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सऊदी अरब ने अब दूसरे देशों में हस्तक्षेप करने की नीति अपना ली है. जर्मन खुफिया एजेंसी 'बीएनडी' की रिपोर्ट के मुताबिक 29 साल के डिप्टी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के आने से सऊदी की राजनीति बदल गई है.
बीएनडी ने सऊदी की नई आक्रामक नीति पर बीते साल के अंत में डेढ़ पन्ने की एक रिपोर्ट पेश की थी. जिसमें बताया गया था कि किस तरह सऊदी के रक्षा मंत्री और डिप्टी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान यमन और सीरिया में छद्म युद्ध के जरिए अरब देशों में अस्थिरता का माहौल बना रहे हैं. मोहम्मद बिन सलमान किंग सलमान के बेटे हैं.
खुफिया एजेंसी को फटकार
आमतौर पर खुफिया एजेंसियां ऐसी रिपोर्टों को सार्वजनिक नहीं करती जो राजनीतिक तौर पर उथल-पुथल मचा दे. लेकिन इस रिपोर्ट में तो करीबी और शक्तिशाली सहयोगी देश सऊदी अरब की खुली आलोचना की गई है. एजेंसी ने बड़े स्तर पर इससे जुड़े पर्चे लोगों में बांटे हैं. इससे खफा सऊदी अरब के कड़े विरोध जताने के बाद जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने एजेंसी को फटकार भी लगाई है.
अप्रत्याशित है सऊदी का रवैया
अंग्रेजी अखबार 'द इंडिपेंडेंट' में छपी खबर के मुताबिक बीएनडी रिपोर्ट का जर्मनी के बाहर न के बराबर असर हुआ है. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस वक्त यह रिपोर्ट छपी थी अंतरराष्ट्रीय मीडिया में पेरिस आतंकी हमला छाया हुआ था. लेकिन बीएनडी की रिपोर्ट इस ओर इशारा करती है कि सऊदी अरब एक अप्रत्याशित नीति का पालन कर रहा है. जिसका सबसे बड़ा उदाहरण ईरान से सभी
राजनयिक संबंधों को खत्म कर लेना है. रिपोर्ट में किंग सलमान की महत्वाकांक्षा को खतरनाक बताया गया है.
किंग अब्दुल्ला की मौत के बाद बदली नीति
इस साल की शुरुआत में ही शिया धर्मगुरु अल-निम्र के साथ 46 लोगों को सऊदी ने फांसी दे दी. सऊदी ने सुन्नी मुस्लिम बहुल देशों को अपनी तरफ करने की कोशिश की. सऊदी अरब के इस कदम को ईरान के नेतृत्व के लिए खुली चुनौती के तौर पर देखा गया. रिपोर्ट के मुताबिक अतीत में सऊदी ने सामान्यतः अपने सभी विकल्प खुले रखने की कोशिश की है. अगर उसके कुछ देशों से मतभेद भी हुए तो वह इसमें उलझा नहीं लेकिन बीते साल जनवरी में किंग अब्दुल्ला की मौत के बाद से सऊदी की राजनीति करवट ले चुकी है.
सीरिया, यमन के खिलाफ आक्रामक नीति
बीएनडी ने अपनी रिपोर्ट में उन देशों के नाम भी बताए हैं, जिनके खिलाफ सऊदी ने आक्रामक और लड़ाकू रुख अपनाया है. रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल की शुरुआत में सऊदी ने कई सैन्य समूहों को अपना समर्थन दिया. पहले सऊदी ने अल-कायदा से जुड़े अल-नुसरा फ्रंट और अहरार अल-शाम का साथ दिया. इसने सीरियाई सेना के खिलाफ कई युद्ध जीते. यमन में सऊदी में भी उग्रवादी समूह हूती पर हमले जारी रखे हुए है.
ईरान से युद्ध की स्थिति नहीं आएगी
बीते कुछ समय में देखा गया है कि सऊदी जानबूझकर ईरान से संबंधों में तनाव बढ़ा रहा है. लेकिन 'द इकोनॉमिस्ट' को दिए एक इंटरव्यू में प्रिंस मोहम्मद सलमान ने ईरान के साथ युद्ध की आशंका को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि सऊदी और ईरान का युद्ध दुनिया के लिए भारी साबित होगा. इसलिए हम भरोसा दिलाते हैं कि ऐसा कुछ नहीं होगा.
अनुभवहीनता है आक्रामकता की वजह
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि किंग सलमान की आक्रामक रणनीतियों से उन्हें खास सफलता नहीं मिली है लेकिन उन्हें अपने देश में बहुत समर्थन मिल रहा है. बीएनडी ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर सऊदी की सारी ताकत मोहम्मद के हाथ आ जाती है तो स्थिति और भी बिगड़ेगी. प्रिंस मोहम्मद सलमान के अहंकार की जानकारी आसपास के सभी देशों को है. उन्हें एक अनुभवहीन राजनेता के तौर पर देखा जाता है.