
दक्षिण कोरिया की राजनीति में पिछले कुछ घंटों में नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला. राष्ट्रपति ने मंगलवार देर रात अचानक ही देश में इमरजेंसी मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की लेकिन इसके छह घंटे बाद ही उन्होंने इस फैसले को वापस ले लिया. अब ऐसे में सवाल है कि इन 6 घंटों में क्या-क्या हुआ, जिसकी वजह से इस फैसले को वापस लेना पड़ा? इस पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार ढंग से समझने की जरूरत है.
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल (Yoon Suk Yeol) ने मंगलवार देर रात 11 बजे देश को संबोधित किया. उन्होंने इस दौरान देश में इमरजेंसी मार्शल लॉ लगाए जाने की घोषणा की. उन्होंने इसके पीछे वजह विपक्ष को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वह सरकार को पंगु बनाने की कोशिश कर रहा है.
राष्ट्रपति का ऐलान और सड़कों पर लोगों का जमावड़ा
राष्ट्रपति योल ने कहा कि विपक्षी देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त है और उत्तर कोरिया के एजेंडे पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों के खतरों से बचाने और देशविरोधी तत्वों को खत्म करने के लिए मैं इमरजेंसी मार्शल लॉ की घोषणा करता हूं. उन्होंने देश की स्वतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए इसे आवश्यक बताया.
राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ प्रभावी ढंग से लागू करवाने के लिए सेना जनरल पार्क अन सू को मार्शल लॉ कमांडर नियुक्त किया था, जिसने सभी राजनीतिक गतिविधियों, रैलियों और प्रदर्शनों पर रोक लगा दी थी.
इस ऐलान के साथ ही विपक्ष समेत देशभर में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. सिर्फ विपक्ष ही नहीं राष्ट्रपति की पीपुल्स पावर पार्टी के सांसदों ने ही इस फैसले का विरोध किया. पार्टी के प्रमुख नेता हान डोंग हून ने कड़ी आपत्ति जताई. विपक्षी नेता ने लोगों को संसद के बाहर जुटने को कहा. देखते ही देखते संसद के बाहर हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े. इस दौरान मार्शल लॉ खत्म करो और तानाशाही को उखाड़ फेंको के नारे गूंजने लगे.
इस उग्र स्थिति को देखते हुए पुलिस ने संसद परिसर को घेर लिया. लेकिन कई विपक्षी नेता बैरिकेडिंग पार कर और खिड़कियों के जरिए संसद परिसर में घुस गए. विपक्षी सांसदों ने भी संसद का घेराव कर नारेबाजी की. प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर सेना के वाहनों को रोकना शुरू कर दिया और सेना की ओर से लगाई गई बैरिकेडिंग हटानी शुरू कर दी. कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया.
विपक्ष ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग
राष्ट्रपति योल के इस ऐलान के तुरंत बाद देश की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने सांसदों को लामबंद करना शुरू किया. इस दौरान पार्टी की एक इमरजेंसी बैठक भी हुई. इस बैठक में राष्ट्रपति की ओर से उठाए गए कदमों और सरकार की ओर से लगाए जाने वाले प्रतिबंधों को लेकर चर्चा की गई. विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने कहा कि मार्शल लॉ की घोषणा असंवैधानिक है.
संसद में इमरजेंसी मार्शल लॉ के खिलाफ हुई वोटिंग
देश में इमरजेंसी मार्शल लॉ लगाए जाने के बाद नेशनल असेंबली में इस पर वोटिंग के लिए सांसद एकजुट हुए. इस दौरान असेंबली में वोटिंग कराई गई, जिसमें 300 में से 190 सासंदों ने मॉर्शल लॉ के विरोध में वोट किया.
दरअसल देश की संसद में विपक्ष को बहुमत हासिल है, जिस वजह से राष्ट्रपति हमेशा विपक्ष पर सरकार को पंगु बनाने का दावा करते रहे हैं.
तड़के 5 बजे वापस लेने पड़ा वापस
नेशनल असेंबली में मार्शल लॉ के विरोध में वोटिंग होने के बाद राष्ट्रपति योल ने इस फैसले को तुरंत प्रभाव से वापस ले लिया. संविधान के तहत राष्ट्रपति को संसद के फैसले का पालन करना ही होता है.
उन्होंने कहा कि वह सड़कों से सेना के हटने का आदेश दे रहे हैं. यह कदम राष्ट्रपति यून के राजनीतिक भविष्य के लिए खतरा हो सकता है क्योंकि वैसे ही देश में उनकी लोकप्रियता काफी कम है और इस फैसले के बाद उन्हें देशभर के लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है.
बता दें कि देश में आखिरी बार 1980 के दशक में मार्शल लॉ लगाया गया था. उस समय सेना ने लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन को कुचल दिया था. इस दौरान 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.