न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने तालिबान के हवाले से दावा किया था कि काबुल (Kabul) में शुक्रवार को तालिबान अपनी नई सरकार का गठन करेगा, लेकिन देर शाम कुछ वजहों से ऐसा नहीं हो पाया. इसके बाद तालिबान के प्रवक्ता ने शनिवार को नई सरकार के गठन की बात कही, लेकिन आज भी ये टल गया. अब कहा जा रहा है कि 2-3 दिन के अंदर तालिबान अफगानिस्तान में सरकार बना लेगा.
तालिबान दावा है कि उन्होंने पंजशीर घाटी में गवर्नर ऑफिस पर कब्जा कर लिया है. पंजशीर एकमात्र ऐसा प्रांत है जो अभी भी अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण से बाहर है. हालांकि अफगानिस्तान के नेशनल रेजिसटेंस फ्रंट (एनआरएफए) तालिबान के चौतरफा हमले के खिलाफ प्रांत की रक्षा में जुटा हुआ है.
ब्रिटेन स्थित इंडिपेंडेंट ने बताया कि अमेरिकी कांग्रेस अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियों और समूहों को धन मुहैया कराएगी, लेकिन तालिबान सरकार के लिए कोई प्रत्यक्ष अमेरिका-वित्त पोषित सहायता नहीं होगी.
अफगानिस्तान में कतर के राजदूत ने कहा कि मदद प्राप्त करने के लिए काबुल एयरपोर्ट को आज शनिवार को फिर से खोल दिया गया और यह जल्द ही नागरिक उड़ानों के लिए तैयार किया जाएगा. अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, राजदूत ने कहा कि काबुल में हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रनवे की मरम्मत अफगानिस्तान में अधिकारियों के सहयोग से की गई है. उन्होंने बताया कि हाल ही में काबुल एयरपोर्ट से मजार-ए-शरीफ और कंधार के लिए दो घरेलू उड़ानें भी संचालित की गईं.
काबुल के इमरजेंसी हॉस्पिटल के एक अधिकारी का कहना है कि राजधानी में तालिबान लड़ाकों द्वारा जश्न में अपने हथियारों को हवा में लहराने और फायरिंग की वजह से दो लोगों की मौत हो गई जबकि 12 अन्य घायल हो गए. काबुल में तालिबान ने पंजशीर प्रांत में आगे बढ़ाने पर जश्न मनाने के लिए शुक्रवार रात हवा में फायरिंग की, जो अभी भी तालिबान विरोधी गुटों के नियंत्रण में है. हॉस्पिटल के अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बात की क्योंकि वह मीडिया को जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं थे.
दूसरी ओर, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने ट्विटर पर हवा में फायरिंग की प्रथा की आलोचना की और अपने लोगों से इसे तुरंत रोकने का आह्वान किया.
टोलो न्यूज ने बताया कि शुक्रवार रात को तालिबान की ओर से जश्न मनाने के लिए की गई जोरदार फायरिंग में काफी लोगों की मौत हो गई है. कम से कम 17 शवों और 41 घायलों को इमरजेंसी हॉस्पिटल में स्थानांतरित किया गया.
अफगानिस्तान के मध्य गजनी प्रांत के एक पुलिस स्टेशन में नौकरी छोड़ने के बाद 33 साल की अफगान महिला खटेरा को तीन अज्ञात लोगों ने गोली मार दी, चाकू मार दिया और अंधा कर दिया. वह कुछ महीने पहले गजनी पुलिस की अपराध शाखा में एक अधिकारी के रूप में शामिल हुई थी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स को खटेरा ने बताया, "अस्पताल में उठने पर कुछ दिखाई नहीं दिया. मैंने डॉक्टरों से पूछा, मुझे कुछ भी क्यों नहीं दिख रहा है? उन्होंने मुझे बताया कि चोट के कारण मेरी आंखों पर अभी भी पट्टी बंधी है, लेकिन उस समय, मैं जान गई कि मेरी आंखें मुझसे छीन ली गई हैं."
उसने स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर तालिबान को हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि, तालिबान ने किसी भी संलिप्तता से इनकार किया और कहा है कि हमलावरों ने उसके पिता से मिली एक गुप्त सूचना पर काम किया, जिन्होंने घर से बाहर काम करने का कड़ा विरोध किया.
खटेरा ने कहा, "काश मैं कम से कम एक साल पुलिस विभाग सेवा की होती. अगर उसके बाद मेरे साथ ऐसा होता तो कम दर्द होता. यह बहुत जल्दी हो गया. मुझे केवल तीन महीने काम करने और अपने सपने को जीने का मौका मिला.
Dawn न्यूजपेपर के मुताबित, अफगानिस्तान के तालिबान अधिग्रहण के बाद ISIS-K और अल कायदा जैसे खूंखार आतंकवादी समूहों से निपटने में सहयोग करने के लिए बाइडेन प्रशासन पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है. Dawn में हाल ही में तालिबान विद्रोहियों द्वारा अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के बाद वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच आदान-प्रदान किए गए राजनयिक संदेशों के बारे में बताया गया था.
अफगान सेना की इंजीनियरिंग टीम ने दो Black Hawk helicopters को फिर से मेंटेन करके उड़ाया है. इन्हें अमेरिकी सेना ने नष्ट कर दिया था. अफगान सेना के पायलट नकीब हिम्मत ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि अमेरिकियों द्वारा नष्ट किए गए विमानों को उनकी इंजीनियरिंग टीम ने फिर से उड़ान के लिए बना लिया है.
टोलो न्यूज के मुताबिक, काबुल में महिलाओं का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो चुका है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये तालिबान द्वारा महल के रास्ते में आने के बाद हुआ. तालिबान ने उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े हैं और उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया जा रहा है.
तालिबान के निमंत्रण पर पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल काबुल पहुंचा है. इस प्रतिनिधिमंडल में अधिकारियों के साथ आईएसआई प्रमुख जनरल फैज हामिद भी शामिल है.
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का गठन फिर टल गया है. इसको लेकर तालिबान का अधिकारिक बयान आया है, जिसमें कहा गया है कि नई सरकार का गठन 2 से 3 दिन बाद होगा. सरकार में शामिल लोगों के नामों का खुलासा भी उसी वक्त किया जाएगा
चीनी विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने कहा है कि नई अफगान सरकार खुली और समावेशी होगी. पूरी तरह से आतंकवादी संगठनों से किनारा कर लेगी. साथ ही अन्य देशों, विशेष रूप से पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध स्थापित और विकसित करेगी.
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है, मुझे नहीं लगता कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्य अफगानिस्तान की स्थिति पर निष्क्रिय हैं. हम (भारत) जमीन पर नहीं हैं, वहां कोई संपत्ति नहीं है. ऐसा नहीं है कि हम कुछ नहीं कर रहे हैं, हम अफगानिस्तान में रुचि रखने वाले हर देश के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि अगस्त के लिए यूएनएससी अध्यक्ष के रूप में हमने 4 प्रस्तावों को अपनाया लेकिन अफगानिस्तान पर प्रस्ताव बहुत महत्वपूर्ण था
तालिबानी प्रवक्ता सुहैल शाहीन भारत में (मुस्लिम) अल्पसंख्यकों को लेकर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि अगर आप (भारत) मेरे देश में अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाने का अधिकार खुद को देते हैं तो हमें भी आपके देश में अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाने का अधिकार क्यों नहीं होना चाहिए? तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन का ये बयान तब आया है जब अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने जा रही है.
सरकार के गठन से कुछ समय पहले तालिबान ने पंजशीर घाटी पर भी कब्जा करने का दावा किया. हालांकि, पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने तालिबान के दावे के दावे को खारिज कर दिया है. पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने कहा, 'कुछ मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि मैं अपने देश से भाग गया हूं. यह बिल्कुल निराधार है. है. यह मेरी आवाज है, मैं आपको पंजशीर घाटी से, अपने बेस से बोल रहा हूं.'
अफगानिस्तान में नई तालिबान सरकार के गठन को लेकर जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक शेर अब्बास स्तानकजई को विदेश मंत्री बनाया जा सकता है. नई सरकार में बाकी नेताओं की क्या भूमिका होगी इस पर भी लगातार मंथन जारी है. देखना ये भी होगा कि क्या पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और पूर्व मुख्य कार्यकारी डॉ अब्दुल्ला अब्दुल्ला जैसे नेताओं को सरकार में शामिल किया जाता है या नहीं
तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब और सिराजुद्दीन हक्कानी के बीच सैनिकों और हथियारों के नियंत्रण को लेकर अनबन की खबरें हैं. खुफिया अधिकारियों के मुताबिक न्याय, धार्मिक मामलों और आंतरिक सुरक्षा विभागों को लेकर दोनों में मतभेद है.
साल 1968 में पैदा हुआ मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान का दूसरे नंबर का नेता है. मुल्ला बरादर तालिबान के संस्थापकों में से एक है. 1996 से 2001 तक जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर राज किया, तब मुल्ला बरादर ने अहम भूमिका निभाई थी. हालांकि, 2001 के बाद जब अमेरिका ने अफगानिस्तान में घुसपैठ की तो मुल्ला बरादर पाकिस्तान में चला गया. 2010 में पाकिस्तान ने मुल्ला बरादर को जेल में डाल दिया था क्योंकि आरोप था कि वह बिना पाकिस्तान को लूप में रखे अफगानिस्तानी सरकार से बात करने की कोशिश में था. जब 2018 में अमेरिका ने तालिबान के साथ बातचीत की कोशिशें तेज की, तब मुल्ला बरादर को छोड़ा गया. उसके बाद से मुल्ला बरादर ने कतर के दोहा में कमान संभाली और अमेरिका के साथ बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी. अब मुल्ला बरादर अफगानिस्तान में तालिबान की कमान संभालने जा रहा है.
बताया जा रहा है कि तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब, शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई भी तालिबान की नई सरकार में अहम पदों पर होंगे. बता दें कि तालिबान की तरफ से काफी दिनों से काबुल में नई सरकार के गठन की तैयारियां की जा रही हैं. काबुल के राष्ट्रपति पैलेस में सजावट जारी है, नए झंडे तैयार हो हो रहे हैं और हाल ही में नया वीडियो रिलीज़ हुआ है.
अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार की रूपरेखा तैयार हो गई है. शुक्रवार को न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने तालिबान के हवाले से दावा किया था कि काबुल (Kabul) में शुक्रवार को तालिबान अपनी नई सरकार का गठन करेगा, लेकिन देर शाम कुछ वजहों से ऐसा नहीं हो पाया था. हालांकि तालिबान के प्रवक्ता ने आज नई सरकार के गठन की दावा किया है. मुल्ला बरादर अफगानिस्तान की नई सरकार की कमान संभालेगा.