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'इस्लामिक खलीफा और शरिया की वापसी...', कनाडा में इस्लामिक आतंकी संगठन के कॉन्फ्रेंस के ऐलान ने बढ़ाई चिंता

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद खबर आ रही है कि कनाडा में जल्द ही इस्लामिक आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर एक कॉन्फ्रेंस करने करने जा रहा है. यह खलीफा कॉन्फ्रेंस 18 जनवरी 2025 को कनाडा के मिसिसॉगो में आयोजित की जाएगी. यह कॉन्फ्रेंस इस्लामिक खिलाफत की बहाली और शरिया कानून लागू करने को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित की जाएगी.

कनाडा में होगी बड़ी कॉन्फ्रेंस! कनाडा में होगी बड़ी कॉन्फ्रेंस!
सुबोध कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:43 PM IST

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद खबर आ रही है कि कनाडा में जल्द ही इस्लामी आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर एक कॉन्फ्रेंस करने करने जा रहा है. यह खलीफा कॉन्फ्रेंस 18 जनवरी 2025 को कनाडा के मिसिसॉगो में आयोजित की जाएगी. यह कॉन्फ्रेंस इस्लामिक खिलाफत की बहाली और शरिया कानून लागू करने को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित की जाएगी.

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आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर की इस घोषणा के बाद आतंकियों को लेकर कनाडाई सरकार के रुख को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचनाएं हो रही हैं. कनाडा में इस संगठन को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग भी की जा रही है.

दुनिया पर इस्लाम का राज लाने की वकालत करने वाले इस्लामी आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट डालकर खलीफा नामक इस सालाना कॉन्फ्रेंस की घोषणा की है. वीडियो में कहा जा रहा है कि क्या अमेरिका इतना ताकतवर है कि हमारा समुदाय उसे हरा नहीं सकता है? 

वीडियो में कहा गया है कि दुनिया की औपनिवेशिक ताकतें अंतरराष्ट्रीय मुस्लिम समुदाय की राजनीतिक और सैन्य कार्रवाई को लेकर डरती हैं. वीडियो में यूरोपीय ताकतों के खिलाफ इस्लामिक सेना के पुराने युद्धों को भी याद दिलाया गया है.

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इस्लामी आतंकी संगठन की इस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रवाद, इस्लाम के मुख्य दुश्मन और फिलीस्तीन की आजादी का रास्ता सिर्फ खलीफा है, जैसे मुद्दे शामिल हैं. हालांकि,कनाडा में होने जा रहे इस आयोजन की तारीख और शहर की घोषणा तो की जा चुकी है लेकिन अभी तक यह नहीं बताया गया है कि शहर में किस लोकेशन पर यह आयोजन किया जाएगा.

साल 1953 में हुई थी आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर की स्थापना

मालूम हो कि इस आतंकी संगठन की स्थापना साल 1953 में यरुशलम में हुई थी. उस समय यरुशलम जॉर्डन के कब्जे में था. इस संगठन की शुरुआत फिलिस्तीनी इस्लामिक स्कॉलर तकी अल दिन नभानी ने की थी. पूरी तरह से शरिया कानून पर चलने वाले इस संगठन को कई देशों में बैन भी किया जा चुका है. इन देशों में ब्रिटेन, जर्मनी, मिस्र, भारत, चीन, इंडोनेशिया, रूस, तुर्की और बांग्लादेश भी शामिल है.

दूसरी ओर, कनाडा के जिस मिसीसॉगा शहर में इस कॉन्फ्रेंस के आयोजन की बात कही जा रही है, वहां की मेयर बोनी क्रोंबी ने इस आयोजन का विरोध किया है और कार्रवाई की बात कही है.

शहर की मेयर ने इस कॉन्फ्रेस को समुदाय की शांति के लिए खतरा बताया है. वहीं कनाडा के एक सांसद केविन व्योंग ने इस कॉन्फ्रेंस को लेकर जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि इस सरकार में कनाडा आतंकियों समर्थकों के लिए स्वर्ग बनता जा रहा है.

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खालिस्तानियों से लेकर इस्लामी आतंकवाद, हर मुद्दे पर घिरा कनाडा 

भारत का पिछले काफी समय से खालिस्तानियों के मुद्दे पर कनाडा के साथ लगातार संबंध बिगड़ा हुआ है. ट्रूडो की सरकार ने खालिस्तानी समर्थकों के नेताओं का हमेशा समर्थन किया है जिस वजह से उन पर आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगता रहा है. ऐसे में हिज्ब-उत-तहरीर का कनाडा में बढ़ना और ज्यादा आलोचनाओं से घिर सकता है. खास बात है कि यह जो आतंकी सगंठन है, इसे लेकर भारत में भी एनआईए कार्रवाई कर चुकी है. 

कुछ समय पहले ही भारतीय एजेंसी एनआईए ने दक्षिण भारत के कुछ इलाकों में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप में इस संगठन के अब्दुल रहमान और मुजीबुर रहमान के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. वहीं भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में जबसे शेख हसीना सत्ता से गई हैं, तबसे ही यह संगठन पनपने की कोशिशों में लगा हुआ है. 

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