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अमेरिका ने जिसके सिर पर रखा 50 लाख डॉलर का इनाम, उसी हक्कानी को तालिबान ने बनाया गृह मंत्री

अफगानिस्तान की केयरटेकर सरकार में अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेंड आतंकवादी को आंतरिक मंत्री (गृह मंत्री) बनाया गया है. सिराजुद्दीन हक्कानी (Sirajuddin Haqqani) के सिर पर अमेरिका ने 5 मिलियन डॉलर (50 लाख डॉलर) का इनाम घोषित किया है.

मुल्ला बरादर, हक्कानी और मुल्ला अखुंद मुल्ला बरादर, हक्कानी और मुल्ला अखुंद
गीता मोहन/गौरव सावंत
  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:01 AM IST
  • सिराजुद्दीन हक्कानी बना अफगानिस्तान का नया गृह मंत्री
  • खूंखार आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क का है प्रमुख
  • अमेरिका ने 50 लाख डॉलर का रखा है इनाम

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने आखिरकार नई केयरटेकर सरकार का ऐलान कर दिया. संगठन ने मुल्ला हसन अखुंद को अफगानिस्तान का अगला प्रधानमंत्री घोषित किया है, जबकि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को उनका डिप्टी बनाया गया है. अफगानिस्तान की केयरटेकर सरकार में अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेंड आतंकवादी को आंतरिक मंत्री (गृह मंत्री) बनाया गया है. सिराजुद्दीन हक्कानी (Sirajuddin Haqqani) के सिर पर अमेरिका ने 5 मिलियन डॉलर (50 लाख डॉलर) का इनाम घोषित किया है और अब उसे ही तालिबान ने नई सरकार में अहम जिम्मेदारी दी है.  

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हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख है सिराजुद्दीन

खूंखार आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के कर्ता-धर्ता सिराजुद्दीन का लिंक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेस इंटेलिजेंस (आईएसआई) से भी है. उसे आईएसआई का प्रॉक्सी भी माना जाता है. हाल ही में आईएसआई प्रमुख डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने अफगानिस्तान का दौरा किया था और काबुल के सेरेना होटल में रुके थे. इस दौरे के बाद से ही माना जा रहा था कि तालिबान सरकार में पाकिस्तान अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता है. हमीद के दौरे के बाद तालिबान ने अपनी सरकार का ऐलान करते हुए सिराजुद्दीन हक्कानी को नया गृह मंत्री बना दिया. अब आंतरिक मंत्रालय की डेटा तक पहुंच होगी जो अफगानिस्तान में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए तालिबान के खिलाफ काम करने वाले अफगान नागरिकों के लिए हानिकारक हो सकता है.

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अमेरिका ने वैश्विक आतंकवादी का दिया है तमगा

अमेरिका ने सिराजुद्दीन हक्कानी के ऊपर इनाम रखते हुए उसे वैश्विक आतंकवादी का दर्जा दे रखा है. सिराजुद्दीन एंटी-सोवियत के मुजाहिदीन कमांडर जलाउद्दीन हक्कानी का बेटा है. वह साल जनवरी, 2008 में राजधानी काबुल में हुए बम धमाके में एफबीआई का वॉन्टेड है. होटल पर हुए इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई थी. यहां तक कि अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने उसे गिरफ्तार करने के लिए पांच मिलियन डॉलर का इनाम घोषित किया हुआ है.

करजई की हत्या की कोशिश की योजना बनाने का भी आरोप

इतना ही नहीं, सिराजुद्दीन हक्कानी के बारे में माना जाता है कि वह साल 2008 में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या की कोशिश करने की योजना बनाने में भी शामिल था. कई आत्मघाती हमलों में उसकी कथित संलिप्तता और अल-कायदा से घनिष्ठ संबंध भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का कारण है. 

हक्कानी को अमेरिका ने घोषित किया है वैश्विक आतंकी

अफगानिस्तान सरकार में किसे कौन सा मंत्रालय?

तालिबान ने नई सरकार का ऐलान करते हुए उनके नामों की लिस्ट भी जारी कर दी, जो मंत्री बनने जा रहे हैं. तालिबान के फाउंडर मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब को रक्षा मंत्री बनाया गया है. मुल्ला बरादर के अलावा मुल्ला अबदस सलाम को भी नई सरकार में डिप्टी पीएम बनाया गया है.

सूचना मंत्री खैरुल्लाह खैरख्वा को बनाया गया. इसके अलावा, सूचना मंत्रालय में डिप्टी मंत्री का पदभार जबीउल्लाह मुजाहिद को दिया गया है, जबकि कार्यवाहक विदेश मंत्री की जिम्मेदारी अमीर खान मुत्ताकी को दी गई है.  डिप्टी विदेश मंत्री शेर अब्बास स्टानिकजई होंगे. इसके अलावा न्याय मंत्रालय की बात करें तो यह अब्दुल हकीम को दिया गया है.

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तालिबान सरकार में कौन होगा वित्त मंत्री?

अफगानिस्तान की नई सरकार में वित्त मंत्री हेदयातुल्लाह बद्री होंगे, जबकि शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी शेख नूरुल्लाह के कंधों पर होगी. हज और धार्मिक मामलों के मंत्री नूर मोहम्मद साकिब को बनाया गया है और जनजातीय मामलों के मंत्री नूरुल्लाह नूरी होंगे इसके अलावा मोहम्मद यूनुस अखुंदजादा ग्रामीण पुनर्वास और विकास मंत्री होंगे.

पिछले शासन से ज्यादा अलग नहीं होगा तालिबान 2.0?

उधर, विश्लेषकों का यह भी तर्क है कि तालिबान 2.0 1996-2001 के तालिबान शासन से बहुत अलग नहीं होने जा रहा है और महिलाओं के अधिकार, शिक्षा, सभी जातीय समूहों को साथ लेकर चलना एक लंबा प्रोसेस दिखाई देता है. वहीं, तालिबान ने जिन 6 देशों को अपनी सरकार के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा है, उनमें पाकिस्तान, ईरान, कतर, तुर्की, रूस और चीन शामिल हैं.

 

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