
पाकिस्तान में जारी सियासी उठापटक के बीच प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इमरान खान की सरकार पर हमला बोलते हुए एक सनसनीखेज खुलासा किया है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर आरोप लगाते हुए कहा कि इमरान खान की सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान मित्र देशों के साथ पाकिस्तान के संबंधों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया, जिसकी कीमत पिछले 16 महीने के कार्यकाल में उनकी सरकार को चुकानी पड़ी.
शहबाज शरीफ ने आगे कहा, "इमरान खान सरकार की मित्र देशों के प्रति रवैया किसी से छिपा नहीं है. इमरान खान की सरकार ने अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की कार्य गति को कम कर दिया. यहां तक इमरान खान सऊदी अरब को भी नाराज करने से बाज नहीं आ रहे थे, जबकि सऊदी अरब हर संकट में पाकिस्तान की मदद करता है."
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने नवाज शरीफ के कार्यकाल (2013-17) के दौरान अभूतपूर्व प्रगति देखी थी और चीन, सऊदी अरब और तुर्की जैसे देशों के साथ संबंधों में सुधार हुआ था. जबकि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने इन देशों के साथ पाकिस्तान के संबंधों को नुकसान पहुंचाया.
दरअसल, सऊदी के दबदबे वाले 57 इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी के समानांतर एक और संगठन बनाने की कोशिश की गई थी. इसके लिए मलेशिया में तुर्की, ईरान , कतर और पाकिस्तान समेत 20 से ज्यादा मुस्लिम देश एकजुट होने वाले थे. लेकिन ऐन मौके पर सऊदी अरब के दबाव के कारण इमरान खान को मलेशिया दौरा रद्द करना पड़ा था.
क्या है मामला?
मध्य पूर्व देशों को कवर करने वाली वेबसाइट 'मिडिल ईस्ट आई' पर दिसंबर 2019 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान खान ने सऊदी अरब के दबाव में मलेशिया दौरा रद्द कर दिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम इमरान खान को समन भेज बातचीत के लिए सऊदी अरब बुलाया था. जिसके बाद इमरान खान ने मलेशिया दौरा रद्द कर दिया था. इससे पहले इमरान खान ने तत्कालीन मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद के निमंत्रण पर कुआलालंपुर में होने वाली समिट में भाग लेने के लिए हामी भर दी थी.
वहीं, तुर्की की वेबसाइट 'डेली सबा' के मुताबिक, इमरान खान के मलेशिया दौरा रद्द करने पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने कहा था कि पाकिस्तान (इमरान खान) ने सऊदी अरब की आर्थिक प्रतिबंधों की धमकियों के कारण कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन से दूरी बना ली.
मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित इस शिखर सम्मेलन को सऊदी अरब इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के समानांतर एक संगठन बनाने की पहल के तौर पर देख रहा था. मलेशिया ने सऊदी अरब को भी इस बैठक में भाग लेने के लिए बुलाया था. लेकिन सऊदी अरब ने इस बैठक से किनारा कर लिया था. साथ ही दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक सहयोग संगठन ओआईसी को कमजोर करने की इस कदम की आलोचना की थी. इस समिट में 20 से ज्यादा मुस्लिम देशों ने भाग लिया था.
सऊदी यात्रा के बाद मलेशिया जाने से किया इनकार
पाकिस्तान उन पहले देशों में से एक था जिसके साथ मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कुआलालंपुर में आयोजित होने वाली इस शिखर सम्मेलन की योजना साझा की थी. मलेशिया के उप विदेश मंत्री के निमंत्रण के बाद इमरान खान ने इस सम्मेलन में भाग लेने के निमंत्रण को स्वीकार भी कर लिया था. लेकिन सऊदी अरब की ओर से जारी समन के बाद इमरान खान ने सऊदी अरब की यात्रा की, जहां उनकी मुलाकात सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से हुई. इसके बाद इमरान खान ने मलेशिया दौरा रद्द कर दिया था.
मलेशिया दौरा रद्द करने के बाद क्या कहा था पाकिस्तान ने?
निमंत्रण को स्वीकार कर मलेशिया नहीं जाने के बाद पाकिस्तान की दुनिया भर में किरकिरी हुई थी. जिसके बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा था कि पाकिस्तान (इमरान खान) ने कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन में इसलिए भाग नहीं लिया क्योंकि उम्माह (समुदाय) में संभावित विभाजन के संबंध में प्रमुख मुस्लिम देशों की चिंताओं को दूर करने के लिए समय और प्रयासों की आवश्यकता थी. पाकिस्तान मुस्लिम समुदाय की एकता और एकजुटता के लिए काम करना जारी रखेगा, जो मुस्लिम दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने में सक्षम हो."
हालांकि, पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस बात की पुष्टि की थी कि इमरान खान के मलेशिया जाने से सऊदी अरब और यूएई दोनों ने चिंता जाहिर की थी. शाह महमूद ने कहा था कि दोनों देश इस शिखर सम्मेलन से चिंतित थे कि इससे मुस्लिम सुमदाय में विभाजन हो सकता है और मौजूदा सऊदी दबदबे वाले ओआईसी के समानांतर एक संगठन की स्थापना हो सकती है.