
'उन्होंने मुझे जमीन पर जबरदस्ती दबोचा, मेरे सीने पर बंदूक रखी और फिर मेरा बलात्कार किया', जैनब अपनी नवजात बच्ची के साथ युद्धग्रस्त सूडान की राजधानी खार्तूम छोड़कर अपनी सुरक्षा के लिए भाग रही थीं, तभी उन्हें अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स के के जवानों ने पकड़ लिया और उनके साथ दुष्कर्म किया.
जैनब के साथ उनकी दो छोटी बहनें और दो अन्य महिलाएं भी थीं. सुरक्षाबलों ने उनके साथ भी दुष्कर्म किया. जैनब ने अपनी आपबीती समाचार एजेंसी एएफपी से बताते हुए कहा, 'मुझे यकीन था कि हम मरने वाले हैं.'
सूडान में अप्रैल के महीने से ही सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स के बीच युद्ध चल रहा है. महिलाएं इस युद्ध की दोहरी मार झेल रही है. उनके साथ सड़क के किनारे, आरएसएफ द्वारा कब्जा किए गए होटलों में रेप हो रहा है. वो अपने घर में भी सुरक्षित नहीं है. सुरक्षाबल घरों में घुसकर भी उनका रेप कर रहे हैं.
'वो मेरी बहन को अपने साथ रखना चाहते थे'
इस युद्ध के एक महीने बाद जैनब ने देश छोड़कर जाने का फैसला किया. वो अपनी नवजात बच्ची, छोटी बहनों ओर अन्य महिलाओं के साथ एक मिनी बस में खार्तूम से बाहर भागने की कोशिश कर रही थीं, जब आरएसएफ चौकी पर उन्हें रोक दिया गया.
सभी महिलाएं डरी हुई थीं. आरएसएफ के जवान उन्हें एक गोदाम में ले गए. सादी वर्दी में वहां एक आदमी था, जो उनका कमांडर लग रहा था. कमांडर ने जैनब को जमीन पर लेटने का आदेश दिया.
उन्होंने बताया, 'मुझे एक आदमी ने जबरदस्ती पकड़ लिया और दूसरे ने मेरे साथ बलात्कार किया. उसके बाद एक और आदमी ने मेरे साथ बलात्कार किया. वो मेरी बहन को अपने साथ रखना चाहते थे. मैं उनके सामने घुटनों पर गिर गई और हाथ जोड़कर मैंने उनसे विनती की कि मेरी बहन को वो जाने दें.'
काफी देर बाद आरएसएफ के जवानों ने उन्हें जाने की अनुमति दी जिसके बाद वो राजधानी से 200 किलोमीटर दूर मदनी भाग गए. उन्होंने पुलिस को अपने साथ हुए दुष्कर्म की सूचना दी और फिर उसके बाद वो अपने इलाज के लिए अस्पताल गए क्योंकि जवानों ने उन्हें काफी चोट पहुंचाई थी.
जैनब अब किसी दूसरे देश में शरण ले चुकी हैं. वो कहती हैं, 'ऐसा नहीं था कि हमारे साथ जो हुआ वो पहले किसी और के साथ नहीं हुआ होगा. और हमारे बाद भी वो दूसरी महिलाओं को अपना शिकार बना रहे होंगे.'
दिन-रात बढ़ रहे यौन हिंसा के मामले
सूडान में चल रहे युद्ध में कम से कम 1,800 लोग मारे गए हैं और 15 लाख लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा है. सूडान के लोगों, डॉक्टरों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि महिलाओं के साथ हो रहे यौन हिंसा ने युद्ध की भयावहता को बढ़ा दिया है.
जैनब की तरह ही अपनी आपबीती सुनाने वाली बाकी महिलाओं का कहना था कि उनका असली नाम न छापा जाए क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो उनके परिवार और रिश्तेदारों के साथ बुरा सलूक किया जाएगा.
सूडानी सेना प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान और आरएसएफ के नेता मोहम्मद हमदान डागलो दोनों ही युद्ध के दौरान यौन हिंसा के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले वकील जहान हेनरी का कहना है कि सच बात तो यह है कि दोनों ही पक्ष पूर्व में इस तरह की हिंसा कर चुके हैं. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा का मुकाबला करने वाली सूडान की सरकारी संस्था (Combating Violence Against Women and Children Unit) के अनुसार, युद्ध के पहले दो हफ्तों में यौन हिंसा के 49 हमलों को दर्ज किया गया है.
यूनिट प्रमुख सुलेमा इशाक अल-खलीफा ने कहा, छह मामलों को छोड़कर सभी मामलों में अपराधी आरएसएफ की वर्दी में थे. उन्होंने कहा, 'यौन हिंसा से जुड़ी नई रिपोर्ट्स हमें दिन-रात मिल रही हैं. फिलहाल खार्तूम में एक भी महिला ऐसी नहीं है जो सुरक्षित महसूस करती हो, महिलाएं अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं.'
धोखे से सुरक्षाबलों ने 12 महिलाओं को बनाया अपना शिकार
सूडान में इस वक्त सबसे खार्तूम और दारफुर क्षेत्र में भीषण लड़ाई चल रही है. सूडान में संयुक्त राष्ट्र की महिला प्रतिनिधि अदजारतौ नदिये ने कहा कि दारफुर से सामूहिक बलात्कार की सूचना मिल रही है. एक स्थानीय मानवाधिकार कार्यकर्ता आमना ने सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले का जिक्र किया जिसमें सुरक्षाबलों ने धोखे से महिलाओं को अपना शिकार बनाया.
उन्होंने बताया, 'अप्रैल के अंतिम दिनों की बात है. 12 महिलाओं को बंदूकधारियों ने रोका और उन्हें आदेश दिया कि एक गोदाम को लूटने में वो उनका साथ दें. जब महिलाएं गोदाम के अंदर गईं तब आरएसएफ की वर्दी पहने बंदूकधारियों ने गोदाम का दरवाजा बंद कर दिया. सभी महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया. महिलाओं के साथ पुरुष भी थे. उन्हें जबरदस्ती अपनी ही समुदाय की महिलाओं के बलात्कार के लिए मजबूर किया गया.'
आमना ने बताया कि बलात्कार में मामले बढ़ते जा रहे हैं. दारफुर की एक 14 साल की बच्ची के साथ भी बलात्कार का मामला उनके सामने आया है. आमना बताती हैं, 'महिलाओं और कम उम्र की लड़कियों को अगवा कर उन होटलों में रखा जा रहा है जिसे आरएसएफ ने अपने कब्जे में लिया है. उन्हें होटलों में दो या तीन दिन रखा जा रहा है और इस दौरान बार-बार उनका बलात्कार किया जा रहा है.'
सूडानी वीमेन राइट्स एक्शन (SUWRA) का कहना है कि जो महिलाएं अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की शिकायत दर्ज करा रही हैं, उनकी संख्या बहुत कम है. यौन शोषण से पीड़ित महिलाओं की असल संख्या बहुत अधिक है जो कि सामने नहीं आ पा रही है.
डॉक्टरों का कहना है कि कई बलात्कार पीड़ितों को इलाज नहीं मिल पा रहा है क्योंकि लड़ाई में बहुत से अस्पतालों को नष्ट कर दिया गया है.
'कमरे में बंद कर मेरा बलात्कार किया'
सूडान में लोकतंत्र की मुहिम चलाने वाले सिविल सोसाइटी ग्रुप जिन्हें रेजिस्टेंस कमिटी कहा जाता है, उनके मुताबिक, मई के महीने में आरएसएफ लड़ाकों ने उत्तरी खार्तूम सड़क पर 15 वर्षीय एक लड़की के साथ बलात्कार किया.
30 साल की एक महिला के साथ भी बलात्कार का मामला सामने आया है. महिला ने अपना कहानी बताते हुए कहा, 'मैं घर पर अपने बच्चों के साथ अकेली थी जब मैंने अपने पड़ोसियों को चिल्लाते हुए सुना. उन्होंने मेरे पड़ोस की तीन महिलाओं का बलात्कार किया फिर मेरे साथ दुष्कर्म किया. चार बदूकधारियों ने पहले तो मेरे घर का दरवाजा तोड़ा फिर उनमें से एक ने मुझे कमरे में बंद कर मेरा बलात्कार किया.
'घंटों चीखने-चिल्लाने की आवाज आती रही'
यौन हिंसा की अधिकांश पीड़िताओं का कहना है कि उनके घर के आसपास तैनात आरएसएफ के लड़ाकों ने ही उनका यौन शोषण किया. रेजिस्टेंस कमिटी ने बताया कि पिछले महीने उत्तरी खार्तूम के एक घर में तीन आर्मी के जवान घुस गए. उन्होंने घर में मौजूद महिला और उसकी बेटी को रेप किया और उसके बेटे को बुरी तरह पीटा. उनके पड़ोसियों को घंटों तक उनके चीखने-चिल्लाने की आवाज आती रही.
सुरक्षा बलों द्वारा रेप के मामलों पर लंबे समय से नजर रख रहे एक वकील ने कहा कि इस हिंसा ने सूडान के हर वर्ग की महिला को प्रभावित किया है.
वो बताते हैं, 'अपराधियों को इससे फर्क नहीं पड़ता कि महिला की उम्र क्या है. हमने जवान लड़कियों, बूढ़ी महिलाओं और बच्चियों के साथ रेप होते देखा है.'
'मेरे दोषियों को कभी सजा नहीं दी जाएगी'
जैनब चाहती हैं कि बलात्कारियों को सजा जरूर मिले लेकिन वो यह भी जानती हैं कि उनके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी.
वो कहती हैं, 'मैंने अपनी कहानी इसलिए बताई ताकि दूसरी महिलाओं के साथ ऐसा होने से रोका जा सके, उन्हें यह बताया जा सके कि सड़क सुरक्षित नहीं है. जब मैंने पुलिस में अपनी शिकायत दर्ज की थी तब भी मुझे पता था कि इससे कुछ नहीं होगा. वो उन लोगों को कभी नहीं पकड़ेंगे, जिन्होंने मेरे साथ ऐसा किया.'