
लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) को न्यूयॉर्क के बफ़ेलो के पास चौटाउक्वा में एक कार्यक्रम के दौरान चाकू घोंपकर घायल कर दिया गया. हमले के तुरंत बाद उन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए अस्पताल ले जाया गया जहां पर उनका इलाज जारी है. न्यू यॉर्क की गर्वनर Kathy Hochul ने जानकारी दी है कि सलमान रुश्दी जिंदा हैं और उन्हें एक लोकल अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है. हमलावर भी गिरफ्तार हो चुका है. उसकी पहचान Hadi Matar के रूप में हुई है जिसकी उम्र 24 साल है.
अब इतने बड़े लेखक पर इस तरह से हमला क्यों किया गया, ऐसा क्या विवाद है जिसकी वजह से उन पर ये हमला हुआ? न्यूयॉर्क की पुलिस ने तो अभी तक कोई औपचारिक जानकारी साझा नहीं की है, लेकिन उनका निजी जीवन विवादों से भरा रहा है और उन्हें जान से मारने की धमकी तो 1989 से मिलती आ रही है. एक नजर इस हमले पर और उनके जीवन पर डालते हैं-
- शुक्रवार की सुबह लेक्चर देने से पहले CHQ 2022 कार्यक्रम के लिए मंच पर जाते समय लेखक पर जानलेवा हमला किया गया था. न्यूयॉर्क पुलिस ने बताया कि एक संदिग्ध ने, लेखक के लेक्चर से पहले मंच पर पहुंचकर उनका पर जानलेवा हमला किया.
- हमलावर ने सलमान पर चाकू से कम से कम 15 बार वार किया. उनकी गर्दन पर ये हमला किया गया, उन्हें घूंसे भी मारे गए. इस वजह से लेखक स्टेज से गिर गए और उन्हें तुरंत रेस्क्यू कर अस्पताल ले जाया गया. सलमान के अलावा स्टेज पर मौजूद इंटरव्यू लेने वाले शख्स पर भी हमलावर ने जानलेवा वार किया. उसका भी एक लोकल अस्पताल में इलाज जारी है. उनकी एक जरूरी सर्जरी की जा रही है.
- हमले के तुरंत बाद पुलिस ने मौके से आरोपी हमलावर को गिरफ्तार कर लिया था. उससे अभी पूछताछ जारी है, जानने का प्रयास है कि आखिर क्यों सलमान रुश्दी पर हमला किया गया. क्या कोई पुरानी दुश्मनी थी या फिर किसी और साजिश के तहत इस हमले को अंजाम दिया गया. पुलिस, FBI के साथ मिलकर हमले के उदेश्य को समझने की कोशिश कर रही है.
सलमान को मिला था बुकर प्राइज, The Satanic Verses पर हुआ विवाद
असल में सलमान रुश्दी एक जाने-माने लेखक हैं. साल 1981 में उनकी एक किताब आई थी Midnight's Children. उस किताब के जरिए आजादी के बाद भारत में तेजी से बदले हालात को खूबसूरती से बताया गया था. उस किताब के लिए सलमान को बुकर प्राइज से भी सम्मानित किया गया था.
लेकिन इस सफलता से सलमान खुश हो पाते, उससे पहले ही उनकी एक दूसरी किताब ने बड़ा बवाल खड़ा कर दिया. उस किताब का नाम था The Satanic Verses. ईरान में इस किताब का बिल्कुल भी स्वागत नहीं किया गया. वहां के मुस्लिम समाज ने आरोप लगा दिया कि ये किताब उनके धर्म का अपमान करती है.
उस किताब के बाद हालात इतने बिगड़ गए कि साल 1989 में ईरान के दिवंगत नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने एक फतवाजारी किया, जिसमें रुश्दी की मौत का आह्वान किया गया था. यही नहीं फतवा में रुश्दी को मारने वाले को 3 मिलियन डॉलर से अधिक का इनाम देने की बात भी कही गई थी.
-विवाद को देखते हुए सलमान रुश्दी को कई सालों तक छिपकर रहना पड़ा. वे अपने परिवार से भी नहीं मिल पाए. करीब दस साल तक ऐसे ही उनका लुका-छुपी का खेल चलता रहा. उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलती रहीं और वे खुद को बचाने का हर प्रयास करते रहे.
लेकिन 10 साल बाद उनकी जिंदगी में एक बड़ी राहत आई. साल 1998 में ईरान ने साफ कर दिया कि वे सलमान रुश्दी की हत्या को बिल्कुल भी समर्थन नहीं देते हैं. उनकी तरफ से उस फतवे को भी कोई महत्व नहीं दिया गया. लेकिन ईरान का वो रुख भी एक समुदाय में सलमान के प्रति नफरत को कम नहीं कर सका.
इसी वजह से साल 2012 में, एक अर्ध-आधिकारिक ईरानी धार्मिक फाउंडेशन ने रुश्दी के लिए इनाम को 2.8 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 3.3 मिलियन डॉलर कर दिया. लेकिन तब खुद सलमान रुश्दी ने उन फतवों का या कह लीजिए कि उन धमकियों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और वे कई कार्यक्रम में शिरकत करते रहे.
लेकिन अब जब उन पर ये जानलेवा हमला हो गया है, सवाल उठने लगे हैं कि क्या उसी पुरानी दुश्मनी की वजह से उन्हें निशाना बनाया गया. क्या कुछ लोगों की नफरत ने उन्हें ये जानलेवा हमला करने पर मजबूर कर दिया? अभी इस मामले में पुलिस जांच जारी है और कोई भी बयान जारी करने से बचा जा रहा है.
सलमान पर हुए हमले पर बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने ट्वीट कर लिखा है कि सलमान पर हुए हमले से मैं स्तब्ध हूं. कभी नहीं लगा था कि ऐसा कोई हमला किया जा सकता है. वे पश्चिम में कई सालों से रह रहे हैं, 1989 से उनकी सुरक्षा भी की जा रही है. अगर उन पर हमला हो सकता है तो संदेश स्पष्ट है कि जो भी इस्लाम पर सवाल उठाता है, उसकी जान को भी खतरा है.