
बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. मुंबई से गोवा जाने वाले क्रूज शिप में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने छापा मारा और आर्यन खान को गिरफ्तार कर लिया. उन पर एनडीपीसी की गंभीर धाराएं लगाई हैं और उनकी अरेस्ट रिपोर्ट की डिटेल्स भी सामने आई हैं. इस डिटेल के मुताबिक, आर्यन के पास से 13 ग्राम कोकेन, 5 ग्राम एमडीएमए, 21 ग्राम चरस और एक्स्टेसी की 22 गोलियां मिली हैं. इसके अलावा उनके पास 1 लाख 33 हजार रूपए भी मिले थे. आइए जानते हैं कि किस ड्रग्स का कैसा प्रभाव होता है.
एमडीएमए: दुनिया में इस समय कुछ ऐसे ड्रग्स हैं जिन्हें लेकर न्यूरोसाइंटिस्ट्स, रिसर्चर्स और प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज में काफी उत्साह देखा जा सकता है. इन ड्रग्स को साइकेडेलिक ड्रग्स कहा जाता हैं जिन्हें लेकर एल्डॉस हक्सली, एलन वॉट्स, टेरेंस मैकेना, टिमोथी लियरी, बाबा रामदास और ओशो जैसी कई शख्सियतों ने अपने-अपने विचार रखे हैं और कुछ इन्हें 'आध्यात्मिक टीचर' का दर्जा तक दे चुके हैं.
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी और इंपेरियल कॉलेज लंदन जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज मान चुकी हैं कि किसी शख्स का माइंडसेट और उसकी सेटिंग यानि उसका पर्यावरण अच्छा हो और उसके बाद किसी शख्स को ये ड्रग्स दिए जाएं तो वे ना केवल मानसिक स्तर पर बल्कि आध्यात्मिक और थेरेप्युटिक स्तर पर भी एक Alternate consciouness को प्राप्त किया जा सकता है जिसे आम शब्दों में एक अलौकिक जागरूकता कहा जा सकता है. हालांकि एमडीएमए, मैजिक मशरुम, पेयोटे, डीएमटी या एसिड की तरह प्योर साइकेडेलिक नहीं है लेकिन एक कंट्रोल्ड सेटिंग में इसके सकारात्मक प्रभावों को भी देखा जा सकता है. एमडीएमए को 70 के दशक में एलेक्जेंडर शाशा शुल्गिन जैसे महान केमिस्ट ने वेस्टर्न कल्चर में काफी लोकप्रिय कराया था.
मल्टीडिसिप्लिनरी एसोसिएशन ऑफ साइकेडेलिक स्टडीज यानि MAPS कनाडा के फाउंडर रिक डोबलिन ने 70 के दशक में ऐसे ही एक ड्रग का इस्तेमाल किया था. वे इन ड्रग्स से इतना प्रभावित हुए कि ताउम्र वे इन ड्रग्स को लीगल कराने की कोशिशों में लग गए. स्टीव जॉब्स भी एलएसडी को अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण अनुभवों में से एक बता चुके हैं. अमेरिका और ब्रिटेन में 60 के दशक की साइकेडेलिक्स से जुड़ी कई किवंदतियां और कहानियां भरी हुई हैं. एमडीएमए भी एक ऐसा ही ड्रग है जिसे हाफ साइकेडेलिक कहा जा सकता है. हालांकि इसमें साइकेडेलिक्स की तरह हेलुशिनेशन्स या Ego dissolution जैसी चीजें महसूस नहीं होती हैं. एमडीएमए युवा पीढ़ियों के लिए एक मशहूर पार्टी ड्रग बना हुआ है क्योंकि इसे इस्तेमाल करने के बाद ऑक्सीटोसिन और डोपेमिन जैसे हैप्पी हॉर्मोन रिलीज होते हैं और काफी एनर्जी भी महसूस होती है.
हालांकि इसके अत्यधिक इस्तेमाल से इंसान का सेरोटोनिन सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो सकता है और कई दिनों तक लोग हताश और बैचेन रह सकते हैं. हालांकि रिक डोबलिन कनाडा में एक मिशन से जुड़े हुए हैं और इस ड्रग को थेरेपी के तौर पर इस्तेमाल कराने की कोशिश कर रहे हैं. वे खासतौर पर इस ड्रग्स को युद्ध से लौटकर मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों, खराब रिलेशनशिप से जूझ रहे कपल्स और किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए बेहद अहम मानते हैं. एमडीएमए कोकेन जैसे हार्ड ड्रग्स की तुलना में काफी कम एडिक्टिव भी होता है. हालांकि कनाडा और पश्चिमी देशों में साइकेडेलिक क्रांति के बावजूद एमडीएमए, मैजिक मशरूम और एसिड जैसे ड्रग्स अब भी देश में अवैध बने हुए हैं.
कोकेन: नेटफ्लिक्स का सुपरहिट शो नार्कोज हो, लियोनार्डो डि कैप्रियो की पॉपुलर फिल्म वुल्फ एंड द वॉल स्ट्रीट हो या अल पचीनो की लेजेंडरी फिल्म स्कारफेस. कोकेन को पिछले कई सालों से पॉप कल्चर और सिनेमाई स्पेस में जगह मिलती रही है. इस सफेद रंग के पाउडर को आमतौर पर नाक से खींचा जाता है लेकिन कई लोग इसे दांतों पर भी रगड़ते हैं, स्मोक करते हैं या इंजेक्शन के सहारे भी लेते हैं. हर मेथड के सहारे जरिए 1 से 3 मिनट के भीतर ही 'कोकेन हाई' शुरु हो जाता है और औसतन 15 से 30 मिनटों तक इस ड्रग का प्रभाव लोगों पर रहता है. कोकेन के साइकोलॉजिकल और फिजिकल दोनों तरह के प्रभाव देखे जा सकते हैं.
आमतौर पर लोग इस ड्रग्स को लेने के बाद बेहद खुश महसूस करते हैं क्योंकि कोकेन डोपेमिन जैसे हैप्पी हॉरमोन को रिलीज करता है. इसके अलावा कुछ लोग आत्मविश्वास से भरपूर हो सकते हैं और खुलकर अपनी बात शेयर करते हैं. यही कारण है कि इस ड्रग को वुल्फ ऑफ वॉल स्ट्रीट में सेल्स मार्केट वाले लोगों के लिए एकदम मुफीद ड्रग बताया गया था क्योंकि उन्हें घंटों अपने क्लाइंट्स से फोन पर बात करनी होती थी.
नेगेटिव साइकोलॉजिकल इफेक्ट्स की बात की जाए तो इससे इंसान बैचेन महसूस कर सकता है, उसकी दिल की धड़कन और शरीर का तापमान बढ़ सकता है. कोकेन एक हार्ड ड्रग माना जाता है. यानि इस ड्रग्स के मेडिकल या रिक्रिएशनल तौर पर फायदे ना के बराबर हैं. इसके अलावा लगातार प्रयोग से कोकेन की लत लगने के चांस भी काफी ज्यादा होते हैं और कोकेन ना मिलने पर लोगों के हालात भी काफी खराब हो सकते हैं लेकिन चूंकि ये ड्रग मार्केट में काफी महंगा बिकता है, ऐसे में देश की एक बड़ी आबादी की पहुंच से कोकेन दूर रहता है.
एक्सटेसी: आर्यन के पास से 21 एक्सटेसी की गोलियां भी मिली हैं. हालांकि एमडीएमए और एक्सटेसी एक ही ड्रग होते हैं. एमडीएमए इस ड्रग का साइंटिफिक नाम है और लोकल रेव पार्टी सर्किट में एक्सटेसी इस ड्रग का कॉमन नाम है क्योंकि इस ड्रग के हाई में लोग बेहद तीव्र खुशी महसूस करते हैं. यही कारण है कि ये पार्टी ड्रग के तौर पर काफी पॉपुलर है. आमतौर पर ये माना जाता है कि एमडीएमए प्योर होता है और एक्सटेसी में कुछ और भी ड्रग्स मसलन कोकेन, केटामिन, मेथामफेटामिन और कैफीन भी मिले हो सकते हैं. एलेक्जेंडर शाशा शुलगिन को एमडीएमए का गॉडफादर माना जाता है. केमिस्ट शाशा शुलगिन अपने आप पर और अपनी पत्नी पर ड्रग्स के प्रयोग करते थे और उन्होंने इसी तरीके से सैंकड़ों ड्रग्स ईजाद करने में कामयाबी पाई थी. उनकी पूरी कहानी को तिहकाल: ए केमिकल लव स्टोरी और पिहकाल जैसी किताबों में पढ़ा जा सकता है.