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जानी दुश्मन श्रीलंकाई तमिलों और सिंहलियों का DNA एक, शोध में हुए हैरान करने वाले खुलासे

हालिया रिसर्च से यह बात सामने आई है कि जानी दुश्मन समझे जाने वाले श्रीलंका के तमिल और सिंहल जाति का DNA एक समान है. रिसर्च में यह भी सामने आया है कि श्रीलंका में मौजूद सिंहली जाति के लोग मूल रूप से मराठा थे जो भारत से माइग्रेट होकर श्रीलंका गए थे. 

श्रीलंका में तमिलों और सिंहल आबादी के बीच तनाव रहा है (Photo- AP) श्रीलंका में तमिलों और सिंहल आबादी के बीच तनाव रहा है (Photo- AP)
रोशन जायसवाल
  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:08 PM IST

एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में श्रीलंका के प्रमुख जातीय समूह, सिंहली और तमिलों के आनुवांशिक इतिहास के बारे में महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी सामने आई है. श्रीलंका जिस जातीय लड़ाई में उलझकर चीन का कर्जदार हो गया, वहां की बहुसंख्यक आबादी सिंहली और अल्पसंख्यक आबादी श्रीलंकाई तमिल एक दूसरे के जानी दुश्मन माने जाते हैं. इस रिसर्च से यह बात निकलकर आई है कि दोनों के DNA एक समान हैं. 

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इस अध्ययन को प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे, बीएचयू, वाराणसी, डॉ. नीरज राय बीएसआईपी, लखनऊ और डॉ. आर.रणसिंघे आईबीएमबीबी, कोलंबो विश्वविद्यालय के सह-नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने सिंहली और तमिल आबादी के डीएनए डेटा का व्यापक स्तर पर विश्लेषण किया है.

इस अध्ययन में श्रीलंका के प्रमुख जातीय समूह, सिंहली और तमिलों की आनुवांशिक समानता और ऐतिहासिक उत्पत्ति के बारे में डीएनए के आधार पर विस्तृत रूप से बताया गया है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट (BSIP), लखनऊ समेत श्रीलंका की रणसिंघे और कोलंबो यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में सामने आया है कि श्रीलंका के सिंहली और तमिल लोगों का DNA एक ही है. आज भले ही देश, संस्कृति, बोली और भाषा सब कुछ अलग हो.

भारत से श्रीलंका जाकर बसे थे सिंहल जाति के लोग

रिसर्च में यह भी सामने आया है कि श्रीलंका में मौजूद सिंहली जाति के लोग मूल रूप से मराठा थे जो भारत से माइग्रेट होकर श्रीलंका गए थे. 

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यह शोध इस सप्ताह प्रतिष्ठित जर्नल आईसाइंस में प्रकाशित हुआ है. बीएचयू के जीन वैज्ञानिक और इस शोध में अहम भूमिका अदा करने वाले प्रो ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि पहली बार 5 लाख से ज्यादा जेनेटिक मार्कर्स (म्युटेशन) का उपयोग करते हुए यह हाई रिजोल्यूशन अध्ययन किया है. जो सिंहली और तमिल जाति समूहों के जीन संरचना को जानने के लिए एक अत्याधुनिक दृष्टिकोण का उपयोग करता है. उन्होंने आगे बताया कि यह अध्ययन न केवल सिंहली लोगों के आनुवांशिक इतिहास पर प्रकाश डालता है, बल्कि श्रीलंका की विविध आबादी का भारत से माइग्रेशन और उनकी जेनेटिक मिक्सिंग को भी तथ्यात्मक रूप से बताता है.

शोध का निष्कर्ष हैरान करने वाला

आईबीएमबीबी, कोलंबो विश्वविद्यालय, श्रीलंका के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रणसिंघे ने कहा कि इस शोध का निष्कर्ष बहुत ही हैरान करने वाला था. सिंहली और तमिल जो कि अलग-अलग भाषा बोलते हैं और सांस्कृतिक रूप से अलग हैं, उनकी आनुवांशिक संरचना एक ही तरह की पाई गई है. जिनका अर्थ है कि ये दोनों मानव समूह के बीच जीन प्रवाह हजारों वर्षों से जारी है जो जातीयता और भाषा की सीमाओं के पार है. इस अध्ययन में कहा गया है कि सिंहली और तमिल आबादी श्रीलंका में भारत से लगभग एक ही समय यानी पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व में आयी.

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बीएसआईपी, लखनऊ के प्राचीन डीएनए प्रयोगशाला हेड डॉ. नीरज राय ने कहा कि पहली बार इस शोध में पाया गया कि सिंहली आबादी विशेष रूप से पश्चिम भारत की मराठा आबादी से जुड़ी हुई है और यह आनुवांशिक विरासत अभी भी अपने डीएनए में सहेजे हुए है.

प्रसिद्ध भाषाविद प्रोफेसर जॉर्ज वैन ड्रिम ने कहा कि दक्षिण एशियाई आबादी के व्यापक संदर्भ में श्रीलंकाई जातीय समूह किसी भी अन्य जाति या जनजाति समूहों की तुलना में आनुवांशिक रूप से अधिक समान हैं.

बीएचयू के विज्ञान संकाय के निदेशक प्रोफेसर अनिल के. त्रिपाठी ने कहा कि दक्षिण एशियाई आबादी की आनुवांशिक विरासत को समझने को बीएचयू लगातार प्रयासरत है. 

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