
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सितंबर महीने में भारत में होने जा रही जी20 समिट (G20 Summit) में शामिल नहीं होंगे. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने पुतिन के भारत नहीं आने के पुष्टि की है. साथ ही उन्होंने कहा है कि येवगेनी प्रिगोझिन की विमान दुर्घटना में हुई मौत में क्रेमलिन की संलिप्तता के आरोप बिल्कुल झूठ हैं. पेसकोव का कहना है कि पश्चिमी देशों का कहना है कि प्रिगोझिन की मौत के पीछे क्रेमलिन का हाथ है, यह पूरी तरह से झूठ है.
दरअसल, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं होंगे. इसकी पुष्टि क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने शुक्रवार को की है. पेसकोव ने कहा है कि राष्ट्रपति की सितंबर महीने में भारत आने की फिलहाल कोई योजना नहीं है. बता दें कि, जोहान्सबर्ग में हाल ही में समाप्त हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पुतिन व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हुए थे. उनका प्रतिनिधित्व रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने किया था.
येवगेनी की प्लेन क्रैश में मौत
23 अगस्त को रूस से खबर आई थी कि वैगनर आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन का प्लेन क्रैश हो गया है. यह विमान दुर्घटना मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग के बीच हुई थी. इस हादसे में प्रिगोझिन समेत 10 लोगों के मारे जाने की बात कही गई थी. प्रिगोझिन उसी वैगनर आर्मी के चीफ थे, जिसने जून में रूसी सेना के खिलाफ विद्रोह किया था. खास बात ये है कि कभी प्रिगोझिन को पुतिन के सबसे करीबी नेताओं में एक माना जाता था. येवगेनी प्रिगोझिन पुतिन के रसोइये के तौर पर जाने जाते थे.
कौन थे प्रिगोझिन, क्या था यूक्रेन जंग में रोल?
येवगेनी प्रिगोझिन पुतिन के रसोइये के तौर पर जाने जाते थे. प्रिगोझिन का जन्म 1961 में लेनिनग्राड (सेंट पीट्सबर्ग) में हुआ था. प्रिगोझिन 20 साल की उम्र में ही मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी समेत कई मामलों में वांछित हो गए थे. इसके बाद उन्हें 13 साल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, उन्हें 9 साल में ही रिहा कर दिया गया था.
ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि यूक्रेन में हजारों की संख्या में भाड़े के सैनिक मौजूद रहे हैं. भाड़े के ये सैनिक वैगनर ग्रुप से जुड़े बताए गए थे.
- मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया जाता है कि यूक्रेन जंग में जल्द से जल्द जीत हासिल करने के मकसद से वैगनर ग्रुप को जंग में उतारा गया था.
- न्यूज एजेंसी ने दावा किया था कि प्रिगोझिन ने रूस की जेलों में बंद कैदियों को वैगनर ग्रुप से जोड़ा. प्रिगोझिन ने इन कैदियों से वादा किया है कि अगर वो जिंदा बच गए तो उनकी सजा माफ कर दी जाएगी.
- मई में एक इंटरव्यू में प्रिगोझिन ने बताया था कि उन्होंने 50 हजार से ज्यादा कैदियों को भर्ती किया है. इनमें से 10 हजार कैदी बखमुत में मारे गए हैं. इतनी ही संख्या में वैगनर ग्रुप के लड़ाके भी मारे गए हैं.
- अमेरिका ने अनुमान लगाया था कि यूक्रेन में जंग लड़ने के लिए वैगनर ग्रुप हर महीने 10 करोड़ डॉलर खर्च कर रहा है.
CIA ने जताई थी प्रिगोझिन की हत्या की आशंका
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि उन्हें उन रिपोर्टों पर आश्चर्य नहीं है, जिसमें वैगनर चीफ येवगेनी प्रिगोझिन की प्लेन क्रैश में मौत की बात कही जा रही है. उन्होंने इस घटना के पीछे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बताया है. जानकारों का कहना है कि यह घटना पुतिन के लिए दूसरों को चेतावनी देने का एक तरीका हो सकती है जो उन्हें धोखा दे सकते हैं. या रूसी सेना को अपना समर्थन दिखाने का एक तरीका हो सकता है. दरअसल, प्रिगोझिन ने जून में रूसी रक्षा मंत्री और सेना पर गंभीर आरोप लगाते हुए विद्रोह किया था.
सितंबर में आयोजित होगा शिखर सम्मेलन
G-20 का कोई स्थायी अध्यक्ष नहीं है. जिस सदस्य देश के पास इसकी अध्यक्षता होती है, वही समिट का आयोजन करता है. 1 दिसंबर 2022 से भारत के इसका अध्यक्ष है. भारत नवंबर 2023 तक G-20 का अध्यक्ष रहेगा. G20 नेताओं का शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित होगा.
क्या है G-20?
- G-20 का गठन 1999 में हुआ था. तब ये वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों का संगठन हुआ करता था. इसका पहला सम्मेलन दिसंबर 1999 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हुआ था. 2008-2009 में दुनिया में भयानक मंदी आई थी. इस मंदी के बाद इस संगठन में बदलाव हुए और इसे शीर्ष नेताओं के संगठन में तब्दील कर दिया गया.
- साल 2008 में अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में इसकी समिट हुई. 2009 और 2010 में साल में दो बार G-20 समिट का आयोजन होता था. 2009 में लंदन और पिट्सबर्ग में, जबकि 2010 में टोरंटो और सियोल में इसका आयोजन हुआ. 2011 के बाद से ये साल में एक बार ही होती है.
- G-20 के सदस्यों में भारत के अलावा अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, साउथ अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं. दुनिया की 80 फीसदी जीडीपी और 75 फीसदी कारोबार G-20 के देशों में ही होता है. इतना ही नहीं, दुनिया की दो-तिहाई आबादी भी इन्हीं देशों में रहती है.