
साउथ कोरिया में महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक योल के खिलाफ चल रही जांच के तहत बुधवार सुबह उनके निवास पर अधिकारियों ने दूसरी बार गिरफ्तारी का प्रयास किया. सुबह के समय सैकड़ों पुलिसकर्मी उनके पहाड़ी इलाके में स्थित विला तक पहुंचने के लिए मार्च करते दिखे. राष्ट्रपति यून पिछले कई हफ्तों से वहां अपने निजी सुरक्षा बल के साथ रुके हुए हैं. दरअसल, 3 दिसंबर को मार्शल लॉ की घोषणा को लेकर योल के खिलाफ एक्शन जारी है.
पुलिस ने कहा कि गिरफ्तारी के लिए यून सुक के आवास पर 3,200 अधिकारियों को तैनात किया था, जहां यून समर्थक सैकड़ों प्रदर्शनकारी और उनकी पीपुल्स पावर पार्टी के सदस्य भी जुटे हुए हैं.
कार्यवाहक राष्ट्रपति चोई सांग-मोक ने बुधवार को एक बयान में कहा कि मैंने बार-बार राज्य एजेंसियों के बीच संघर्ष की रोकथाम की आवश्यकता पर जोर दिया है, अगर दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं तो मैं इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा दूंगा. यून द्वारा मार्शल लॉ की घोषणा ने दक्षिण कोरियाई लोगों को स्तब्ध कर दिया और एशिया के सबसे जीवंत लोकतंत्रों में से एक को राजनीतिक उथल-पुथल के अभूतपूर्व दौर में धकेल दिया.
एक वीडियो फुटेज में सैकड़ों पुलिस अधिकारियों को पहाड़ी पर स्थित उनके विला की ओर जाने वाली सड़क पर मार्च करते हुए दिख रहे हैं, जहां वे कई हफ्तों से निजी सुरक्षाकर्मियों की एक छोटी सेना की निगरानी में छिपे हुए हैं. कुछ अधिकारियों के पास सीढ़ियां और तार काटने वाले उपकरण थे, पहले यून के समर्थकों की भीड़ को धक्का देकर हटाया गया.
गिरफ्तारी का विरोध और सुरक्षा तकरार
यून के वकीलों ने गिरफ्तारी के प्रयासों को गैरकानूनी बताते हुए आरोप लगाया कि यह कदम उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के लिए उठाया गया है. पुलिस अधिकारियों को बुधवार को उनके निवास पर जाने के दौरान यून के समर्थकों और उनकी पार्टी "पीपल पावर पार्टी" के सदस्यों का भी विरोध झेलना पड़ा. सैकड़ों समर्थक, कड़कड़ाती ठंड में "स्टॉप द स्टील" (चुनावी चोरी बंद करो) जैसे नारों के साथ विरोध प्रदर्शन करते नजर आए.
मार्शल लॉ और राजनीतिक उथल-पुथल
यून द्वारा 3 दिसंबर को अचानक मार्शल लॉ लागू करने के फैसले ने दक्षिण कोरिया में राजनीतिक हलचल मचा दी थी. यह एशिया के सबसे जीवंत लोकतंत्रों में से एक दक्षिण कोरिया को अभूतपूर्व संकट में डालने वाला कदम था.