
अफगानिस्तान के तख्तापलट ने दुनिया के सियासी हालात बदल दिए हैं. यहां की सत्ता पर तालिबान काबिज हो गया है और अमेरिकी सेना ने चेक आउट कर दिया है. अफगानिस्तान से फौज हटाने को अमेरिका पूरी तरह सही फैसला करार दे रहा है तो विरोधी इसे उसकी हार बता रहे हैं. लंबे समय तक गृहयुद्ध झेलने वाले सीरिया ने भी अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी को 'करारी शिकस्त' बताया है.
सिर्फ इतना ही नहीं, अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी को सीरिया एक अवसर के तौर पर देख रहा है. सीरिया के विदेश मंत्री फैसल मेकदाद ने कहा है कि अफगानिस्तान में अमेरिका की 'करारी शिकस्त' सीरिया और दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी अमेरिकी फौजों को हार की तरफ ले जाएगी.
एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, फैसल ने कहा, ''अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी क्षेत्र में यूनाइडेट स्टेट्स और उसके सहयोगियों व टूल्स के लिए एक कड़ा सबक है.''
क्या हैं बयान के मायने
सीरिया के विदेश मंत्री फैसल के इस बयान को कुर्दिश लड़ाकों के लिए संदेश माना जा रहा है. दरअसल, सीरिया में अरब क्रांति के बाद से लंबा संघर्ष चला. इसी कड़ी में जब 2014 में ISIS ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरीं तो इसके खिलाफ लड़ने के लिए अमेरिका सेना का कुर्दिश लड़ाकों ने साथ दिया.
धीरे-धीरे उत्तर-पूर्वी सीरिया समेत देश के तेल वाले बड़े इलाके पर कुर्दिश फौज ने कब्जा जमा लिया. यहां कुर्दिश अपनी स्वयंभू सत्ता चलाते हैं. दिलचस्प बात ये है कि सीरिया के इस इलाके में बड़ी तादाद में अमेरिका के फौजी भी तैनात हैं, जो ISIS के खिलाफ लड़ाई के नाम पर कुर्दिश लड़ाकों का साथ दे रहे हैं.
ईरान का साथ
सीरिया की सरकार कुर्दिश और अमेरिका के इसी गठजोड़ की हार की बात कर रही है. और इस आह्वान में उसके साथ ईरान खड़ा नजर आ रहा है. रविवार को जब सीरिया के विदेश मंत्री ने ये बात कही तब ईरान के विदेश मंत्री उनके साथ दमिश्क में ही थे. दोनों देशों ने अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करने के लिए 'शक्तिशाली कदम' उठाने का संकल्प भी लिया.
गौरतलब है कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद एक शिया मुस्लिम हैं, ईरान कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ देता रहा है. सीरिया में करीब दस साल चले संघर्ष में बशर अल असद की मदद के लिए ईरान ने हजारों लड़ाके भेजे. साथ ही रूस ने भी सीरिया की खुलकर मदद की. रूस और ईरान की मदद से सीरिया के सरकारी बलों का देश के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा हो चुका है, लेकिन देश पर अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंध से लगे हुए हैं. साथ ही उत्तर-पूर्वी सीरिया में कुर्दिश लड़ाकों का कब्जा भी असद सरकार के लिए चिंता का विषय है जिसे वो उखाड़ फेंकना चाहता है.