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अमेरिका की अपील को सऊदी अरब ने किया अनसुना, बाइडेन ने मजबूरी में उठाया बड़ा कदम

अमेरिका और दोस्त देश सऊदी अरब के बीच तनाव देखने को मिल रहा है. अमेरिका और सऊदी अरब के बीच ये हालात तेल के चलते पनपे हैं. कोरोना महामारी के चलते कच्चे तेल के उत्पादन को लेकर प्रमुख तेल उत्पादक देशों ने कई तरह की रणनीति अपनाई है लेकिन इन रणनीतियों से अमेरिका के हालात बिगड़े हैं. अमेरिकी प्रशासन के काफी गुजारिश करने के बावजूद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस अपनी बात पर अडिग हैं. 

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और जो बाइडेन फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और जो बाइडेन फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 25 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:01 PM IST
  • जो बाइडेन की बात नहीं सुन रहे सऊदी क्राउन प्रिंस
  • तेल के मसले को लेकर परेशानी में अमेरिकी राष्ट्रपति

अमेरिका और दोस्त देश सऊदी अरब के रिश्तों में तनाव देखने को मिल रहा है. अमेरिका और सऊदी अरब के बीच ये हालात तेल के चलते पनपे हैं. कोरोना महामारी के चलते कच्चे तेल के उत्पादन को लेकर प्रमुख तेल उत्पादक देशों ने जो रणनीति अपनाई है, उससे अमेरिका के हालात बिगड़े हैं. अमेरिकी प्रशासन के काफी गुजारिश करने के बावजूद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस तेल की आपूर्ति ना बढ़ाने के फैसले पर अडिग हैं. 

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अमेरिका ने थक-हारकर बीते मंगलवार घोषणा की कि पेट्रोल के दाम कम करने के लिए वो अपने 'रणनीतिक भंडार' से 5 करोड़ बैरल कच्चा तेल जारी करेगा, ताकि इससे अमेरिकी लोगों को राहत मिले. माना जा रहा है कि अमेरिका के इस बड़े कदम से बाजार में तेल की आपूर्ति में काफी इजाफा देखने को मिलेगा. 

तेल उत्पादक देशों ने कोरोना काल में लिया था बड़ा फैसला

गौरतलब है कि पिछले डेढ़ साल से, तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) और रूस (सभी को मिलाकर 'ओपेक प्लस') के बीच एक सहमति बनी हुई थी. इस सहमति के अनुसार, कोरोना महामारी के चलते तेल की मांग कम हुई और तेल के दाम भी काफी कम हुए थे जिसके बाद इन देशों ने तेल का उत्पादन घटाने का फैसला किया था. कच्चे तेल के इन प्रमुख उत्पादक देशों की कोशिश है कि तेल के दाम को बढ़ाने के लिए बाजार को नियंत्रण में रखा जाए. हालांकि, अमेरिका ने कोरोना महामारी का असर कम होने के बाद इन देशों से लगातार गुजारिश की है कि तेल का उत्पादन तेजी से बढ़ाया जाए लेकिन इन देशों ने साफ तौर पर ऐसा करने से मना किया है और कहा है कि वे अपने उत्पादन को धीरे-धीरे और सीमित मात्रा में ही बढ़ाएंगे. 

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अमेरिका में मुद्रास्फीति 30 सालों के उच्च स्तर की ओर बढ़ रही है और गैसोलीन की कीमतों में भी लगातार वृद्धि हो रही है. अक्टूबर के महीने में बाइडेन ने कहा था कि रूस और सऊदी अरब जैसे तेल उत्पादक देशों ने ज्यादा से ज्यादा तेल को पंप ना करने का फैसला किया है जिसके चलते हमें गैसोलीन की कमी महसूस हो रही है, ये तरीका सही नहीं है. अमेरिकी दूतों ने भी सऊदी अरब से लगातार गुजारिश की है कि वे कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा दें लेकिन सऊदी अरब पर किसी तरह के राजनयिक दबाव का असर होता नहीं दिख रहा है. 

सऊदी क्राउन प्रिंस से अब तक बात नहीं की है बाइडेन ने

गौरतलब है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से अब तक बाइडेन ने मुलाकात नहीं की है. बाइडेन ने भले ही सऊदी किंग यानी उनके पिता से बात की हो लेकिन क्राउन प्रिंस के साथ बाइडेन ने अब तक सीधे तौर पर डील नहीं किया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2018 में वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या में क्राउन प्रिंस की भूमिका को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं और शायद इसी कारण के चलते बाइडेन ने क्राउन प्रिंस से अब तक बात नहीं की है. 

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