
अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी शासन (Talibani Rule) की शुरुआत होने के बाद से ही आम जनता परेशान है. मुल्क के अलग-अलग हिस्सों में सड़कों पर जनता ने तालिबान का विरोध करना शुरू कर दिया है. इस बीच अफगानिस्तान के पंजशीर इलाकों में तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए पूर्व सैनिकों ने मोर्चा संभालना शुरू कर दिया है. इन सभी की अगुवाई अहमद मसूद कर रहे हैं, जो कि तालिबानियों को मात दे चुके अहमद शाह मसूद के बेटे हैं.
'अमेरिका हथियार दे, हम लड़ाई करेंगे'
अहमद मसूद (Ahmad Massoud) ने वाशिंगटन पोस्ट में एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने तालिबान के खिलाफ लड़ाई को जोर देने की बात की है. अहमद मसूद का कहना है कि पंजशीर इलाके में उनके साथ हजारों मुजाहिद्दीन के लड़ाके हैं, जो तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं.
अहमद मसूद का कहना है कि अमेरिका भले ही अफगानिस्तान से चला गया हो, लेकिन वो हमें हथियार और अन्य मदद कर सकता है ताकि हम तालिबान को मात दे सकें. अन्य विदेशी रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अफगानिस्तानी सेना के कई मौजूदा और पूर्व सैनिक भी पंजशीर में अहमद मसूद के साथ हैं.
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दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि अफगानी सेना के कई सैनिकों ने तालिबान के सामने सरेंडर किया और उनके साथ हो गए. ऐसे में जो सैनिक तालिबान को मात देना चाहते थे, उनमें भारी नाराज़गी है इसी के बाद उन्होंने पंजशीर में मुजाहिद्दीन अहमद मसूद के साथ हाथ मिलाना तय किया.
अमरुल्ला सालेह भी पंजशीर में मौजूद
अहमद मसूद से इतर खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरुल्ला सालेह भी तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. वह लगातार तालिबान के खिलाफ रणनीति बना रहे हैं और पूर्व सैनिकों, पुलिस और अन्य लोगों के साथ मिलकर तालिबान को मात देने को कोशिश में हैं. खास बात ये है कि अमरुल्ला भी इस वक्त पंजशीर में ही रुके हुए हैं. ऐसे में तालिबान को इस प्रांत से बड़ी चुनौती मिलने की संभावना है.
तालिबान के खिलाफ सड़कों पर जनता
तालिबान एक तरफ जहां सरकार बनाने की तैयारियों में जुटा है, वहीं अफगानिस्तान की जनता अलग-अलग इलाकों में उसके खिलाफ सड़कों पर आ रही है. काबुल में शुरुआत में शांति रही, लेकिन अब यहां पर भी जनता तालिबान के खिलाफ आवाज़ उठा रही है.
खास बात ये है कि ऐसे प्रदर्शनों की अगुवाई महिलाएं कर रही हैं. अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में झंडा यात्रा निकाली गई, जहां लोगों ने तालिबानी झंडे का विरोध किया और राष्ट्रीय ध्वज को लहराया.
गौरतलब है कि तालिबान द्वारा भले ही दावा किया जो रहा हो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. लेकिन तालिबान देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचकर लोगों को निशाना बना रहा है, इनमें अधिकतर वो लोग शामिल हैं जिन्होंने तालिबान के खिलाफ काम किया और नाटो फोर्स का साथ दिया. अभी तक तालिबान द्वारा कई पत्रकारों, पत्रकारों के परिजनों को निशाना बनाया गया है.