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जमीन पर खिंची लकीरों को लेकर झगड़ते दुनिया के ये देश

दुनिया भर में इस वक्त जारी सीमा विवाद की जब बात आती है तो यह फेहरिस्त बेहद लंबी और हमेशा बदलती रहती है. इस वक्त एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिकी महाद्वीपों मिलकर दुनिया में 150 से ज्यादा जगहों पर स्वामित्व को लेकर विवाद चल रहा है...

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
साद बिन उमर
  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST

दुनिया भर में इस वक्त जारी सीमा विवाद की जब बात आती है तो यह फेहरिस्त बेहद लंबी और हमेशा बदलती रहती है. इस वक्त एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिकी महाद्वीपों मिलकर दुनिया में 150 से ज्यादा जगहों पर स्वामित्व को लेकर विवाद चल रहा है. इनमें जम्मू कश्मीर, इस्राइल-फिलिस्तीन जैसे कुछ बेहद पुराने सीमा विवाद हैं, तो कुछ क्राइमिया जैसे नए और ज्वलंत विवाद जिसकी वजह से युद्ध जैसे हालात पैदा हो रहे हैं. यहां हम ऐसे ही कुछ प्रमुख सीमा विवादों पर नजर डाल रहें, जिसने साल 2016 के दौरान विश्व राजनीति में खासी हलचल मचाई...

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जम्मू कश्मीर - भारत और पाकिस्तान के ब्रिटिश हुकूमत से आजाद होने के बाद से ही इस हिस्से पर अधिकार को लेकर दोनों मुल्कों में तनाव बरकरार है. जमीन के इस टुकड़े को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक 1947, 1965, 1971 और करगिल को मिलाकर तीन बार युद्ध हो चुके हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच की करीब 740 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर विवाद जस का बस बरकरार है. वर्तमान में जम्मू, कश्मीर घाटी, लद्दाख जैसे हिस्से भारत के अधिकार क्षेत्र में है, तो वहीं गिलगित-बाल्टिस्तान, मीरपुर, मुजफ्फराबाद जैसे हिस्सों पर पाकिस्तान के कब्जा कर रखा है.

भारत-चीन सीमा विवाद - भारत और चीन के बीच यूं तो 1914 में मैकमोहन रेखा के जरिये सीमा का निर्धारण किया गया था, लेकिन चीन इस सीमारेखा को नहीं मानता है. दोनों देशों के बीच 4000 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर विवाद है. इसके साथ ही चीन अरुणाचल प्रदेश पर भी अपना दावा करता है. इसी सीमा विवाद को लेकर चीन ने 1962 में भारत पर हमला भी किया और आज भी कई बार चीनी सेना की घुसपैठ की कोशिशें होती रहती है.

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दक्षिण चीन सागर- पिछले साल दक्षिण चीन सागर को लेकर विवाद काफी सुर्खियों में रही. चीन, वियतनाम सिंगापुर, ताईवान और फिलीपींस के बीच 35 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले इस सीमांत सागर के बड़े हिस्से पर चीन अपना ऐतिहासिक अधिकार बताता रहा है. यह विवाद अंतत: संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय कोर्ट तक पहुंचा गया. यहां फिलीपींस की याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरराष्ट्रीय पंचाट ने चीन को झटका देते हुए उसके अधिकार के दावे को खारिज कर दिया. हालांकि इससे बेपरवाह चीन अब अपने रुख पर अडिग है और इससे लेकर साल 2016 में विश्व राजनीति काफी गर्मायी दिखी.

इस्राइल-फिलिस्तीन विवाद- दुनिया भर के सीमा विवाद पर जब भी बात होती है तो इस्राइस-फिलिस्तीन के बीच का विवाद पर चर्चा लाजमी हो जाता है. साल 1948 में इस्राइल को एक अलग देश का दर्जा मिलने से गुस्साएं अरब देशों के एक समूह ने इस पर हमला कर दिया. हालांकि इस्राइली सेना ने मिस्र, जोर्डन, सीरिया, लेबनान और इराक के इस संयुक्त हमले को नाकाम कर दिया और उस इलाके पर अपना प्रभुत्व कायम कर लिया. हालांकि इस युद्ध के बाद भी यहां खून खराबा आज भी जारी है और लाखों फिलिस्तीनियों को मजबूरन पड़ोसी मुल्कों में पनाह लेना पड़ा है.

बेल्जियम-नीदरलैंड सीमा समझौता- इस सारी सीमा विवादों और इसे लेकर जारी खून खराबे के बीच बेल्जियम और नीदरलैंड्स के बीच हुआ सीमा समझौता दुनिया के लिए शांति की एक उम्मीद बनकर सामने आता है. इन दोनों देशों के बीच म्यूस नाम की एक नदी बहती है, जिसके आसपास के इलाके पर स्वामित्व दोनों देशों के लिए समस्या का कारण बना हुआ था. हालांकि फिर बेल्जियम और नीदरलैंड्स के राष्ट्राध्यक्षों ने बिना एक गोली चलाए इस समस्या के हल के लिए जमीनों की अदला-बदली का समझौता किया, जिसके तहत बेल्जियम की 35 एकड़ जमीन नीदरलैंड्स के पास, तो वहीं डच राष्ट्र की करीब 7 एकड़ जमीन पड़ोसी बेल्जियम को मिल गई. जमीनों की इस अदला-बदली ने खून खराबा किए बिना शांति से बातचीत के जरिये विवादों के हल की उम्मीद जगाता है.

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