
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने रविवार को कहा कि उनके देश के खिलाफ यूएनएचआरसी में हाल में पारित प्रस्ताव के पीछे स्थानीय और विदेशी ताकतें हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ऐसे दबावों के आगे नहीं झुकेगी.
यूएनएचआरसी ने मंगलवार को श्रीलंका के मानवाधिकार रिकॉर्ड के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था जिसने संयुक्त राष्ट्र संस्था को लिबरेशन टाइगर्स ऑर्फ तमिल ईलम (लिट्टे) के खिलाफ देश के तीन दशक लंबे चले गृहयुद्ध के दौरान किए गए अपराधों के सबूत इकट्ठा करने का एक आदेश दिया है.
रविवार को दक्षिणी मटारा ग्रामीण जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए राजपक्षे ने कहा, 'हम (ऐसे) दबावों (यूएनएचआरसी प्रस्ताव) के आगे कभी नहीं झुकेंगे, हम एक स्वतंत्र राष्ट्र हैं. हम हिंद महासागर में बड़ी शक्ति प्रतिद्वंद्विता के शिकार नहीं होंगे.' राष्ट्रपति ने कहा कि यूएनएचआरसी के प्रस्ताव के पीछे 'विदेशी और स्थानीय ताकतें' हैं, जो उनकी सरकार को प्रगति करते हुए नहीं देख सकतीं.
श्रीलंका सरकार के मुताबिक उत्तर और पूर्व में श्रीलंकाई तमिलों के साथ तीन दशक के क्रूर युद्ध के साथ विभिन्न संघर्षों के कारण 20,000 से अधिक लोग लापता हैं, जिसमें 100,000 लोगों के जिंदा रहने का दावा किया गया था. तमिलों ने आरोप लगाया कि साल 2009 में खत्म हुए युद्ध के अंतिम चरणों के दौरान हजारों लोगों का नरसंहार किया गया था.
सेना ने लिट्टे के प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन की हत्या कर दी थी. वहीं श्रीलंकाई सेना ने इस आरोप का खंडन किया है, यह लिट्टे के नियंत्रण के तमिलों से छुटकारा पाने के लिए मानवीय कार्रवाई के रूप में दावा करता है.