
'विजन 2030' पर काम कर रहे सऊदी अरब को लेकर न्यूज बेवसाइट पॉलिटिको ने एक बड़ा खुलासा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी हथियाने के लिए सऊदी अरब ने ग्रीस और मिस्र को गुपचुप एक बड़ा ऑफर दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब ने ग्रीस और मिस्र के सामने पेशकश की है कि अगर वे उसके साथ मिलकर फीफा वर्ल्ड कप की संयुक्त मेजबानी के लिए दावा करते हैं तो वह दोनों देशों में नए खेल स्टेडियमों को बनाने का खर्च उठाएगा. प्रस्तावित डील के मुताबिक, सऊदी अरब को इसके बदले वर्ल्ड कप के तीन-चौथाई मैचों की मेजबानी करने का मौका मिलेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब ने जिन स्टेडियम निर्माण का प्रस्ताव दिया है. उसके निर्माण में अरबों यूरो की लागत आने की संभावना है. पोलिटिको के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि सऊदी अरब के शासक मोहम्मद बिन सलमान और ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस के बीच 2022 की गर्मियों में एक निजी बातचीत के दौरान इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी.
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अन्य देशों से मुकाबला करने के लिए देश की रूढ़िवादी नीतियों को लगातार बदल रहे हैं. इसलिए विजन 2030 को साधते हुए सऊदी अरब खेल क्षेत्र में भी हाथ आजमाने की कोशिश कर रहा है.
फुटबॉल वर्ल्ड कप में सऊदी अरब की दिलचस्पी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि फीफा वर्ल्ड कप 2022 में सऊदी अरब ने उलटफेर करते हुए अर्जेंटीना के खिलाफ शानदार जीत हासिल की थी. जिसके बाद सऊदी सरकार ने राष्ट्रीय अवकाश तक की घोषणा कर दी थी.
सऊदी अरब ने भारी-भरकम रकम खर्च करने की पेशकश की
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने पोलिटिको को बताया कि सऊदी अरब, ग्रीस और मिस्र के लिए मेजबानी की लागतों को पूरी तरह से कम करने के लिए तैयार है. बशर्ते फीफा विश्व कप 2030 के 75 प्रतिशत मैच सऊदी अरब में आयोजित करने दिए जाएं.
हालांकि रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं है कि प्रस्ताव स्वीकार किया गया था या नहीं. लेकिन इतना जरूर है कि 2030 के टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए तीनों देश अब संयुक्त प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं. हालांकि, ग्रीस के इस कदम की आलोचना की जा रही है.
सऊदी अरब की ओर से ग्रीस को की गई पेशकश इस आलोचना को हवा देगी कि सऊदी अरब वोटिंग सिस्टम का चतुराई से लाभ उठाते हुए ट्रांस-कॉन्टिनेंटल गठबंधन बनाकर विश्व कप की मेजबानी खरीदने का प्रयास कर रहा है.
दरअसल, फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी का निर्णय पूरे फीफा कांग्रेस के सदस्यों की पब्लिक वोटिंग से की जाती है. फीफा कॉंग्रेस में दुनिया भर के 200 से अधिक सदस्य हैं.
ऐसे में अगर मिस्र, ग्रीस और सऊदी निवेश से आकर्षित अफ्रीकी देश सऊदी अरब का समर्थन कर सकते हैं. इसके अलावा अगर सऊदी अरब एशियाई देशों से भी समर्थन लेने में सफल हो जाता है, तो सऊदी अरब के पास विश्व कप की मेजबानी जीतने का एक अच्छा मौका होगा. क्योंकि ऐसी उम्मीद है कि ग्रीस कुछ यूरोपीय वोटों को साधने में सफल हो सकता है.
मेजबानी मिलने की उम्मीद कम
सऊदी अरब ग्रीस और मिस्र के साथ मिलकर इसलिए संयुक्त बोली लगा रहा है ताकि फीफा को टूर्नामेंट के आयोजन में भौगोलिक संतुलन का प्रस्ताव पेश कर सके. हालांकि, मध्य पूर्व के एक और देश कतर ने 2022 फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी की है. ऐसे में सऊदी अरब की बोली सफल होने की संभावना बहुत ही कम है.
सऊदी अरब के मुख्य प्रतिद्वंद्वियों में यूरोप से स्पेन, पुर्तगाल और यूक्रेन की संयुक्त बोली और दक्षिण अमेरिका से अर्जेंटीना, उरुग्वे, पैराग्वे और चिली की बोली शामिल है.
न्यूज वेबसाइट पोलिटिको ने टिप्पणी के लिए तीनों सरकारों से संपर्क किया. ग्रीस, मिस्र और सऊदी अरब तीनों देशों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. वहीं फुटबॉल की गवर्निंग बॉडी फीफा ने भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
सऊदी अरब क्यों कर रहा है इतना निवेश
विश्व कप का आयोजन प्रमुख खेल आयोजनों पर हावी होने के लिए सऊदी अरब की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है. हाल ही में सऊदी अरब ने सार्वजनिक निवेश कोष से एक प्रमुख अंग्रेजी फुटबॉल क्लब खरीदा है. इसके अलावा सऊदी अरब 2027 में पहली बार एशियाई फुटबॉल कप की मेजबानी करेगा. लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब की विश्व कप के मंचन की इच्छा खेल भावनाओं से अलग है.
पेरिस में स्केमा बिजनेस स्कूल में खेल और भू-राजनीतिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर साइमन चाडविक का कहना है, "सऊदी अरब रणनीतिक रूप से खुद को एक नई विश्व व्यवस्था का केंद्र 'एफ्रो-यूरेशियन' हब के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. सऊदी अरब की यह स्थिति उसे एक विशाल भौगोलिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण शक्ति और प्रभावी बनने में सक्षम बनाएगी."
उन्होंने कहा कि मिस्र और ग्रीस के साथ मिलकर विश्व कप का बहुध्रुवीय मंचन सऊदी अरब का न तो परोपकार होगा और न ही उदारता. बल्कि, यह एक व्यापक योजना का हिस्सा होगा. जिसे सऊदी सरकार स्टेडियमों के संभावित उपहार के माध्यम से सफल बनाने की कोशिश कर रही है.