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चीन की चाल का पर्दाफ़ाश करने वाले नेपाल के पत्रकार की संदिग्ध मौत, जांच की मांग

नेपाल के विभिन्न पत्रकार संगठनों ने बलराम बानियां की संदेहास्पद मौत की जांच करने की मांग की है. पत्रकारों को आशंका है कि उनकी मौत के पीछे कहीं न कहीं उनकी अंतिम खबर तो नहीं, जिसमें उन्होंने चीन पर्दाफ़ाश किया था?

नेपाल के एक वरिष्ठ पत्रकार बलराम बानियां नेपाल के एक वरिष्ठ पत्रकार बलराम बानियां
सुजीत झा
  • पटना,
  • 14 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 5:05 PM IST

  • चीन की चाल का पर्दाफ़ाश करने वाले पत्रकार की मौत
  • पत्रकार ने नेपाली भूमि पर कब्जा का किया था खुलासा
  • पत्रकार संगठनों ने पत्रकार की मौत पर जांच की मांग की

नेपाल के एक वरिष्ठ पत्रकार बलराम बानियां की संदिग्ध मौत से कई सवाल उठ रहे हैं. उन्होंने अपनी आखिरी खबर चीन द्वारा नेपाल की जमीन पर कब्जा जमाने को लेकर लिखी थी. उनकी संदेहास्पद मौत की निष्पक्ष जांच के लिए नेपाल के विभिन्न पत्रकार संगठनों ने सरकार से मांग की है.

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नेपाल के सबसे बड़े मीडिया घराना कान्तिपुर से पिछले तीन दशक से जुड़े रहे वरिष्ठ पत्रकार बानियां का शव गत मंगलवार को काठमांडू से करीब 200 किमी दूर हेटौडा के पास बरामद किया गया था. पत्रकार बानियां के नाम से आखिरी खबर चीन को लेकर थी. इसलिए उनकी संदेहास्पद मौत में कहीं चीन की संलिप्तता तो नहीं, इसकी चर्चा जोरों पर है.

बलराम बानियां ने 24 जून को कान्तिपुर में एक खबर छापी थी जिसमें नेपाल के उत्त्तरी सीमा के कई स्थानों पर चीन के द्वारा अवैध कब्ज़ा किए जाने का उल्लेख था. इसमें तथ्य और प्रमाण भी थे. लिहाज खबर को कान्तिपुर के पहले पेज पर जगह मिली थी और उसे बैनर न्यूज बनाया गया था. नेपाल के सबसे लोकप्रिय और सबसे अधिक बिकने वाले अखबार में चीन को लेकर इस खबर के बाद काठमांडू में हंगामा होना स्वाभाविक था.

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यह खबर ऐसे समय नेपाली मीडिया में प्रकाशित हो गई थी, जब नेपाल सरकार, ब्यूरोक्रेसी और अधिकांश मीडिया चीन के प्रभाव में थे, और नेपाल भारत पर अपनी जमीन कब्जा करने का आरोप लगा रहा था. इस खबर को लेकर संसद में भी खूब हंगामा हुआ और नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली को नेपाली संसद के ऊपरी सदन राष्ट्रीय सभा में सफाई देना पद गया था.

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उस समय ग्यावली ने कहा कि नेपाल की एक इंच भूमि पर भी चीन का कब्जा नहीं है और यह नेपाल चीन संबंध को बिगाड़ने की मीडिया की चाल थी. इतना ही नहीं, विदेश मंत्री ने यहां तक कहा कि जिस गांव पर चीन का कब्जा होने की बात कही जा रही है, उस गांव के लोगों ने अपने मन से चीन में विलय किया है. मंत्री के इस बयान की विपक्षी दलों ने जमकर आलोचना की थी.

कान्तिपुर में खबर प्रकाशित होने के बाद चीन भी खासा नाराज हुआ. चीन ने अखबार के मैनेजमेंट पर इतना दबाव दिया कि इस खबर को ना सिर्फ ऑनलाइन हटाना पड़ गया बल्कि उसके अगले ही दिन अखबार के संपादक ने माफी मांगते हुए अपने ही अखबार की खबर को रिपोर्टर की गलत नीयत से प्रकाशित बताया. साथ ही चीन के विरोध में खबर लिखने वाले पत्रकार बलराम बानियां को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उन्हें एक महीने की छुट्टी पर भेज दिया.

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अपनी मौत से ठीक पहले पत्रकार बलराम बानियां ने जिस पत्रकार से आखिरी बात की थी, उनका कहना था कि दफ्तर से उन्हें बहुत ही परेशान किया गया. उनकी सही खबर को गलत बताया गया. वो काफी तनाव में दिख रहे थे.

आखिरी बार पत्रकार बलराम बानियां को काठमांडू के कलंकी इलाके में एक नदी किनारे देखे जाने की बात पुलिस बता रही है. कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से पुलिस ने बताया कि नदी किनारे पैर फिसलने से वो गिर गए और डूब कर उनकी मौत हो गई. सवाल है कि काठमांडू के बागमती नदी में गत सोमवार को डूबे व्यक्ति की 200 किमी की दूर लाश कैसे मिली?

बलराम बानियां के शरीर पर कोई कपड़ा भी नहीं था और ना ही जूता ही था. सवाल है कि यदि उन्होंने आत्महत्या की तो उनके कपड़े कैसे गायब हो गए? पानी में कूद कर अपनी जान देने वाले के सिर पर कई जगह गहरे चोट के निशान कहां से आ गया? उनकी आंख, माथा और गला पर चोट और गहरे घाव के निशान कैसे आ गए?

नेपाल के विभिन्न पत्रकार संगठनों ने इस संदेहास्पद मौत की जांच करने की मांग की है. पत्रकारों को आशंका है कि उनकी मौत के पीछे कहीं न कहीं उनकी अंतिम खबर तो नहीं जिसमें उन्होंने चीन की चाल का पर्दाफ़ाश किया था? नेपाल पुलिस उस मौत को आत्महत्या या दुर्घटना बताने की कोशिश में जुटी हुई है. लेकिन पत्रकार संगठनों ने सरकार और पुलिस प्रशासन से मांग की है कि उनकी मौत की निष्पक्ष जांच की जाए.

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