
चीन में शी जिनपिंग एक बार फिर राष्ट्रपति के पद पर कब्जा जमा चुके हैं. ऐसे में चीन के एक प्रमुख रणनीतिज्ञ का कहना है कि शी जिनपिंग के दूसरे कार्यकाल में डोकलाम जैसे मुद्दों पर चीन सीधे तरीके से डील करेगा. रणनीतिज्ञ का कहना है कि चीन अब पुराने दृष्टिकोण के तहत सिर्फ मतभेद खत्म करने की कोशिश नहीं करेगा बल्कि समस्या को सीधे सुलझायगा.
चीन के मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी से ताल्लूक रखने वाले एक प्रमुख थिंक टैंक चीन इंस्टिट्यूट्स ऑफ कंटम्पररी इंटरनैशनल रिलेशन के उपाध्यक्ष युआन पेंग ने यह बातें कहीं. उनके अनुसार जब बात प्रभुत्व, क्षेत्रीय अखंडता और प्रमुख मुद्दों की रक्षा की आएगी तो हम हमेशा हठधर्मी और मजबूत तरीका अपनाएंगे, क्योंकि इन मामलों में समझौता की कोई गुजाइंश नहीं होगी.
पेंग बुधवार को पांच साल में एक बार होने वाले कम्युनिस्ट पार्टी के कांग्रेस मेंचीन के विदेशी नीति के संबंध में बोल रहे थे. जब उनसे डोकलाम का उदाहरण देते हुए बातें साफ करने को कहा गया तो उन्होंने कहा कि यह उस मामले पर और उस समय के हालातों पर निर्भक करेगा.
पेंग ने डोकलाम और साउथ चाइन सी दोनों मुद्दों पर बोलते हुए कहा कि पहले चीन मतभेद दूर करने की कोशिश करता था, अब वह उन मामलों में सीधे तौर पर निपटेगा. पेंग के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि भले ही चीन मतभेद दूर करने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन हर बार दूसरी पार्टी इससे सहमत नहीं रहती है. इसलिए अब हम समस्याओं को सीधे तौर पर निपटेंगे और अपने उचित सरोकार की रक्षा करेंगे.
वहीं इसी कांग्रेस में राष्ट्रपति शी ने कहा कि चीन मतभेदों का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकालने की कोशिश करेगा, लेकिन दूसरे देश यह न सोचे कि बीजिंग हर बार उसे नागवार गुजरने वाले मुद्दों को पचाता रहेगा और कोई कार्रवाई नहीं करेगा. शी के अनुसार डोकलाम और साउथ चाइन सी दोनों मुद्दों पर चीन ने अपनी प्रभुता की रक्षा करते हुए और मामले में बड़ी पिक्चर देखते हुए फैसला लिया.
वहीं युआन के अनुसार पड़ोस में शांति स्थापित करना और अपनी प्रभुता की रक्षा करना हमेशा आसान नहीं होता. कोई भी देश अपनी प्रभुता और अपने फायदे की कीमत पर शांति नहीं बनाए रह सकता है. ऐसे में चीन भी ऐसी कोई भी चाल बर्दाश्त नहीं करेगा जो चीन को नुकसान पहुंचाए.
भारत की तरफ नरम बर्ताव
वहीं युआन की बातों से यह प्रतीत हुआ है कि चीन की यह धमकी छोटे देशों के लिए थी क्योंकि भारत के बारे में बोलते हुए युआन नरम दिखाई दिए. उनके अनुसार डोकलाम मामला इस बात तकाज़ा है कि भारत और चीन मामले में बड़ी पिक्चर देखे और रिश्तों को संभाले. चीन और भारत दोनों देश ब्रिक्स के सदस्य हैं और तेजी से उभर रहे हैं. ऐसे में दोनों देशों का विकास भाइयों के जैसा हो. दोनों देशों के बीच युद्ध होते नहीं देखना चाहेंगे. हम चीन और रुस के रिश्तों की तर्ज पर भारत और चीन के रिश्तों को भी बढ़ाना चाहेंगे. ऐसे में मतभेदों वाले मामले को गंभीर और सही तरीके से निपटने की जरूरत है.