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3.5 अरब डॉलर की आर्थिक मदद, अनाज-दवाइयां-ईंधन पहुंचा रहा, जानें श्रीलंका के लिए क्या-क्या कर रहा भारत?

Sri Lanka Economic Crisis: श्रीलंका अपने अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है. उसके पास जरूरी सामान खरीदने के लिए भी पैसा नहीं बचा है. ऐसे में भारत उसकी मदद कर रहा है. भारत, श्रीलंका को खाना और दवा जैसी जरूरी चीजें भी मुहैया करा रहा है और आर्थिक तौर पर भी मदद कर रहा है.

श्रीलंका के आर्थिक संकट से अब वहां हिंसा भी बढ़ गई है. (फाइल फोटो-AP/PTI) श्रीलंका के आर्थिक संकट से अब वहां हिंसा भी बढ़ गई है. (फाइल फोटो-AP/PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2022,
  • अपडेटेड 11:24 AM IST
  • श्रीलंका को ईंधन, दवा, खाना पहुंचा रहा भारत
  • श्रीलंका को RBI का कर्ज लौटाने का समय भी दिया

Sri Lanka Economic Crisis: 1948 में आजाद हुआ श्रीलंका इस वक्त अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है. वहां महंगाई बेकाबू हो चली है. श्रीलंका के सेंट्रल बैंक के मुताबिक, अप्रैल में यहां महंगाई दर 30 फीसदी के करीब पहुंच गई. मार्च में ये 19 फीसदी से कम थी. लोगों में जबरदस्त गुस्सा है और अब ये गुस्सा हिंसा में बदल चुका है. प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार से जुड़े लोगों के घरों को जलाया जा रहा है. श्रीलंका में इमरजेंसी लगा दी गई है.

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श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी कर्ज है. इस आर्थिक संकट से निकलने के लिए श्रीलंका को कम से कम 4 अरब डॉलर की जरूरत है. आर्थिक मदद पाने के लिए श्रीलंका वर्ल्ड बैंक के साथ-साथ श्रीलंका और जापान जैसे देशों से भी बात कर रहा है. हालांकि, इस सबमें भारत उसका मजबूत साथी बनकर उभरा है.

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत इस साल अब तक श्रीलंका को 3.5 अरब डॉलर की मदद कर चुका है. इसके अलावा भारत उसकी बुनियादी चीजों जैसे खाने-पीने का सामान और दवाओं की कमी को पूरा करने में मदद कर रहा है. भारत का कहना है कि श्रीलंका का करीबी पड़ोसी और उसके साथ ऐतिहासिक संबंध होने के नाते, भारत उसके लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक स्थिति में सुधार को लेकर पूरी तरह साथ है.

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भारत की ओर से मिल रही मदद पर श्रीलंका की प्रमुख तमिल पार्टी तमिल नेशनल अलायंस के सांसद एमए सुमंथिरन ने कहा कि इस मदद के लिए हम आभारी हैं और यही हमें जिंदा रखे हुई है. 

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श्रीलंका में गैस भरवाने के लिए लंबी लाइनें लगी हुईं हैं. (फाइल फोटो-AP/PTI)

श्रीलंका के लिए क्या-क्या कर रहा भारत?

- श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने के लिए भारत अपनी 'पड़ोसी पहले नीति' के तहत मदद कर रहा है. भारत इस साल अब तक श्रीलंका की 3.5 अरब डॉलर यानी 27 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद कर चुका है. इसके अलावा खाना और दवाओं जैसी बुनियादी जरूरतों की कमी को भी पूरा कर रहा है.

- पिछले महीने भारत ने श्रीलंका को 1 अरब डॉलर का कर्ज देने का ऐलान किया था. इसके तहत भारत श्रीलंका को चावल, लाल मिर्च जैसे फूड आइटम्स की मदद कर रहा है. इसके अलावा शक्कर, मिल्क पाउडर, गेहूं, दवाएं, ईंधन और इंडस्ट्रियल रॉ मटीरियल की आपूर्ति भी कर रहा है. श्रीलंका में स्थित भारतीय दूतावास के मुताबिक, इसके तहत अब तक श्रीलंका को 16 हजार मीट्रिक टन चावल दिया जा चुका है.

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- श्रीलंका पेट्रोल, डीजल और हवाई ईंधन खरीद सके, इसके लिए भारत ने 500 मिलियन डॉलर (करीब 3800 करोड़ रुपये) की क्रेडिट लाइन को भी मंजूरी दी है. भारत की मदद से श्रीलंका के 1,300 से ज्यादा पंपों में पेट्रोल-डीजल पहुंचा है, जिससे 25 जिलों को फायदा हो रहा है. भारत अब तक 4 लाख मीट्रिक टन ईंधन श्रीलंका को दे चुका है.

- इसके अलावा श्रीलंका के केंद्रीय बैंक को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को जो 1 अरब डॉलर का भुगतान करना था, उसे भी अभी टाल दिया गया है. इसके साथ ही भारत ने श्रीलंका को 400 मिलियन डॉलर का भुगतान अपनी ही करंसी से करने को कहा है. आरबीआई का कर्ज लौटाने के लिए श्रीलंका को भारत ने तीन महीने का समय दे दिया है. 

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श्रीलंका की हालत बेहद खराब

श्रीलंका में हालात इतने खराब हो गए हैं कि वहां 35 दिन में दोबारा इमरजेंसी लगानी पड़ी है. लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के पैतृक घर को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया है. कई सांसदों के घरों को भी जला दिया गया है. 

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श्रीलंका अपने अब तक के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है. इस आर्थिक संकट का सबसे बड़ा कारण उसके विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आना है. इसका मतलब ये हुआ कि श्रीलंका के पास अब दूसरे देशों से फूड आइटम्स, ईंधन और दवाओं जैसे सामान खरीदने के लिए भी रकम नहीं है. नतीजतन जरूरी कीमतों के दाम आसमान छू रहे हैं.

श्रीलंका में 9 अप्रैल से ही सड़कों पर हजारों प्रदर्शनकारी हैं. क्योंकि सरकार के पास जरूरी सामान खरीदने के लिए भी पैसा नहीं है. खाना, सब्जियां और दवाओं जैसी बुनियादी जरूरतों की कीमतें बेतहाशा बढ़ गईं हैं. पेट्रोल पंपों पर न तो ईंधन बचा है और न ही बिजली की सप्लाई हो रही है.

 

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