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रूस से होड़ में सऊदी अरब ने किया ये फैसला, भारत को होगा बड़ा फायदा

सऊदी अरब के एशिया के दो बड़े खरीददार भारत और चीन तेल के लिए उस पर अपनी निर्भरता लगातार कम करते जा रहे हैं. ये देश अब रूस से तेल खरीद रहे हैं जो सऊदी के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. ऐसे में सऊदी लगातार अपने तेल के दाम में कमी ला रहा है.

सऊदी अरब ने तेल की कीमतों में कमी की है (Photo- AFP) सऊदी अरब ने तेल की कीमतों में कमी की है (Photo- AFP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:59 PM IST

सऊदी अरब की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको ने अपने फ्लैगशिप अरब लाइट कच्चे तेल की कीमतें एशिया के लिए घटा दी है. सऊदी ने अरब लाइट कच्चे तेल की कीमत पिछले 27 महीनों में सबसे कम कर दी है जिससे भारत को बड़ा फायदा होने वाला है. सऊदी अरब के इस कदम से भारत समेत एशियाई देशों को अब सस्ता तेल मिलेगा और कच्चे तेल के निर्यात की लागत में कमी आएगी.

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अरामको ने फरवरी के लिए अपने कच्चे तेल की शिपमेंट में 2 डॉलर प्रति बैरल की कमी की है. इससे पहले दिसंबर के महीने में जनवरी के शिपमेंट के लिए अरामको ने 1.5 डॉलर प्रति बैरल की कटौती की घोषणा की थी.

दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक सऊदी अरब ने एशिया समेत उत्तरी अमेरिका, उत्तर-पश्चिम यूरोपीय देशों के लिए भी अपने तेल की कीमत कम कर दी है.

तेल की कीमतें अचानक से कम क्यों करने लगा सऊदी अरब?

सऊदी अरब ओपेक प्लस देशों के साथ मिलकर लगातार तेल उत्पादन में कटौती कर रहा था ताकि तेल की कीमतें बढ़े लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी तेल की कीमतों में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ. अमेरिका ने कई बार सऊदी अरब से तेल का उत्पादन बढ़ाने को कहा लेकिन जब सऊदी ने ऐसा नहीं किया तब अमेरिका ने खुद अपना तेल उत्पादन भारी पैमाने पर बढ़ा दिया.

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अमेरिका के साथ-साथ गैर ओपेक देश ब्राजील और मैक्सिको ने भी अपना तेल उत्पादन बढ़ा दिया जिससे तेल बाजार में तेल की पर्याप्त उपलब्धता हो गई और तेल की कीमतें गिरने लगीं.

सऊदी अरब के लिए एशिया एक बड़ा बाजार है. दुनिया के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता चीन और भारत उसका सबसे अधिक तेल खरीदते हैं. ऐसे में तेल बाजार में अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए सऊदी को तेल की कीमतों में कमी करनी पड़ रही है. सऊदी नहीं चाहता कि अमेरिका और ब्राजील जैसे देश उसके हिस्से का तेल बेचें.

रूस भी है एक बड़ा फैक्टर

यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों को देखते हुए रूस ने भारत और चीन को रियायती दरों पर तेल ऑफर किया. भारत युद्ध से पहले रूस से अपने कुल तेल खरीद का 1% से भी कम तेल खरीदता था लेकिन जब रूस ने सस्ता तेल ऑफर किया तो भारत ने ताबड़तोड़ खरीद शुरू कर दी.

आज आलम यह है कि रूस सऊदी अरब को पीछे छोड़कर भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है. चीन भी रूस से भारी मात्रा में तेल की खरीद कर रहा है. इसे देखते हुए सऊदी अरब अपने तेल की कीमतों में कमी ला रहा है ताकि उसके बड़े खरीददार रहे भारत और चीन सऊदी से तेल की खरीद बढ़ा दें.

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