
अफगानिस्तान में तालिबान का राज कायम होते ही काफी लोग देश छोड़ रहे हैं. जो विदेशी नागरिक हैं, वो भी वहां से लौट रहे हैं. काबुल एयरपोर्ट पर लगातार अफरा-तफरी का माहौल है. 15 अगस्त के बाद से ही यहां बड़ी तादाद में वो लोग आ रहे हैं, जो अफगानिस्तान छोड़कर चले जाना चाहते हैं.
कहा जा रहा है कि ये तालिबान का डर ही है जो लोगों को अपना सबकुछ छोड़ने पर मजबूर कर रहा है. क्योंकि तालिबान के राज में खुलकर जीना या सांस लेना मुश्किल लगता है. हालांकि, तालिबान का तर्क कुछ और ही है. तालिबान का कहना है कि लोग हमारे खौफ से नहीं, बल्कि अफगानिस्तान की गरीबी से डरकर जा रहे हैं.
तालिबान प्रवक्ता ने दिया ये बयान
दोहा में Sky News के साथ एक इंटरव्यू के दौरान तालिबान के प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने ये बात कही है. दरअसल, सुहेल शाहीन से सवाल किया गया था कि लोग बहुत डरे हुए हैं और सबकुछ छोड़कर जाना चाहते हैं, इस पर आपका क्या कहना है.
इस सवाल के जवाब में शाहीन ने कहा, ''ये लोगों के डर या चिंता का मामला नहीं है. दरअसल, ये लोग पश्चिमी देशों में सेटल होना चाहते हैं और ये एक तरह का इकोनॉमिक माइग्रेशन है. अफगानिस्तान एक गरीब देश है. यहां की 70 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. इसलिए हर कोई अच्छी जिंदगी के लिए वो वेस्टर्न देशों में जाना चाहते हैं और इसे जस्टीफाई करने के लिए डर का बहाना किया जा रहा है.''
यानी पूरी दुनिया में तालिबान के जिस भयानक रूप को लेकर चिंता जताई जा रही है और अफगानिस्तान से लौटने वालों की कतारें बढ़ती जा रही हैं, ऐसे माइग्रेशन को तालिबान ने गरीबी से जोड़ दिया है.
गौरतलब है कि अफगानिस्तान से लगातार लोगों को निकालने का काम किया जा रहा है. इनमें विदेशी नागरिकों समेत अफगान नागरिक भी हैं. अकेला अमेरिका 14 अगस्त के बाद से अब तक करीब 50 हजार लोगों को अफगानिस्तान से निकाल चुका है. इसके अलावा यूके, जर्मनी, पाकिस्तान, इटली, फ्रांस, भारत और तुर्की समेत अन्य देशों ने यहां से अपने-अपने नागरिकों समेत अफगान लोगों को निकाला है. भारत में भी जो लोग अफगानिस्तान से लौटे हैं, उन्होंने दर्द भरी दास्तां बयां की हैं.