
Sri Lanka Economic Crisis: भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में जैसे पूरा सिस्टम कौलैप्स कर गया हो, जनता बगावत कर चुकी है, राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री के घरों पर हजारों की भीड़ कब्जा जमा चुकी है, बड़े से बड़ा नेता सीन से गायब है और कहें तो देश में अराजकता का ये हाल है कि आगे क्या होगा न जनता को पता है और न नेता को और न अधिकारियों को. श्रीलंका का आर्थिक संकट अब राजनीतिक संकट में भी बदलता जा रहा है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे इस्तीफा देने को तैयार हो गए हैं. प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी इस्तीफे की पेशकश कर दी है. ऐसे में अब वहां सर्वदलीय सरकार बनाने की तैयारी शुरू हो गई है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सोमवार को स्पीकर महिंदा यापा आबेवर्देना ने संसदीय मामलों की समिति की मीटिंग बुलाई है. इस मीटिंग में देश के राजनीतिक हालातों पर चर्चा होगी. इस मीटिंग में नए राष्ट्रपति की नियुक्ति और नई सरकार के गठन पर चर्चा होगी.
श्रीलंका में महीनों से आर्थिक संकट से जूझ रही जनता शनिवार को उग्र हो गई. हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास पर कब्जा कर लिया था. उसी दिन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास को भी आग के हवाले कर दिया गया था. तीन दिन से हजारों लोग कोलंबो में राष्ट्रपति आवास पर डटे हुए हैं. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे किसी सीक्रेट लोकेशन पर चले गए हैं. वहीं से उन्होंने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को बताया है कि वो 13 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद आगे क्या?
- श्रीलंका के संविधान के मुताबिक, अगर राष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं, तो प्रधानमंत्री अपने आप कार्यकारी राष्ट्रपति बन जाते हैं. प्रधानमंत्री तब तक कार्यकारी राष्ट्रपति बने रहते हैं, जब तक नया राष्ट्रपति नहीं चुन लिया जाता.
- लेकिन, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी अपना इस्तीफा देने की बात कही है. ऐसे में संविधान कहता है कि अगर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों इस्तीफा दे देते हैं तो 30 दिन तक स्पीकर कार्यकारी राष्ट्रपति बन जाते हैं.
- श्रीलंका के मौजूदा सियासी संकट में स्पीकर आबेवर्देना अब कार्यकारी राष्ट्रपति बन जाएंगे. लेकिन 30 दिन के भीतर संसद को नया राष्ट्रपति चुनना होगा. राष्ट्रपति के कार्यकाल में अभी 2 साल का समय बाकी है. यानी, नया राष्ट्रपति दो साल तक इस पद पर बना रहेगा.
श्रीलंका में कितने बुरे हैं हालात?
- 22 करोड़ की आबादी वाला श्रीलंका 1948 में आजादी के बाद अपने अब तक के सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है. खाने-पीने का सामान और दवा जैसी बुनियादी जरूरतों की भी कमी होने लगी है. लोग खाना पकाने के लिए केरोसिन तेल और एलपीजी सिलेंडर खरीदने के लिए लाइनों में लगे हुए हैं.
- महीनों से हजारों-लाखों लोग सड़कों पर हैं. आर्थिक संकट में देश को झोंकने के लिए लोग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. लोगों का गुस्सा जब सड़कों पर फूटा तो मई में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया था. और अब राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे भी इस्तीफा देने जा रहे हैं.
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, श्रीलंका में हालात इतने बिगड़ गए हैं कि स्कूलों को बंद करना पड़ गया है. ईंधन भी सिर्फ जरूरी सेवाओं तक सीमित कर दिया गया है. पेट्रोल-डीजल की कमी की वजह से मरीज अस्पताल भी नहीं जा पा रहे हैं. खाने की कीमतें आसमान छू रहीं हैं.
- इतना ही नहीं, ट्रेनों की संख्या भी कम कर दी गई है. यात्री डिब्बे के ऊपर बैठकर यात्रा करने को मजबूर हैं. राजधानी कोलंबो समेत कई बड़े शहरों में सैकड़ों लोग ईंधन खरीदने के लिए घंटों तक लाइन में खड़े रहने को मजबूर हैं. कई बार लोगों की पुलिस और सेना से झड़प भी होती रहती है
लेकिन ये सब कैसे हुआ?
- चीन से नजदीकियां बढ़ाईंः 2015 में महिंदा राजपक्षे की सरकार आने के बाद से चीन से नजदीकियां बढ़ीं. चीन ने इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर भारी कर्ज दिया. श्रीलंका के आर्थिक संकट के पीछे चीन को बड़ी वजह माना जा रहा है.
- कर्जा बढ़ाः श्रीलंका पर विदेशी कर्ज लगातार बढ़ता गया. श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के मुताबिक, 2010 में देश पर 21.6 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था, 2016 में बढ़कर 46.6 अरब डॉलर हो गया. अभी श्रींलका पर 51 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है.
- विदेशी मुद्रा भंडार में कमीः ज्यादा कर्ज लेने और कम कमाई होने से श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से कम हुआ. अप्रैल 2018 में करीब 10 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जो मई 2022 तक घटकर 1.7 अरब डॉलर का हो गया.
- टूरिज्म पर मारः श्रीलंका की अर्थव्यवस्था काफी हद तक टूरिज्म पर निर्भर है. कोरोना की वजह से टूरिज्म पर बहुत बुरी मार पड़ी है. श्रीलंका की GDP में टूरिज्म और उससे जुड़े सेक्टरों की हिस्सेदारी 10% के आसपास है. विदेशी पर्यटकों के न आने से भी विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई.