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सऊदी अरब के इस कदम से पुतिन को मिली और ताकत

रूस पर अमेरिका और कड़े प्रतिबंध लगा सकता है लेकिन सऊदी अरब इसे लेकर रूस का साथ देने से पीछे हटने को तैयार नहीं है. सऊदी अरब का कहना है कि ओपेक से राजनीति को दूर रखा जाए और इसके मूल्यों को महत्व दिया जाए. उसका कहना है कि वो ओपेक, जिसमें रूस भी शामिल है, को लेकर एक समझौता करने वाला है.

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Photo- Reuters) सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:49 PM IST
  • सऊदी अरब की अमेरिका को दो टूक
  • ओपेक प्लस से रूस को नहीं करेगा अलग
  • ओपेक के नए समझौते में रूस भी शामिल

तेल निर्यातक देश सऊदी अरब, अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद रूस को ओपेक प्लस (Organisation Of Petroleum Exporting Countries, OPEC+) से बाहर निकालने को तैयार नहीं है. रूसी तेल पर यूरोपीय संघ भी जल्द ही पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने वाला है लेकिन इन सबके बाद भी सऊदी रूस से अपनी साझेदारी जारी रखेगा. सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान ने कहा है कि सऊदी अरब ओपेक प्लस, जिसमें रूस भी शामिल है, से एक समझौता करने वाला है.

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फाइनेंशियल टाइम्स से बात करते हुए प्रिंस अब्दुलअजीज ने कहा कि दुनिया को इसे राजनीतिक रंग न देते हुए ओपेक प्लस गठबंधन के मूल्यों की सराहना करनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'सऊदी अरब ओपेक + के साथ एक समझौते पर काम करने की उम्मीद कर रहा है, जिसमें रूस भी शामिल है.'

ओपेक+ 24 तेल उत्पादक देशों का एक समूह है, जो 14 ओपेक सदस्यों और रूस सहित 10 गैर-ओपेक देशों से बना है. ओपेक प्लस को 2017 में तेल उत्पादन में बेहतर समन्वय और वैश्विक कीमतों को स्थिर करने के प्रयास में बनाया गया था.

प्रिंस अब्दुलअजीज की ओपेक प्लस को लेकर की गई टिप्पणी से अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों को एक कड़ा संदेश गया है. सऊदी अरब ने स्पष्ट कर दिया है कि वो रूस या उसके तेल निर्यात को अलग-थलग करने के पश्चिम के प्रयास में साथ नहीं देगा.

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अमेरिका से सऊदी अरब के बिगड़ते संबंध

सऊदी अरब और अमेरिका के बीच अच्छी दोस्ती मानी जाती है लेकिन जब से राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पदभार संभाला है, दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान वॉशिंगटन पोस्ट के सऊदी पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या को लेकर भी अमेरिका के निशाने पर रहे हैं.

इसके अलावा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) दोनों ईरान को लेकर भी अमेरिका से नाराज चल रहे हैं. अमेरिका ईरान के साथ अपने परमाणु-समझौते को दोबारा लागू करने की कोशिश में है लेकिन यूएई और सऊदी दोनों इसके खिलाफ हैं.

ओपेक प्लस से राजनीति को दूर रखा जाए

प्रिंस अब्दुलअजीज ने कहा है कि राजनीति को ओपेक+ से दूर रखा जाना चाहिए. दुनिया भर में आई मुश्किल स्थिति का सामना करने के लिए जरूरत है कि राजनीति को तेल के बीच न लाया जाए.

उन्होंने कहा, 'हमारे सामने एक ऐसी स्थिति है जिसमें लोगों को एक साथ बैठने, चिंतन करने, बहाने बंद करने और राजनीति से दूर रहने की जरूरत है.'

पेट्रोल की बढ़ती कीमत से परेशान दुनिया

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी हुई है जिससे दुनियाभर में महंगाई बढ़ती जा रही है. सऊदी अरब पर अमेरिका और पश्चिमी देश लगातार ये दबाव बना रहे हैं कि वो कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाए लेकिन सऊदी इससे इनकार करता रहा है. सऊदी अरब कहता रहा है कि वर्तमान में तेल की जितनी आपूर्ति हो रही है, वो काफी है.

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प्रिंस अब्दुलअजीज का कहना है कि बाजार की अनिश्चितताओं को देखते हुए वो भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि नया ओपेक+ समझौता कैसा होगा. लेकिन वो इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि अगर मांग बढ़ती है तो ओपेक प्लस समूह तेल के उत्पादन को बढ़ाएगा.

उन्होंने कहा, 'अभी जो अनिश्चितता है, उसे देखते हुए कोई समझौता करना जल्दबाजी होगी. लेकिन हम जानते हैं कि हमने पर्याप्त मात्रा में तेल का उत्पादन किया है.'

ओपेक + समझौता 2020 के अनुसार, सदस्य देशों ने हर महीने कुल तेल उत्पादन को 430,000 बैरल प्रतिदिन बढ़ाया. लेकिन मार्च और अप्रैल के बीच रूस के उत्पादन में लगभग 10 लाख बैरल प्रतिदिन की गिरावट आई है. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि अगर पश्चिमी देश रूस पर अपने प्रतिबंध और कड़े करते हैं तो रूस के तेल उत्पादन में 30 लाख बैरल प्रतिदिन की गिरावट आ सकती है.

 

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