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श्रीलंका: PM मोदी से प्रेमदासा की भावुक अपील, राष्ट्रपति चाहे जो बने, मां लंका की मदद करते रहें

श्रीलंका की संसद में 44 साल में पहली बार आज त्रिकोणीय मुकाबले में सीधे राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है. राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में कार्यकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अलावा दुल्लास अलहप्परुमा और अनुरा कुमारा दिसानायके मैदान में हैं.

साजिथ प्रेमदासा (File Photo) साजिथ प्रेमदासा (File Photo)
aajtak.in
  • कोलंबो,
  • 20 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 4:36 AM IST
  • श्रीलंका में विपक्ष के दिग्गज नेता हैं साजिथ प्रेमदासा
  • राष्ट्रपति चुनाव में विक्रमसिंघे और अलहप्परुमा के बीच मुख्य मुकाबला

श्रीलंका में बदतर आर्थिक हालात के बीच विपक्ष के दिग्गज नेता साजिथ प्रेमदासा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भावुक अपील की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'श्रीलंका का राष्ट्रपति जो कोई भी बने, माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत की सभी राजनीतिक पार्टियों और वहां के लोगों से मेरा विनम्र निवेदन है कि इस आपदा से बाहर आने के लिए मां लंका और उसके लोगों की मदद करते रहें.

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बता दें कि श्रीलंका की संसद में 44 साल में पहली बार आज (20 जुलाई) त्रिकोणीय मुकाबले में सीधे राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है. राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में कार्यकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अलावा दुल्लास अलहप्परुमा और अनुरा कुमारा दिसानायके मैदान में हैं. इन तीनों में से किसी एक को देश छोड़कर भागने वाले गोटाबाया राजपक्षे की जगह राष्ट्रपति चुना जाएगा. 

चुनाव से पहले दुल्लास अलहप्परुमा, विक्रमसिंघे पर बढ़त बनाते नजर आ रहे हैं. उन्हें अपनी पार्टी के ज्यादातर नेताओं के अलावा विपक्ष का भी समर्थन मिलता दिख रहा है. श्रीलंका के पूर्व विदेश मंत्री जीएल पीरिस ने कहा कि श्रीलंका की सत्ताधारी पार्टी पोदुजाना पेरामुना (SLPP) के अधिकतर नेताओं के अलावा विपक्ष के नेता भी दुल्लास अलहप्परुमा को राष्ट्रपति और साजिथ प्रेमदासा को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं.

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हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 73 साल के विक्रमसिंघे राष्ट्रपति की रेस में अब भी आगे चल रहे हैं. लेकिन 225 सीट वाली संसद में बहुमत साबित करना इतना आसान नहीं होगा. अगर श्रीलंका में आर्थिक हालात बेहद खराब होने से पहले अगस्त 2020 की संसदीय संरचना को देखें, तो 145 की संख्या वाली SLPP पार्टी से 52 सांसद टूट गए थे. इसके बाद पार्टी में 93 सदस्य बचे थे, जो बाद में 4 सदस्यों के लौटने के बाद 97 हो गए थे.

225 सदस्यीय सदन में विक्रमसिंघे को जादुई आंकड़ा छूने के लिए 113 का समर्थन चाहिए. उन्हें इसके लिए 16 वोटों की और जरूरत है. विक्रमसिंघे को तमिल पार्टी के 12 वोटों में से कम से कम 9 पर भरोसा है. इसके अलावा वे मुख्य विपक्षी समागी जाना बालवेगया (SJB) के दलबदलुओं पर भी भरोसा कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर को विक्रमसिंघे ही राजनीति में लाए हैं.

SJB के नेता साजिथ प्रेमदासा, अलहप्परुमा को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं. अलहप्परुमा के पक्ष में एक और बड़ी घटना सामने आई है. श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (SLFP) भी उन्हें वोट देने का फैसला कर चुकी है. टीपीए नेता सांसद मनो गणेशन ने कहा कि तमिल प्रगतिशील गठबंधन (टीपीए) ने भी सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुनाव में अल्हाप्परुमा का समर्थन करने का फैसला किया है. श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस (SLMC) और ऑल सीलोन मक्कल कांग्रेस (ACMC) ने भी अलहप्परुमा को वोट देने का फैसला किया है.

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