तालिबान अब अफगानिस्तान में अपनी सरकार बनाने की ओर बढ़ चला है, जल्द ही दोहा में इसको लेकर बैठक होनी है. इस बीच अफगानिस्तान के अलग-अलग हिस्सों से विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं, लोग तालिबान के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं. अंद्राब बघलान के तीन जिलों को तालिबान के कब्जे से मुक्त करा लिया गया है. अफगानिस्तान से जुड़ी खबरों के लिए इस ब्लॉग के साथ लगातार बने रहें ...
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि अफगानिस्तान पर इस वक्त संकट बड़ा है. हमने 20 साल तक अफगानिस्तान के साथ मिलकर काम किया. अब अगर अमेरिकी सेना पर किसी तरह का हमला हुआ तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. किसी भी हमले का ताकत के साथ जवाब दिया जाएगा.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि काबुल एयरपोर्ट पर स्थिति थोड़ी बेहतर हो रही है. एयरपोर्ट पर स्थिर माहौल है. उन्होंने कहा कि अगर जरुरत पड़ी तो तालिबान के साथ मिलकर काम करेंगे.
तालिबान का कहना है कि अमेरिका की वापसी पूरी होने तक आगामी सरकार पर कोई फैसला नहीं लिया जाएगा.
एक अफगान अधिकारी ने समाचार एजेंसी एपी के हवाले से कहा कि तालिबान की आगामी सरकार के बारे में अभी कोई निर्णय या घोषणा करने की योजना नहीं है, जब तक कि 31 अगस्त की अमेरिकी वापसी की तारीख बीत न जाए.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगानिस्तान के मसले पर दोहा में कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी से मुलाकात की.
Pajhwok अफगान न्यूज का दावा है कि अफगानिस्तान में अब्दुल हामिद दादगर ने तालिबान के कब्जे वाले अंद्राब बघलान के तीन जिलों को वापस छीन लिया है. हालांकि इस बारे में तालिबान की ओर से कुछ नहीं कहा गया है.
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन अफगानिस्तान में अमेरिकी निकासी प्रयास पर एक भाषण देने वाले हैं. बाइडेन निकासी के प्रयासों की सुस्ती को लेकर शरणार्थी की वकालत करने वालों और अपने यहां के राजनीतिक दल के सदस्यों की आलोचना का सामना कर रहे हैं.
बाइडेन ने तालिबान के आक्रामक हमले से पहले अपने सहयोगियों को बाहर निकालने को लेकर धीमी शुरुआत के लिए अफगानों को दोषी ठहराया है. हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने समाचार एजेंसी द एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि अमेरिकी राजनयिकों ने औपचारिक रूप से हफ्तों पहले अनुरोध किया था कि बाइडेन प्रशासन निकासी के प्रयासों को तेज करे. अफगानिस्तान से हटने के लिए अमेरिका की 31 अगस्त की समयसीमा खत्म होने से पहले ही हजारों की संख्या में लोग बाहर निकलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
नाटो के एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा करने के बाद से 18,000 से अधिक लोगों को काबुल से बाहर निकाल दिया गया है. पश्चिम के संकट से निपटने को लेकर हो रही आलोचना के बीच लोगों के निकासी के प्रयासों को फिर से शुरू करने का वादा किया गया है.
जर्मन सरकार के प्रवक्ता ने कहा अल-जजीरा ने बताया कि एक जर्मन नागरिक को काबुल एयरपोर्ट के रास्ते में गोली मार दी गई, लेकिन वह खतरे से बाहर है और जल्द ही अफगानिस्तान से बाहर निकल जाएगा.
जर्मन प्रवक्ता ने बर्लिन में बताया कि एक जर्मन नागरिक काबुल एयरपोर्ट के रास्ते में बंदूक की गोली से घायल हो गया. उसका इलाज चल रहा है, लेकिन खतरे से बाहर है और उन्हें जल्द ही वहां से बाहर निकाल दिया जाएगा.
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद बड़ी संख्या में लोग वहां से निकलने की जुगत में हैं. इंडिया टुडे रिपोर्टर ने इस दौरान उन महिलाओं और अफगानी नागरिकों से बात की जो देश से बाहर निकलने के लिए एयरपोर्ट पर डेरा डाले हुए हैं. वीडियो में कई लोगों को उनके छोटे-छोटे बच्चों के साथ देखा जा सकता है. एक महिला के हाथ में 4 महीने का जुड़वां है.
अफगानिस्तान के खोस्त इलाके में शुक्रवार को तालिबानी नेता अनस हक्कानी ने दौरा किया. यहां पर अनस हक्कानी ने ट्राइबल नेताओं से मुलाकात की और भरोसा दिया कि उनकी हर समस्या को दूर किया जाएगा.
मुल्क के अलग-अलग हिस्सों में सड़कों पर जनता ने तालिबान का विरोध करना शुरू कर दिया है. इस बीच अफगानिस्तान के पंजशीर इलाकों में तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए पूर्व सैनिकों ने मोर्चा संभालना शुरू कर दिया है. इन सभी की अगुवाई अहमद मसूद कर रहे हैं, जो कि तालिबानियों को मात दे चुके अहमद शाह मसूद के बेटे हैं.
क्लिक करें: तालिबान से जंग की तैयारी? एक तरफ डटी अफगान जनता, दूसरी ओर पंजशीर में जुटने लगे पूर्व सैनिक
सरकारी दफ्तरों और प्राइवेट ऑफिस में काम करने वाली महिलाओं ने शुक्रवार को तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन किया. महिलाओं ने काम करने की आज़ादी मांगी और फिर से ऑफिस खोले जाने की अपील की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शुक्रवार को गुजरात के सोमनाथ मंदिर से जुड़े एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आस्था को आतंक कुचला नहीं जा सकता है, साथ ही उन्होंने कहा कि आतंक के दम पर साम्राज्य खड़ा करने वालों का अस्तित्व स्थायी नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कथन को अफगानिस्तान (Afghanistan) में जारी हलचल से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां सीधा तालिबान (Taliban) को संदेश दिया गया है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपनी विदेशी यात्रा को छोटा कर भारत वापसी लौटेंगे. अफगानिस्तान में पैदा हुई स्थिति को देखते हुए ये फैसला लिया गया है.
अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान राज (Taliban Rule) की शुरुआत हो गई है, पूरे मुल्क पर तालिबानी लड़ाकों का कब्जा है. राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) देश छोड़कर भाग गए हैं लेकिन अब अफगानिस्तान की आम जनता ने तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है.
देश के अलग-अलग हिस्सों में तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है. 19 अगस्त को अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में अफगानी जनता राष्ट्रीय झंडा लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करने निकली.
पूरी खबर पढ़ें: हाथों में अफगानी झंडा, बुलंद हौसले... तालिबान के सामने डटी जनता, शहर-शहर तेज हुआ प्रदर्शन
अफगानिस्तान के अलग-अलग इलाकों में पत्रकारों (Journalists) को पीटा जा रहा है, किसी के घर पर हमला किया जा रहा है और किसी को सिर्फ काम से इसलिए वापस लौटा दिया जा रहा है क्योंकि वह महिला है. अफगानिस्तान के पत्रकारों ने तालिबानी शासन की पोल खोलकर रख दी है.
पूरी खबर पढ़ें: ‘घर पर हमला, मारपीट, महिलाओं को वर्क फ्रॉम होम’, अफगानी पत्रकारों ने खोली तालिबान की पोल
अफगानिस्तान (Afghanistan) के ताज़ा हालात को लेकर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के बीच बातचीत हुई है. दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान के मसले पर लगातार समन्वय स्थापित करने और बातचीत करने का भरोसा दिया है.
अफगानिस्तान में तालिबानी शासन शुरू होने के बाद आज North Atlantic Treaty Organization देशों की अहम बैठक होनी है. सभी देशों के विदेश मंत्री इस बैठक में वर्चुअली तौर पर शामिल होंगे, जिसमें अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी को लेकर चर्चा की जाएगी.