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स्वीडन में मारा जाने वाला सलवान मोमिक कौन था? कुरान जलाने के अलावा थे कई आरोप, जानिए पूरी कहानी

सलवान मोमिका को जब गोली मारी गई, तब वह टिकटॉक पर लाइव-स्ट्रीमिंग कर रहा था. एक वीडियो में देखा गया कि पुलिस उसका फोन उठाकर लाइवस्ट्रीम खत्म करती दिख रही है.

सलवान मोमिका (तस्वीर: AP) सलवान मोमिका (तस्वीर: AP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:36 AM IST

इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ कुरान (Quran) की कई प्रतियों को जलाने वाले इराकी नागरिक सलवान मोमिका को स्वीडन में मृत पाया गया. एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्टॉकहोम के पास 29 जनवरी को मोमिका का शव गोली लगने के निशान के साथ मिला था. मोमिका एक पूर्व इराकी मिलिशिया नेता था, जो सत्ता संघर्ष के बाद इराक से फरार हो गया था.

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हालांकि, 38 वर्षीय सलवान मोमिका एक ईसाई से नास्तिक बन गया था, लेकिन मोमिका एक पूर्व-मुस्लिम की तरह व्यवहार करता था. उसकी मौत के वक्त, स्टॉकहोम की एक कोर्ट को इस बात पर फैसला सुनाना था कि क्या इराकी ईसाई से नास्तिक बने मोमिका को 2023 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान अपने कार्यों के बाद जातीय नफरत भड़काने का दोषी ठहराया जाएगा या नहीं. मोमिका की मौत की वजह से 30 जनवरी को अदालत की सुनवाई स्थगित कर दी गई.

हत्या के वक्त LIVE था मोमिका

स्वीडिश मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोमिका को जब गोली मारी गई, तब वह टिकटॉक पर लाइव-स्ट्रीमिंग कर रहा था. रॉयटर्स को एक वीडियो मिला है, जिसमें पुलिस उसका फोन उठाकर लाइवस्ट्रीम खत्म करती दिख रही है. 

जून 2023 में ईद के दौरान, सलवान मोमिका ने स्टॉकहोम की सबसे बड़ी मस्जिद के बाहर कुरान को कुचल दिया और फिर उसमें आग लगा दी, जबकि उसके एक दोस्त ने इस घटना को फिल्माया. मुसलमानों द्वारा इन कार्यों को अपमानजनक माना गया, और इसने इस्लामोफोबिया के बारे में चिंताओं को बढ़ा दिया.

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कौन था सलवान मोमिका?

मोमिका का जन्म उत्तरी इराक में स्थित शहर ताल अफ़र में एक ईसाई परिवार में हुआ था. वह इराक के पॉपुलर मोबिलाइज़ेशन फ़ोर्स से जुड़े एक मिलिशिया समूह इमाम अली ब्रिगेड (The Imam Ali Brigades) से जुड़ गया.

इमाम अली ब्रिगेड एक संगठन है, जिसकी स्थापना 2014 में हुई थी. France24 के मुताबिक, इस पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाया गया है. इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए इराकी सेना ने पॉपुलर मोबिलाइज़ेशन फ़ोर्स के तहत कई संगठनों को एक साथ किया है.

मोमिका ने 2017 में इराकी शहर मोसुल के बाहरी इलाके में अपना हथियारबंद समूह चलाया करता था. बेबीलोन के प्रमुख रेयान अल-कलदानी के साथ सत्ता संघर्ष के बाद उसे 2018 में इराक से भागना पड़ा, जो एक अन्य ईसाई मिलिशिया संगठन है. उसने पहले स्वीडन और बाद में नॉर्वे में शरण मांगना शुरू किया. उसे 2021 में स्वीडिश रेजीडेंसी परमिट दिया गया था, लेकिन स्वीडिश अधिकारियों के साथ उसके रिश्ते तनावपूर्ण हो गए.

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नास्तिक था सलवान मोमिका

ईसाई से नास्तिक बने सलवान मोमिका ने खुद को 'एक उदार नास्तिक आलोचक और विचारक' बताया. वह एक पूर्व-मुस्लिम की तरह व्यवहार करता था. पूर्व-मुस्लिम वे व्यक्ति होते हैं, जो एक बार मुस्लिम के रूप में पहचाने जाते थे, लेकिन व्यक्तिगत कारणों, अलग विश्वासों या इसकी शिक्षाओं, प्रथाओं या सामुदायिक मानदंडों से मोहभंग के कारण धर्म छोड़ देते हैं. 

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स्वीडन ने साल 2024 में सलवान की परमिट को रद्द कर दिया, क्योंकि उन्हें पता चला कि उसने अपने आवेदन में गलत जानकारी दी थी. अपने कट्टर इस्लाम विरोधी विचारों के लिए जाना जाने वाला मोमिका, कुरान को 'दुनिया की सबसे खतरनाक किताब' बताया और 'इस्लामिक विचारधारा के खिलाफ संघर्ष' जारी रखने की प्रतिबद्धता जाहिर की, चाहे इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े.

अपनी एक पोस्ट में उसने कहा, "मैं इस्लामी विचारधारा के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखूंगा. जब से मैंने इस्लाम के खिलाफ संघर्ष शुरू किया है, मैंने इसकी कीमत चुकाई है और चुकाता रहूंगा और मैं इसके लिए तैयार हूं, चाहे इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े."

मोमिका को शरण देने के लिए स्वीडन को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था. मोमिका के विवादास्पद कार्यों की वजह से सितंबर 2023 में स्वीडन के माल्मो में हिंसक झड़पें हुईं और देश में अभिव्यक्ति की आजादी की सीमाओं के बारे में विरोध प्रदर्शन हुए.

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हालांकि, स्वीडिश अदालतों ने अभिव्यक्ति की आजादी के आधार पर उनके विरोध के अधिकार को बरकरार रखा, लेकिन इस घटना ने अभिव्यक्ति की आजादी और धार्मिक विश्वासों के सम्मान के बीच संतुलन पर सवाल खड़े कर दिए. स्वीडन के विदेश मंत्री ने उनके कार्यों को 'इस्लामोफोबिया' कहा.

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मोमिका की कहानी एक दुर्लभ कहानी है, जो ताल अफर से शुरू होकर मोसुल की सड़कों पर बंदूकधारी मिलिशिया नेता से लेकर स्वीडन में शरणार्थी और माइक पकड़े कुरान जलाने वाले तक पहुंचती है. अब स्वीडन में रहने के लिए संघर्ष करते हुए  गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई.

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