
चीन और ताइवान में भयानक तनाव का माहौल चल रहा है. अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचने पर चीन बौखला गया. ताइवान की सीमा के पास युद्धाभ्यास कर रहा है. पर यहां जानना ये जरूरी है कि चीन जैसे बड़े देश से क्या ताइवान जैसा छोटा देश युद्ध कर पाएगा. चीन का सामना कर पाएगा. पहले तो यह समझने की कोशिश करते हैं कि दोनों देशों की सीमा और क्षेत्रफल कितना है.
ताइवान देश का कुल क्षेत्रफल 35,980 वर्ग किलोमीटर है. जबकि, चीन का क्षेत्रफल 9,562,910 वर्ग किलोमीटर यानी ताइवान से करीब 2659 गुना बड़ा इलाका. चीन सिर्फ इसी मामले में ताइवान से आगे नहीं है. बल्कि आबादी में तो कुछ कहना ही नहीं है. चीन की आबादी 1,412,360,000 यानी 141.23 करोड़ है, जबकि ताइवान की 23,581,00 यानी 2.35 करोड़ ही. चीन के पास ताइवान से करीब 599 गुना ज्यादा आबादी है. लेकिन कई बार आबादी और क्षेत्रफल के आधार पर जंग नहीं जीती जाती. अगर ऐसा होता तो रूस से कई गुना कमजोर यूक्रेन अब तक जंग नहीं लड़ रहा होता.
चीन अपनी सीमाओं से सारी सेना हटाकर ताइवान पर नहीं लगा सकता
ताइवान के चारों तरफ किसी भी देश की सीमा नहीं है. क्योंकि वह समुद्री द्वीप है. जबकि चीन के चारों तरफ कई देश हैं. इसलिए वह अपनी सेनाओं को सीमा के हर तरफ से हटाकर ताइवान के खिलाफ नहीं लगा सकता. यानी उसके पास भले ही सैन्य बल और हथियार ज्यादा हों. लेकिन उसके ऊपर भी बाध्यताएं हैं. दूसरी तरफ ताइवान को अमेरिका जैसे देशों का सपोर्ट हासिल है. यानी चीन किसी भी तरह की हमलावर गतिविधि से पहले सोचेगा. क्योंकि अमेरिका ने अब तक ताइवान की मदद करने के लिए अपनी तैयारी कर ली होगी.
जंग आबादी से नहीं, मैनपावर और एक्टिव सैनिकों की संख्या से होती है
चीन आबादी में नंबर एक है लेकिन बात सिर्फ आबादी की नहीं होती, उसमें देखा जाता है मौजूदा मैनपावर. चीन के पास है 75.48 करोड़ मैनपावर. ताइवान के पास है 1.22 करोड़ मैनपावर. इसमें से भी छंटाई हो जाती है, जब बात आती है एक्टिव सैन्यकर्मियों की. यानी युद्ध हो तो कितने लोग सेना में तत्काल भर्ती होकर देश के लिए लड़ पाएंगे. चीन की कुल मैनपावर में से 61.92 करोड़ से ज्यादा लोग सैन्य सेवा में शामिल हो सकते हैं. जबकि, ताइवान के मैनपावर में से 10 लाख लोग ही सेना में शामिल हो सकते हैं.
रिजर्व सैनिकों और वियतनाम जैसी पॉलिसी से जंग खींच सकता है ताइवान
चीन की मिलिट्री में फिलहाल 20 लाख एक्टिव सैनिक हैं. जबकि, ताइवान की मिलिट्री में 1.70 लाख एक्टिव सैनिक. चीन के पास 5.10 रिजर्व और ताइवान के पास 15 लाख रिजर्व हैं. यानी ताइवान की रिजर्व सेना ज्यादा है. ताइवान रिजर्व सेना के मामले में नंबर एक रैंकिंग पर है, जबकि चीन छठें नंबर पर. यहीं पर चीन को कड़ी टक्कर दे सकता है ताइवान. अगर वह वियतनाम के युद्ध में हुए गोरिल्ला वॉर की तरह जंग लड़े या फिर यूक्रेनियों की तरह डंटकर सामना करे तो चीन की हालत खराब कर सकता है.
फाइटर जेट्स का सही और सटीक उपयोग चीन को दे सकता है कड़ी टक्कर
चीन के पास कुल 3285 एयरक्राफ्ट हैं. जबकि, ताइवान के पास 741. चीन के पास 1200 लड़ाकू विमान हैं. ताइवान के पास सिर्फ 288 फाइटर जेट्स. चीन के पास 286 परिवहन विमान हैं. ताइवान के पास सिर्फ 19. अगर इमरजेंसी होती है तो युद्ध में ट्रेनर विमानों को भी शामिल किया जाता है. चीन के पास 399 ट्रेनर विमान हैं, जबकि ताइवान के पास 207 ट्रेनर जेट्स. चीन के पास 912 हेलिकॉप्टर हैं, वहीं ताइवान के पास 208.
नौसेना की लड़ाई ही असली होगी, क्योंकि दोनों देशों के बीच समुद्री खाड़ी है
चीन के पास 912 हेलिकॉप्टर्स में से 281 अटैक हेलिकॉप्टर्स हैं. जबकि ताइवान के पास सिर्फ 91 अटैक हेलिकॉप्टर्स. चीन के पास 5250 टैंक हैं, जबकि ताइवान के पास सिर्फ 1110. चीन के पास 4120 सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी है, जबकि ताइवान के पास सिर्फ 257 सेल्फ प्रोपेल्ड तोपें हैं. चीन के पास खींचकर ले जाने वाली 1734 और ताइवान के पास 1410 तोपें हैं. चीन के पास 3160 मोबाइल रॉकेट प्रोजेक्टर्स हैं, वहीं ताइवान के पास 115 प्रोजेक्टर्स. चीन के पास 777 नौसैनिक फ्लीट्स हैं, जबकि ताइवान के पास 117. चीन के पास दो विमानवाहक युद्धपोत हैं. जबकि ताइवान के पास एक भी नहीं है. चीन के पास 79 पनडुब्बियां हैं, जबकि ताइवान के पास 4 ही पनडुब्बियां मौजूद हैं. चीन के पास 41 विध्वंसक हैं, वहीं ताइवान के पास सिर्फ 4. चीन के पास 49 और ताइवान के पास 22 फ्रिगेट्स हैं.