खरीदे.

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कमर चीमा ने कहा कि, भारत रूस के साथ कमफर्टेबल है लेकिन ट्रंप को इससे दिक्कत हो सकती है. अगर भारत ऐसा करता है तो ट्रंप नाराज होकर प्रतिबंध लगा सकते हैं. या फिर भारत दोनों देशों से कारोबार जारी भी रख सकता है. कुछ सामान रूस से तो कुछ सामान अमेरिका से खरीदकर. एक्सपर्ट ने कहा कि, उनके नजरिए में भी भारत के लिए यही करना सबसे ठीक है कि दोनों देशों से हथियार खरीदे.

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