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बांग्लादेश में फिर से बढ़ा तनाव, प्रदर्शनकारियों ने की PM शेख हसीना के इस्तीफे की मांग, ठुकराया बातचीत का ऑफर

बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं और आरक्षण को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी है. शनिवार को एक बार फिर से बांग्लादेश में तनाव बढ़ गया. इस बीच आंदोलन कर रहे छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के बातचीत के न्यौते को ठुकरा दिया है.

बांग्लादेश में फिर से बढ़ने लगा है तनाव बांग्लादेश में फिर से बढ़ने लगा है तनाव
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 8:44 AM IST

बांग्लादेश में फिर से तनाव बढ़ने लगा है.  छात्र नेताओं ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के बातचीत के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है और उनके इस्तीफे की मांग की है. शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने राजधानी की प्रमुख सड़कों पर घेराव किया. यह विरोध-प्रदर्शन ऐसे समय में हो रहे हैं जब कुछ दिन पहले ही कोटा विरोधी प्रदर्शनों में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.

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बांग्लादेश में बीते दिनों पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुई थी. ये प्रदर्शनकारी विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे, जिसमें 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल पूर्व सैनिकों के रिश्तेदारों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित थीं.

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने ढाका की प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर दिया, जिससे ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो गई. अधिकारियों ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के शहर के विभिन्न स्थानों पर रैली करने के कारण सुरक्षा बलों को कड़ी निगरानी रखने का आदेश दिया गया था. 

हसीना के इस्तीफे की मांग

छात्र आंदोलन के एक प्रमुख समन्वयक नाहिद इस्लाम ने यहां सेंट्रल शहीद मीनार में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, “हम सरकार और फासीवादी शासन को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं इसलिए हम छात्र विद्रोह का आह्वान कर रहे हैं. हम एक ऐसा बांग्लादेश बनाना चाहते हैं, जहां कभी निरंकुशता न आए. हमारी एकमात्र मांग है कि शेख हसीना सहित यह पूरी सरकार इस्तीफा दे और फासीवाद का अंत हो." 

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उन्होंने कहा, 'सरकार अब कह रही है कि गणभवन के द्वार बातचीत के लिए खुले हैं. हमारा मानना ​​है कि वह (शेख हसीना) पहले ही समझ चुकी हैं कि गणभवन के दरवाजे खुले रहने चाहिए. हम शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करते हैं, जिसमें पूरा मंत्रिमंडल भी शामिल है. उन्हें न केवल इस्तीफा देना चाहिए, बल्कि देश में हुई सभी हत्याओं और गायब हुए लोगों के लिए उन्हें न्याय के कटघरे में भी लाया जाना चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'इस सरकार ने लोगों को मारा है और शवों को गायब किया है. हत्या करने वाले लोग कैसे न्याय प्रदान करेंगे? सभी क्षेत्रों के लोगों को मारा जा रहा है, उनका अपहरण किया जा रहा है, उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. एक तरफ़ गिरफ़्तारियां और यातनाएं दी जा रही हैं, और दूसरी तरफ़, हमें बातचीत के लिए बुलाया जा रहा है.'

पीएम ने दिया बातचीत का न्यौता

शुक्रवार को प्रधानमंत्री हसीना ने आंदोलनकारी छात्रों से सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली पर हिंसा को समाप्त करने के लिए बातचीत के लिए अपने गणभवन आधिकारिक निवास पर मिलने का आग्रह किया था. उन्होंने यह आमंत्रण शुक्रवार को हुए नए विरोध प्रदर्शनों के एक दिन बाद दिया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 100 से ज़्यादा लोग घायल हो गए थे. राजधानी के कई हिस्सों में 2,000 से ज़्यादा प्रदर्शनकारी जमा हुए और उन्होंने  “तानाशाह मुर्दाबाद” के नारे लगाए थे. 

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पीएम हसीना ने कहा, “मैं फिर से कह रही हूं, वे (छात्र नेता) अगर चाहें तो बातचीत के लिए मेरे पास आ सकते हैं, वे अपने अभिभावकों को भी कभी भी साथ ला सकते हैं. गणभवन का दरवाज़ा (उनके लिए) खुला है. मैं उनकी बात सुनना चाहती हूं, मैं संघर्ष नहीं चाहती.” हालांकि छात्र नेताओं और प्रदर्शनकारियों ने उनकी पेशकश को ठुकरा दिया है.

छात्र को मार दी थी गोली

इस बीच, दो पुलिस अधिकारियों को उनके "गैर-पेशेवर आचरण" के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा निलंबित कर दिया गया. अधिकारियों ने गोलियां चलाईं, जिसमें नॉर्थवेस्टर्न रंगपुर विश्वविद्यालय के दूसरे वर्ष के छात्र अबू सईद की मौत हो गई, जिससे छात्रों का गुस्सा और बढ़ गया. वीडियो फुटेज और तस्वीरों में सईद को अकेले खड़े होकर, हाथ फैलाए, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को चुनौती देते हुए दिख रहा था, इस दौरान एक पुलिस अधिकारी ने अचानक उसे कई बार गोली मार दी.  

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