
श्रीलंका में खाद्य वस्तुओं की कमी के बीच सब्जियों की कीमत आसमान छू रही है. खाद्य संकट को देखते हुए श्रीलंका की सरकार ने लोगों से आग्रह किया है कि वो अपने खाने के लिए खुद सब्जियां उगाएं. सरकार लोगों को प्रोत्साहन के लिए आर्थिक मदद भी दे रही है.
श्रीलंका की सरकार ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति 20 पर्च जमीन (करीब 505 स्क्वायर मीटर) में सब्जी की खेती करता है तो उसे 5000 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
सह कैबिनेट प्रवक्ता एवं वृक्षारोपण मंत्री डॉ. रमेश पथिराना ने ये जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जो लोग अधिकतम एक एकड़ तक की जमीन पर सब्जी की खेती करना चाहते हैं, सरकार उन्हें 10 हजार का भत्ता देगी. मंत्री का कहना था कि इसका लक्ष्य श्रीलंका के संकटग्रस्त कृषि क्षेत्र में उत्पादन और प्रति व्यक्ति खपत को बढ़ावा देना है.
उन्होंने कहा, 'संकट के समय में जब कुछ वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है, हम सम्मानपूर्वक सभी श्रीलंकाई लोगों को इन सुविधाओं का उपयोग करने के लिए आमंत्रित करते हैं. सरकार ने कृषि उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए एक लक्ष्य रखा है. हम सभी श्रीलंकाई लोगों से इसमें सक्रिय रूप से योगदान करने का आग्रह करते हैं.'
श्रीलंका की सरकार ने कुछ समय पहले कहा था कि देश में अब पूरी तरह से जैविक खेती की जाएगी. इस फैसले का भारी विरोध किया गया था. विशेषज्ञों ने आगाह किया था कि इससे श्रीलंका का खाद्य संकट और गहरा होगा. कुछ सरकारी अधिकारियों ने खाद्य संकट को लेकर चेतावनी दी थी जिसके बाद उन्हें पद से ही हटा दिया गया.
हालांकि रासायनिक उर्वरकों पर रोक को अब समाप्त कर दिया गया है और कृषि रसायनों के आयात को अनुमति मिल गई है. लेकिन अभी भी किसानों को खेती के लिए उर्वरक नहीं मिल पा रहा है.
22 दिसंबर को कृषि मंत्रालय के सचिव प्रो. उदित के जयसिंघे ने खाद्य संकट को लेकर एक बयान दिया था जिसके बाद गोटाबाया राजपक्षे की सरकार ने उन्हें अनौपचारिक रूप से पद से हटा दिया था.
इससे पहले भी कृषि पर सरकार के शीर्ष सलाहकार प्रोफेसर बुद्धि मराम्बे को सरकार ने हटाया था. उन्होंने रासायनिक उर्वरकों पर पूर्ण रोक की आलोचना की थी जिसके बाद उन्हें सभी सरकारी पदों से बर्खास्त कर दिया गया था. अपने आलोचकों को इस तरह दबाने के लिए राजपक्षे सरकार की आलोचना होती रही है.