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इमान मजारी: PAK आर्मी को दहशतगर्द बताने वाली पाकिस्तानी लड़की! आवाज उठाते ही हो गई 'किडनैप'

पाकिस्तान में सेना के खिलाफ आवाज उठाने का मतलब है मौत को न्योता देना. ऐसे में इमरान सरकार में मंत्री रहीं शिरीन मजारी की बेटी इमान मजारी ने पाक सेना को दहशतगर्द बता दिया. बयान देने के अगले दिन ही सिविल ड्रेस में कुछ लोग उनके घर आए और उन्हें अपने साथ लेकर चले गए.

शिरीन मजारी की बेटी इमान हाजिर मजारी. (फोटो-मैगपाकिस्तान) शिरीन मजारी की बेटी इमान हाजिर मजारी. (फोटो-मैगपाकिस्तान)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 3:09 PM IST

देश की राजधानी के बीचोंबीच पश्तून तहफुच मूवमेंट (PTM) जलसे का आयोजन किया जाता है. सियासत, आर्थिक बदहाली और सेना के सताए हुए हजारों लोग बढ़-चढ़कर उसमें हिस्सा लेते हैं. बयानबाजी होती है. पूर्व मानव अधिकार मंत्री की बेटी भाषण देने मंच पर पहुंचती है और आवेश में सेना के खिलाफ नारे लगाने लगती है. वह कहती है कि 'यह जो दहशतगर्दी है' और वहां मौजूद हजारों लोग एक साथ चिल्लाते हैं 'इसके पीछे वर्दी है.' रैली के ठीक अगले दिन सिविल ड्रेस में पुलिसवालों की एक टीम पूर्व मंत्री के घर पहुंचती है और उनकी लड़की को साथ ले जाती है. इस घटना को 24 घंटे हो चुके हैं, लेकिन अब तक लड़की का कोई अता-पता नहीं है. यह घटना पाकिस्तान की है.

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जलसे में पाक सेना के खिलाफ नारे लगाने वाली लड़की इमरान खान सरकार में मंत्री रहीं शिरीन मजारी की बेटी इमान हाजिर मजारी (Imaan Hazir Mazari) है. दो दिन पहले 18 अगस्त को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक रैली (जलसे) का आयोजन किया गया. जलसा ठीक सुप्रीम कोर्ट के सामने हुआ. इसमें पश्तून समुदाय के कई नेताओं ने शिरकत की. जब इमान मजारी मंच पर पहुंची तो उन्होंने सेना को कोसना शुरू कर दिया. इमान मजारी ने रैली में कहा कि पाकिस्तानी में होने वाले आतंकी हमलों के लिए पाक अर्मी ही जिम्मेदार है. वही, असली आतंकवादी हैं. इमान ने मंच से सेना के खिलाफ 'ये जो दहशतगर्दी है, इसके पीछे वर्दी है' जैसे नारे भी लगवाए.

सूरज निकलने से पहले पहुंची पुलिस

PAK की पूर्व मानव अधिकार मंत्री शिरीन का दावा है कि रैली के अगले दिन सूरज निकलने से पहले ही पुलिस उनके घर पहुंच गई और उनकी बेटी को किडनैप कर लिया गया है. सादी वर्दी में आई टीम ने उनके घर का दरवाजा तोड़ा और घर की तलाशी लेने लगे. जब शिरीन ने उनसे पूछा कि वह क्यों आए हैं? तो कुछ पुलिसकर्मियों ने इमान को घर से बार निकाला और अपने साथ लेकर जाने लगे. इस दौरान इमान ने उनसे कहा कि उसने घर के कपड़े पहन रखे हैं, कम से कम उसे कपड़े तो बदल लेने दिए जाएं, लेकिन पुलिसकर्मिों ने उसकी कोई बात नहीं सुनी और वे उसी हालत में उसे साथ ले गए.

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घर में थीं सिर्फ 2 महिलाएं

शिरीन मजारी ने दावा किया कि पुलिसवाले अपने साथ उनके सीसीटीवी कैमरे और लैपटॉप भी उठाकर ले गए. जिस समय पुलिसवाले आए थे, उस दौरान घर में केवल 2 महिलाएं ही थीं. इस पूरी वारदात को जायज बताते हुए पुलिस ने कहा है कि इमान देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही थीं. उन पर धरना देने और विरोध प्रदर्शन करने का केस दर्ज किया गया है. बता दें पाकिस्तान में 9 मई को हुई हिंसा के बाद इमान की मां शिरीन मजारी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. शिरीन मजारी को उस घटना के बाद कई बार अरेस्ट किया गया, जिससे आहत होकर उन्होंने इमरान खान की पार्टी PTI छोड़ दी. 

कैमरे तोड़े, गेट पीटा

शनिवार को हुई गिरफ्तारी से पहले, इमान ने खुद एक्स (ट्विटर) पर अपडेट हाल पोस्ट किया. इसमें उन्होंने बताया कि कैसे पुलिसकर्मियों ने उनके घर के कैमरे तोड़े, गेट पीटा और कूद गए. इस बीच, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने इमान की गिरफ्तारी की निंदा की और उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की. गिरफ्तारी के बाद संगठन ने इस्लामाबाद पुलिस के कृत्य को 'अस्वीकार्य' बताते हुए प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर कहा, जिस तरह से इस्लामाबाद पुलिस कथित तौर पर बिना किसी वारंट के उसके घर में घुस गई, वह अस्वीकार्य है.

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कौन हैं इमान मजारी?

इमान मजारी पाकिस्तान की एक प्रसिद्ध वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. उनका जन्म इस्लामाबाद में हुआ था. उन्होंने स्कॉटलैंड की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से एलएलबी करने के बाद पाकिस्तान में अपना करियर शुरू किया था. इमान बलूच समुदाय से आती हैं. उनका एक भाई है, जिसका नाम सबील हाजरी है. पाकिस्तान के कल्चर के हिसाब से इमान मजारी काफी बोल्ड हैं. वह सोशल मीडिया पर बिंदास अंदाज वाली तस्वीरें शेयर करती रहती हैं. अपनी बेबाक पोस्ट के लिए भी इमान अक्सर चर्चा में रहती हैं. 

क्या है यह PTM?

पाकिस्तान की रैली में जुटने वाले सभी नेता पश्तून तहफुच मूवमेंट (PTM) में भाग लेने के लिए पहुंचे थे. पश्तून नेताओं ने पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट (PTM) की रैली का आयोजन किया था. यह एक आंदोलन है, जो पिछले 5 सालों से बलूचिस्तान और पाकिस्तान के दूसरे पश्तून बहुल इलाकों में चलाया जा रहा है. 2018 में शुरू हुए इस आंदोलन का उद्देश्य पश्चूनों के मानव अधिकारों की रक्षा करना है.

8 छात्रों ने की शुरुआत

कहा जाता है कि इस आंदोलन की शुरुआत 9 साल पहले ही हो गई थी. 2014 में खैबर पख्तूनख्वा के डेरा इस्माइल खान में स्थित गोमल विश्वविद्यालय (Gomal University) में आठ छात्रों से इसकी शुरुआत हुई थी. लेकिन इस आंदोलन को रफ्तार पकड़ने में करीब 4 साल लग गए. इस आंदोलन ने गति तब पकड़ी, जब 13 जनवरी 2018 को मशहूर पश्तून नेता नकीबुल्लाह महसूद का कराची में एनकाउंटर कर दिया गया.

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पश्तूनों को मिली पहचान

नकीबुल्लाह महसूद को इंसाफ दिलाने की मांग करते हुए लोगों ने एक बड़े आंदोलन की शुरुआत की. तब महसूद पाकिस्तान के वजीरिस्तान की एक जनजाति का नाम था. लेकिन जब नकीबुल्लाह की मौत के बाद शुरू हुए इस आंदोलन को पश्तूनों के बीच एक नई पहचान मिल गई तो इस महसूद शब्द को हटाकर उसे पश्तून कर दिया गया. इस आंदोलन का मकसद पाकिस्तान की रकार और सेना से कई मांगों को मनवाना था, जिसमें नकीबुल्लाह का एनकाउंटर करने वाले एसएसपी राव अनवर को सजा दिलाना भी शामिल था.

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