
मशहूर लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) पर हमले से पूरी दुनिया सन्न है. न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान सलमान रुश्दी पर चाकुओं से ताबतोड़ कई वार किए गए थे. रुश्दी पर हमला करने वाले शख्स की पहचान हादी मतार (Hadi Matar) के रूप में हुई है. अब खबर है कि हमलावर मतार के पिता ने खुद को अपने घर में कैद कर लिया है. उन्होंने इस मामले पर किसी से भी बात करने से इनकार किया है.
लेबनान के यारोन के मेयर अली तहफे का कहना है कि हमलावर के पिता ने दक्षिणी लेबनान के अपने घर में खुद को कैद कर लिया है और किसी से भी बात करने से इनकार कर दिया है.
मतार (24) मूल रूप से लेबनान का है. उसका परिवार दक्षिणी लेबनान के यारोन का रहने वाला है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तहफे का कहना है कि हमलावर के माता-पिता लेबनान से आकर अमेरिका में बस गए थे. अमेरिका में ही मतार का जन्म और लालन-पालन हुआ. लेकिन उनके पिता कुछ साल पहले ही लेबनान वापस चले गए थे.
तहफे ने बताया, हमलावर के पिता अभी देश में ही हैं लेकिन उन्होंने खुद को घर में ही कैद कर लिया है और वह इस मामले पर किसी भी तरह का बयान नहीं दे रहे हैं. हमने कोशिश की, हमने उनके घर लोगों को भेजा. हम खुद भी गए और उनका दरवाजा खटखटाया लेकिन वह किसी से भी बात करने को तैयार नहीं हैं.
हिजबुल्ला का रुश्दी पर हमले में हाथ होने से इनकार
लेबनान के ईरान समर्थित सशस्त्र समूह हिजबुल्ला के एक अधिकारी ने कहा कि रुश्दी पर हमले को लेकर उनके पास किसी तरह की अतिरिक्त जानकारी नहीं है.
अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, हमें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है इसलिए हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
बता दें कि हिज्बुल्ला समूह को भी ईरान का समर्थन है. समूह के पिछले नेता अयातुल्ला रुहोल्ला खमैनी ने 1989 में रुश्दी के खिलाफ ईशनिंदा के आरोप में फतवा जारी किया था.
यह पूछे जाने पर कि क्या मतार या उनके माता-पिता किसी तरह से हिज्बुल्ला का समर्थन करते हैं या उनसे जुड़े हुए हैं तो इस पर तहफे ने कहा कि मतार के माता-पिता के राजनीतिक विचारों को लेकर उनके पास कोई जानकारी नहीं है.
बता दें कि भारतीय मूल के रुश्दी पर शुक्रवार को न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान हमला किया गया था. हमलावर ने चाकू से उन पर लगातार कई वार किए गए थे. उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया था.
बुकर पुरस्कार विजेता सलमान रुश्दी 'द सैटेनिक वर्सेज' लिखने के बाद विवादों में आ गए थे. 1988 में प्रकाशित इस पुस्तक को लेकर विवाद खड़ा हो गया था. 1989 में ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खोमैनी ने इसे इस्लाम का अपमान बताकर उनके खिलाफ फतवा जारी किया था. भारत समेत कई देशों में सलमान रुश्दी की यह किताब प्रतिबंधित है.
खोमैनी ने सलमान रुश्दी को मारने वाले के लिए 30 लाख डॉलर के इनाम का ऐलान किया था.
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