
तालिबान ने भले ही अफगानिस्तान में सरकार बना ली हो लेकिन ये संगठन देश चलाने की चुनौतियों को लेकर संघर्ष कर रहा है. कुछ समय पहले ही संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट सामने आई थी कि अफगानिस्तान में 2022 के अंत तक 97 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं. इसके अलावा कुछ ऐसी भी रिपोर्ट्स थीं जिनमें लोग अपने घरों का सामान बेचकर खाना खरीदने जैसे मुश्किलों हालात से जूझ रहे हैं.
इस बीच अफगानिस्तान को लेकर पश्चिमी देश उहापोह की स्थिति का सामना कर रहे हैं. वे अफगानिस्तान के लोगों की मदद तो करना चाहते हैं लेकिन तालिबान के साथ डील नहीं करना चाहते. यही कारण है कि अफगानियों की मदद के लिए कुछ इंटरनेशनल अधिकारी एक बेहद अजीबोगरीब प्लान की तैयारी कर रहे हैं.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये अधिकारी कैश एयरलिफ्ट की योजना बना रहे हैं. दरअसल आसमान से पैसों की बारिश वाली कहावत अफगानिस्तान के लोगों के लिए आने वाले दिनों में सच हो सकती है क्योंकि पश्चिमी देशों द्वारा विमानों या हेलीकॉप्टर्स से नकदी उड़ाकर गरीब अफगानियों की मदद करने की कोशिश आने वाले दिनों में हो सकती है. इस योजना का मकसद तालिबान के प्रभाव के बिना इन अफगानी लोगों को मदद पहुंचाना है.
इस मामले में दो वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अफगानिस्तान को दान देने वाले देश तत्काल मानवीय संकट को रोकने के लिए हवा से नकदी भेजने के अलावा एक ट्रस्ट फंड का भी निर्माण करना चाहते हैं. इस फंड के सहारे लोगों की सैलरी और अस्पतालों तथा स्कूलों को खोले रखने की कोशिशें भी की जाएंगी.
अफगानिस्तान की इकोनॉमी में जान फूंकने की कोशिश
गौरतलब है कि कुछ वेस्टर्न डिप्लोमैट्स ने अफगानिस्तान की मदद करने की कोशिशें की हैं. यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने 110000 डॉलर्स की मदद कैश के सहारे की थी. इसके अलावा एक सीनियर डिप्लोमैट का कहना था कि अफगानिस्तान की इकोनॉमी में जान फूंकने के लिए दो अप्रोच पर काम चल रहा है. पहले प्लान के हिसाब से वर्ल्ड फूड प्रोग्राम कैश को सीधा लोगों तक पहुंचाया जाएगा ताकि वे लोग इस कैश से खाना खरीद सकें. ये अभी भी छोटे स्तर पर हो रहा है और इसे अफगानिस्तान में बड़े स्केल पर करने की तैयारी है. इसके अलावा दूसरे प्लान में यूएन बैंक में कैश को पहुंचाएगा जो यूएन एजेंसी और गैर-सरकारी संस्थाओं के कर्मचारियों की सैलरी के लिए काम आएगा.
पिछले कुछ हफ्तों में वर्ल्ड बैंक, इंटरनेशनल मोनिटेरी फंड और यूएस सेंट्रल बैंक ने अफगानिस्तान के इंटरनेशनल फंड के एक्सेस को खत्म किया है. इसके चलते इस देश में लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में कई बैंक खुल चुके हैं लेकिन इन बैंकों में 232 डॉलर्स यानि की साप्ताहिक लिमिट लगा दी है. पिछले कुछ दिनों में सैंकड़ों लोग बैंकों के बाहर पैसे निकालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हालांकि अफगानिस्तान में रहने वाले कई गरीब लोग ऐसे हैं जो इन बैंकों में भी नहीं जा सकते हैं और अपने घर के सामानों को बेचकर अपना पेट भर रहे हैं.