
पाकिस्तान ने हाल ही में खूंखार आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ शांति समझौता करने का फैसला किया था. इस समझौते में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में गृहमंत्री और हक्कानी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी की बड़ी भूमिका की बात सामने आई थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, तालिबान ने ही पाकिस्तान को टीटीपी के साथ बातचीत का ऑफर दिया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान तालिबान सरकार के साथ दोतरफा रणनीति पर काम कर रहा है. तालिबान सरकार के अनुरोध पर पाकिस्तान ने टीटीपी जैसे समूह के साथ शांति समझौते को लेकर सहमति जताई है. हालांकि अगर बातचीत के प्रयास विफल होते हैं तो तालिबान सरकार पाकिस्तान को धमकी देने वाले समूहों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर सकता है.
ट्रिब्यून पीके की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में तालिबान का नेतृत्व पाकिस्तान के लिए एक प्रस्ताव लेकर आया था. इसमें पाकिस्तान को टीटीपी और उसके सहयोगियों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए ऑफर दिया गया था. तालिबान सरकार ने इसके अलावा उन समूहों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का वादा भी किया था जो सुलह के लिए तैयार नहीं थे. इसके बाद ही पाकिस्तान ने टीटीपी के साथ बातचीत की शुरुआत की थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान और टीटीपी इस मामले में कम से कम तीन बार मीटिंग कर चुके हैं. एक मीटिंग काबुल में वही दूसरी मीटिंग खोस्त में हुई थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बातचीत के नतीजे में देशव्यापी युद्ध विराम की घोषणा करने और टीटीपी के कुछ लड़ाकों को सशर्त रिहा करने पर सहमति बनी थी.
'तालिबान ने हमें कहा- अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंक के लिए नहीं होने देंगे'
अफगानिस्तान में पाकिस्तान के राजदूत मंसूर अहमद खान ने एक्सप्रेस ट्रिब्यून के साथ बातचीत में कहा कि मैं ना तो पाकिस्तान और टीटीपी के साथ बातचीत को कंफर्म कर सकता हूं और ना ही इन रिपोर्ट्स का खंडन कर सकता हूं. उनसे पूछा गया कि क्या तालिबान सरकार द्वारा टीटीपी के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने से इंकार के कारण पाकिस्तान ने टीटीपी के साथ बातचीत शुरू की है?
इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है. तालिबान सरकार ने किसी भी स्तर पर ये नहीं कहा है कि वे टीटीपी की मदद करेगी या उन्हें शरण देगी. हर स्तर पर उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि किसी भी समूह को पाकिस्तान के खिलाफ अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की 21 अक्टूबर की काबुल यात्रा के बारे में बात करते हुए कहा कि तालिबान ने टीटीपी और अन्य पाकिस्तान विरोधी समूहों से निपटने के लिए पाकिस्तान के एक्शन पर 'सकारात्मक प्रतिक्रिया' दी है.
बता दें कि तालिबान नेतृत्व के साथ बातचीत में पाकिस्तानी अधिकारियों ने स्पष्ट मांग रखी थी कि इन सभी समूहों को न केवल संचालन के लिए जगह से वंचित किया जाना चाहिए बल्कि उनके खिलाफ सैन्य कार्रवाई की भी मांग की थी. गौरतलब है कि पाकिस्तान सरकार ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को 2008 में ब्लैकलिस्ट किया था. टीटीपी ने पिछले 10 साल में पाकिस्तान में कई बड़े हमले किए हैं. इस आतंकवादी संगठन का सबसे बड़ा गढ़ इमरान खान का गृह राज्य खैबर पख्तूनख्वा है. हाल में ही टीटीपी के आतंकियों ने खैबर पख्तूनख्वा में चीन के इंजीनियरों की बस पर हमला कर 13 लोगों को मार दिया था.