
Ukraine-Russia War: 'हम इस वक्त खारकीव शहर में मेट्रो के शेल्टर में फंसे हुए हैं. ये एक अंडरग्राउंड स्पेस है. मेरी समझ से यहां करीब 1500 से 1600 लोग होंगे. मैं भले ही आपसे बात कर रहा हूं, लेकिन अंदर से सहमा हुआ हूं. सुबह करीब 9 बजे हम लोग शेल्टर में थे, तभी बम धमाका हुए, फिर दूसरा और तीसरा धमाका हुआ. ये धमाके हमारे शेल्टर से 10-12 किलोमीटर दूर हुए होंगे. 25 मिनट में 3 धमाकों ने दिल दहला दिया. खाने से लेकर रहने तक की चिंता सता रही है. बस अब तो इंडियन गवर्नमेंट किसी भी तरह से हमें यहां से निकाल ले'. ये कहना है रवि प्रकाश का. बता दें कि रवि प्रकाश खारकीव में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं.
'काफी भयावह दौर से गुजर रहे हैं'
रवि प्रकाश ने बताया कि हम लोग फिलहाल यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में हैं. यहां रहकर पढ़ाई कर रहे थे. युद्ध के हालात बनने से जीवन ही खतरे में आ गया है. खाने का संकट लगातार गहराता जा रहा है. कुछ इंडियन कम्युनिटी के लोग हमारी मदद कर रहे हैं. बड़ी मुश्किल से खाने का इंतजाम हो रहा है.
हमारे पास फिलहाल 2 दिन का राशन बचा है. डर इस बात का है कि जब ये खत्म हो जाएगा तो क्या होगा. हर घंटे खत्म होने वाला राशन अब धड़कनें बढ़ा रहा है. रवि कहते हैं कि हम -2 डिग्री पर रहने के लिए मजबूर हैं. हम लोग काफी भयावह दौर से गुजर रहे हैं.
करीब 3 हजार स्टूडेंट्स शेल्टर में फंसे हैं
रवि प्रकाश ने कहा कि पिछले 2 दिन से हम लोग मेट्रो के बम शेल्टर में रह रहे हैं. बस जिंदा हैं, हमारे लिए यही काफी है, क्योंकि कब कौन सा बम गिर जाए, कहा नहीं जा सकता. उन्होंने बताया 'हमारे हॉस्टल के कुल करीब 3 हजार स्टूडेंट्स हैं जो कि यहां फंसे हुए हैं, लेकिन हमें ये समझ नहीं आ रहा कि यहां से कैसे निकलेंगे. यूनिवर्सिटी और यूक्रेन की गवर्नमेंट ने पहले ही एडवाइजरी जारी कर दी थी कि भारतीय छात्र अपनी एंबेसी के संपर्क में रहें. हम लोग लगातार वहां कॉन्टेक्ट कर रहे हैं.'
रवि कहते हैं कि हमें तो ये भी समझ नहीं आ रहा कि खारकीव से पोलैंड या हंगरी तक कैसे जाएंगे, क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन बंद हो चुका है. हमारे शहर से राजधानी कीव करीब 600 किलोमीटर दूर है, जबकि इंडियन गवर्नमेंट यूक्रेन में फंसे भारतीय लोगों को निकालने के लिए पोलैंड और हंगरी का रूट ले रही है. लेकिन हमारे शेल्टर से बॉर्डर (पोलैंड) 16 से 17 घंटे तक दूर है. वेस्ट में फंसे लोग तो पोलैंड पहुंच सकते हैं, लेकिन हम वहां तक कैसे जाएंगे. हमारे पीछे की तरफ रूस का इलाका है, वहां से जाना नामुमकिन है. अब तो बस इंडियन गवर्नमेंट किसी भी तरह से हमें यहां से निकाल ले.
ढेर होती जा रही हैं उम्मीदें
रवि ने कहा कि कीव, नीपर, ओडेसा, सूमी, ज़ाप्रोज़े और दूसरी जगहों पर रहने वाले स्टूडेंट्स को वेस्ट बॉर्डर तक पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी. लेकिन हमारे पास न तो कार है न ही बस ट्रेन. यहां से बाहर निकलने का भी कोई रास्ता नहीं है. ऐसे में हमारी उम्मीदें ढेर होती जा रही हैं.
माहौल में डर की आहट सुनाई दे रही
यूक्रेन के खारकीव में रहने वाले रवि कहते हैं कि पहले रूस ने कहा था कि खारकीव को निशाना बनाएगा. ये जानकर हमारी जान सांसत में आ गई थी. लेकिन रूस ने कीव को ही टारगेट किया हुआ है. फिर भी हमारे आसपास के माहौल में खौफ है. यहां ज्यादातर स्टूडेंट्स हैं, लेकिन किसी को ये नहीं पता कि वह कब और कैसे अपने घर तक पहुंचेंगे.