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सऊदी अरब का ईद पर भारत को तोहफा, सूडान से भारतीयों समेत कई देशों के नागरिकों को बाहर निकाला

अफ्रीकी देश सूडान इस समय भीषण गृहयुद्ध से जूझ रहा है. यहां आर्मी और पैरामलिट्री फोर्स के बीच सत्ता पर कब्जे को लेकर जंग छिड़ गई है. दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. इस बीच सऊदी अरब ने सूडान से भारत सहित कई देशों के नागरिकों को बाहर निकाला है.

सूडान में संघर्ष सूडान में संघर्ष
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 22 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST

सऊदी अरब संकटग्रस्त देश सूडान में फंसे भारतीयों की मदद को आगे आया है. सऊदी अरब ने सूडान से भारत और बांग्लादेश सहित कई देशों के नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला है.

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बताया कि उन्होंने सूडान से कई नागरिकों को बाहर निकाला है. इनमें 91 विदेशी नागरिक शामिल हैं. इन विदेशी नागरिकों में से 66 सऊदी अरब के मित्र देशों के हैं. 

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, सऊदी ने सूडान से जिन देशों के नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला है. उनमें भारत के अलावा कुवैत, कतर, मिस्र, ट्यूनीशिया, पाकिस्तान, यूएई, बुल्गारिया, बांग्लादेश, फिलीपींस और कनाडा जैसे देश शामिल हैं. इन नागरिकों को सूडान के मुख्य बंदरगाह से सुरक्षित बाहर निकाला गया है.

इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूडान में भारतीयों की स्थिति को लेकर उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी. सूडान की राजधानी खार्तून में हजारों भारतीयों की जिंदगी दांव पर लगी हुई है. फिलहाल 4000 भारतीय संकटग्रस्त देश में फंसे हुए हैं. 

सूडान में बीते आठ दिनों से देश की सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच घातक जंग जारी है, जिसमें अब तक लगभग 200 लोगों की मौत हो चुकी है. अंधाधुंध फायरिंग की वजह से सूडान में भारतीयों को खाने-पीने के सामान, पानी, दवाइयों और बिजली जैसी मूलभूत चीजों के अभाव का सामना करना पड़ रहा है. पचास लाख लोगों के घरों में बिजली और पानी नहीं है. संचार व्यवस्था भी ठप पड़ी हुई है. 

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सूडान में हो क्या रहा है?

सूडान में सेना और पैरामलिट्री (अर्धसैनिक बल) के बीच सात दिनों से भीषण युद्ध चल रहा है. सेना के खिलाफ जंग छेड़ने वाले अर्धसैनिक बल को यहां रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के नाम से जाना जाता है. सेना और RSF के बीच छिड़ी जंग में यहां आम लोग बुरी तरह से पिस रहे हैं. सबसे ज्यादा खराब हालात राजधानी खार्तूम में है. यहां एयरपोर्ट और स्टेशन सहित तमाम अहम ठिकानों पर कब्जे को लेकर लड़ाई जारी है.

सूडान में 4 हजार के आसपास भारतीय हैं. जानकारी के मुताबिक, ज्यादातर भारतीय चार शहरों में बसे हुए हैं. इनमें से एक है ओमडुरमैन (Omdurman), दूसरा है कसाला (Kassala), तीसरा है गेडारेफ (Gedaref) या अल कादरीफ (Al Qadarif) वहीं चौथे शहर का नाम है वाड मदनी (Wad Madani). 

इनमें से दो शहरों की दूरी राजधानी खार्तूम से 400 किलोमीटर से भी ज्यादा है तो वहीं एक शहर की करीब 200 किलोमीटर है. एक शहर तो राजधानी से सटा हुआ है और उसकी खार्तूम से दूरी मात्र 25 किलोमीटर है. सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इन चारों शहरों में से किसी में भी इंटरनेशनल एयरपोर्ट नहीं है. 

सूडान में दो ही अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट हैं. एक राजधानी खार्तूम में तो दूसरा पोर्ट सूडान में है. हालांकि, एयरस्ट्राइक के बीच यहां से लोगों को एयरलिफ्ट करना भी बेहद मुश्किल है. यह तभी संभव है, जब सीजफायर हो जाए.

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सूडान में क्यो जारी है जंग?

अफ्रीकी देश सूडान में संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और पैरामिलिट्री फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच हो रहा है. जनरल बुरहान और जनरल डगालो, दोनों पहले साथ ही थे. मौजूदा संघर्ष की जड़ें अप्रैल 2019 से जुड़ी हैं. उस समय सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया था. बाद में सेना ने अल-बशीर की सत्ता को उखाड़ फेंका. बशीर को सत्ता से बेदखल करने के बावजूद विद्रोह थमा नहीं. बाद में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के तहत एक सोवरेनिटी काउंसिल बनी और तय हुआ कि 2023 के आखिर तक चुनाव करवाए जाएंगे. उसी साल अबदल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. लेकिन इससे भी बात नहीं बनी. अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया. जनरल बुरहान काउंसिल के अध्यक्ष तो जनरल डगालो उपाध्यक्ष बन गए.

किस बात को लेकर छिड़ा युद्ध?

जनरल बुरहान और जनरल डगालो कभी साथ ही थे, लेकिन अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हो गए हैं. इसकी वजह दोनों के बीच मनमुटाव होना है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दोनों के बीच सूडान में चुनाव कराने को लेकर एकराय नहीं बन सकी. इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि सेना ने प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत आरएसएफ के 10 हजार जवानों को सेना में ही शामिल करने की बात थी. लेकिन फिर सवाल उठा कि सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स बनेगी, उसका प्रमुख कौन बनेगा. बताया जा रहा है कि बीते कुछ हफ्तों से देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती बढ़ गई थी, जिसे सेना ने उकसावे और खतरे के तौर पर देखा.

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