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टिकटॉक: चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी का प्रोपेगेंडा हथियार या खालिस मनोरंजन का औजार!

टिकटॉक टिकलिंग करता है, हमें गुदगुदाता है या फिर ये ब्रेन वॉश का एक टूल है. अगर ट्रंप न पसीजे तो टिकटॉक अमेरिका में भी इतिहास बन जाएगा. अमेरिकी सरकार इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अमेरिका के 17 करोड़ यूजर्स का ओपिनियन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के हितों के अनुरूप मॉल्ड करने का दोषी मानती है.

टिकटॉक पर बैन (फोटो-Meta/AI) टिकटॉक पर बैन (फोटो-Meta/AI)
पन्ना लाल
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 10:52 AM IST

TikTok controversy: 15 सेकेंड की कहानी, लेकिन दुनिया दीवानी. टिकटॉक के 15 सेकेंड वाले रील्स की दुनिया दीवानी तो है. इसे झुठलाया नहीं जा सकता है. बंदा जो भी कर रहा है, जहां भी है, जैसा भी है, टिक-टॉक पर आइए और 15 सेकेंड में दुनिया को अपनी कहानी बताइए. 15 सेकेंड का ये जुड़ाव टॉक्सिक है. मिनटों नहीं लगते और मिलियन में रिच. कमाई भी और पॉपुलरैटी भी. भारत में तो टिक टॉक ने स्टार्स की एक अलग ही क्लास पैदा कर दी थी जो इसी 15 सेकेंड के नेम और फेम से पैदा हुए थे. 

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अमेरिका को भी यही बीमारी लगी और भयंकर लगी. आप ये जानकर हैरान हो सकते हैं कि 34 करोड़ की आबादी वाले अमेरिका में इसके 17 करोड़ एक्टिव यूजर हैं. आप इसे अमेरिका की 50 परसेंट आबादी भी मान सकते हैं. टिकटॉक की लत तक को बात ठीक थी, अमेरिकी प्रशासन इसे तवज्जो नहीं दे रहा था. लेकिन जब रिसर्च से बात सामने आई कि टिकटॉक के जरिये अमेरिकी युवाओं का ब्रेनवॉश किया जा रहा है तो यूएस एजेंसियां चौकन्नी हो गई. 

अगर भारत के संदर्भ में बात करें तो यहां बैन से पहले इसे 100 मिलियन लोगों ने यानी कि 10 करोड़ लोगों ने डाउनलोड किया था. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में हर महीने इसे तकरीबन  20 मिलियन लोग इस्तेमाल करते हैं. ये चाइनीज एप युवाओं के बीच कितना पॉपुलर था इसका इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गूगल प्ले स्टोर पर 80 लाख लोगों ने इसका रिव्यू किया है. 

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शोहरत और कमाई की बारिश करने वाले इस एप के यूजर शहर तो छोड़िए गांवों और मोहल्ले तक में थे. सरकार के लिए सबसे चिंता की बात ये थी कि इसकी लत में 10-12 साल के बच्चे आ रहे थे. 

इस प्लेटफॉर्म पर बॉलीवुड स्टॉर्स की मौजूदगी ने इसे और भी स्पेस दिया और ये दनादन फैलने लगा. 

आखिरकार भारत सरकार का ध्यान इस एप की ओर गया. सरकार ने पाया कि चीनी स्वामित्व वाली ये कंपनी भारतीय के करोड़ों गीगाबाइट डाटा को स्टोर कर रही है. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता था. ऐसी आशंकाएं थीं कि यूजर्स डेटा, जिसमें संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी शामिल हो सकती है, चीनी सरकार के साथ साझा किया जा सकता है, खासकर देश के डेटा-शेयरिंग कानूनों को देखते हुए. भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने तर्क दिया था कि ऐप देश की संप्रभुता और अखंडता का उल्लंघन करता है, चेतावनी दी कि इस तरह के डेटा का इस्तेमाल संभावित रूप से जासूसी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. 

इसके अलावा ये एप युवाओं, छात्रों, गृहणियों के अनमोल घंटे फालतू में बर्बाद कर रहा था. इससे जुड़ी कई शिकायतें और अपराध दर्ज किये जा रहे थे.

इस बीच 15 जून 2020 को गलवान की घटना हुई. जहां चीन ने भारत के साथ विश्वासघात किया. इसके बाद 29  जून 2020 को भारत सरकार ने टिक टॉक को देश में बैन कर दिया. 

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अमेरिका को 5 साल बाद समझ में आया 

भारत ने जिस खतरे को 2020 में महसूस कर लिया. वहां तक पहुंचने में अमेरिका को 5 साल और लगे. सोमवार 20 जनवरी से टिकटॉक अमेरिका में बैन हो गया है. अगर टिक टॉक की पैरेंट कंपनी बाइट डांस के मालिक झेंग यिमिंग नए राष्ट्रपति ट्रंप के शर्तों को नहीं मानते हैं तो टिकटॉप इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगा. 

टिक टॉक के खिलाफ अमेरिका में माहौल भारत में प्रतिबंध के साथ ही बनने लगा था. राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रहीं निक्की हेली ने इस एप के खिलाफ खुलकर आवाज उठाया. रिपब्लिकन प्रेशिडेंशियल प्राइमरी डिबेट के दौरान निक्की हेली ने कहा था कि हमें वाकई में हमेशा के लिए TikTok पर प्रतिबंध लगाने की ज़रूरत है और मैं आपको बताती हूं कि ऐसा क्यों है. 

उन्होंने वजह बताते हुए कहा, "हर 30 मिनट में कोई व्यक्ति TikTok देखता है तो वह 17% ज़्यादा यहूदी विरोधी और हमास समर्थक बन जाता है."

अपने बात को साबित करने के लिए निक्की हेली ने एक रिसर्च का हवाला दिया. एंथनी गोल्डब्लूम नाम के एक डाटा साइंटिस्ट ने युवाओं पर इसके प्रभाव का अध्ययन किया था. हालांकि हेली पर आरोप लगा कि उन्होंने रिसर्च को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है. 

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निक्की हेली के आरोपों से अमेरिका में इतनी सनसनी फैली कि टिकटॉक को इन आरोपों का खंडन करना पड़ा. 

तिब्बत और उइगर अल्पसंख्यकों की जानकारी दबाता है टिकटॉक

अमेरिकी वेबसाइट एनबीसी न्यूज के अनुसार 18 से 29 वर्ष की आयु के एक तिहाई अमेरिकी अपनी अधिकांश खबरें TikTok से प्राप्त करते हैं, और शोध से पता चलता है कि उनमें से आधे लोग राजनीति से जुड़े रहने के लिए इस प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं. 

चीन के साथ अमेरिका की प्रतिद्वंदिता के बीच इस प्लेटफॉर्म पर बैन लगाने की मांग बढ़ने लगी. अप्रैल 2024 में कांग्रेस ने एक विधेयक पारित किया, जिसमें बाइटडांस को TikTok बेचने के लिए 270 दिन दिए गए. बाइटडांस ऐसा करने में फेल रहा. 

इस मामले की अमेरिकी कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सरकार की ओर से पेश किये गये दस्तावेजों में कहा गया कि यह प्लेटफॉर्म चीनी सरकार के विचारों के पक्ष में पक्षपाती है, इसमें उइगर अल्पसंख्यकों के साथ चीन के व्यवहार और तिब्बत में उसकी कार्रवाइयों के बारे में जानकारी को दबाना शामिल है. यानी टिकटॉक इन सूचनाओं को दबाता है और अमेरिकी युवाओं को चीन की स्वतंत्र राय बनाने से रोकता है. 

इस प्लेटफॉर्म ने चीन के हितों के साथ टकराव वाले हर कंटेट को रोकने की कोशिश की है. इसमें तियानमैन चौक पर चीनी नरसंहार की घटना और हॉन्गकॉन्ग में सरकार विरोधियों पर चीन की कार्रवाई भी शामिल है. 

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अमेरिकी कांग्रेस के दोनों दलों के सदस्यों का कहना है कि वे TikTok को अनिवार्य रूप से चीनी सरकार के नियंत्रण में देखते हैं, भले ही कंपनी के अधिकारी स्वतंत्रता का दावा क्यों न करें. 

TikTok के मालिक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति कृतज्ञ हैं

सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष डेमोक्रेटिक सीनेटर मार्क वार्नर ने एनबीसी न्यूज से कहा था, "हमें इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि चीनी कानून के तहत, TikTok के मालिक अंततः शेयरधारकों या अपने उपयोगकर्ताओं के प्रति नहीं, बल्कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति कृतज्ञ हैं."

अमेरिकी खुफिया एजेंसियां ​​कई सालों से टिकटॉक से राष्ट्रीय सुरक्षा को होने वाले खतरों के बारे में चिंता जता रही हैं. एनबीसी ने अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के हवाले से कहा है, "जोखिम दो तरफा है, चीनी सरकार टिकटॉक द्वारा अपने 170 मिलियन अमेरिकी उपयोगकर्ताओं के बारे में इकट्ठा संवेदनशील जानकारी का फायदा उठा सकती है, जिसमें लोकेशन और फोन संपर्क शामिल हैं; इसके अलावा टिकटॉक के एल्गोरिद्म को गुप्त रूप से हेरफेर किया जा सकता है ताकि यूजर्स को मिलने वाले कंटेंट के जरिये चीन अपने "दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों" को आकार दे सके. 

इस मामले की सुनवाई के दौरान अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि 170 मिलियन से ज़्यादा अमेरिकियों के लिए TikTok अभिव्यक्ति, जुड़ाव के साधन और समुदाय के स्रोत के लिए एक विशिष्ट और व्यापक आउटलेट प्रदान करता है, लेकिन कांग्रेस ने निर्धारित किया है कि TikTok के डेटा संग्रह का तरीका और विदेशी शत्रु के साथ अपने संबंधों के आलोक में राष्टीय सुरक्षा की चिंताओं को दूर करना आवश्यक है."

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अदालत ने टिकटॉक को बैन करने का समर्थन करते हुए कहा कि टिक टॉक जैसी कंपनियों को चीनी कानून के तहत चीनी सरकार को डेटा सौंपने की आवश्यकता हो सकती है. अदालत ने स्पष्ट कहा, "सरकार के पास TikTok को अलग करने का अच्छा कारण था."

15 सेकेंड में अरबों डॉलर की कमाई का फंडा

टिकटॉक अमेरिकी की दिग्गज कंपनियों में शामिल है. वैल्यूएशन फर्मों के मुताबिक अगर बाइटडांस टिकटॉक को बेचने का फैसला करती है तो आज के समय में इसकी कीमत 40 से 50 अरब डॉलर है. 

ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के विश्लेषकों का अनुमान है कि टिकटॉक का अमेरिकी ऑपरेशन 30 बिलियन डॉलर से 35 बिलियन डॉलर के बीच है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार टिकटॉक ने अमेरिका में साल 2023 में 15 बिलियन डॉलर की कमाई की थी. वहां के 70 लाख छोटे बिजनेसमैन इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं.  

टिकटॉक अपनी कमाई का अच्छा खासा हिस्सा यूजर्स को भी देता है. रिपोर्ट के अनुसार एक लाख व्यूज के लिए वीडियो क्रिएटर को 500 से 1000 डॉलर मिलते हैं. अमेरिका के 40  से 50 फीसदी टिकटॉक इन्फ्लूएंशर 15 हजार डॉलर तक महीना कमाते हैं. इस लिहाज से ये रोजगार का अच्छा पेशा है. 

सोशल मीडिया का शॉर्ट वीडियो किंग

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शॉर्ट वीडियो किंग के नाम से अपना साम्राज्य चलाने वाले झेंग चीन के तीसरे सबसे बड़े रईस हैं. उनकी मौजूदा नेटवर्थ 49.3 अरब डॉलर है. बाइटडांस के पास वीडियो शेयरिंग ऐप TikTok के अलावा न्यूज एग्रीगेटर सर्विस Toutiao भी है.  दुनियाभर में इस कंपनी के एक अरब से ज्यादा यूजर्स हैं. इस तरह से इस कंपनी के विचार की विचारधारा को प्रभावित करने का जरूरी साजो सामान मौजूद है. 

किन किन देशों में बैन है टिकटॉक

भारत के अलावा टिकटॉक ईरान, जॉर्डन, किर्गिज़स्तान, उत्तर कोरिया, सोमालिया और उज़्बेकिस्तान में भी बैन है. अमेरिका के नए राष्ट्रपति ट्रंप ने फिलहाल भले ही टिकटॉक को राहत दी हो लेकिन अभी भी इस पर प्रतिबंध का खतरा मंडरा है. 

सबसे हैरानी की बात तो यह है कि टिकटॉक का जो वर्जन अमेरिका में चल रहा है वो वर्जन चीन में बैन है. इससे भी बाइटडांस की दोहरी नीति उजागर होती है. चीन के लोग बाइटडांस कंपनी के ही दूसरे एप Douyin का इस्तेमाल करते हैं. जिस पर चीनी सरकार के कई सेंसर हैं. 

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